हिमाचल: रोहड़ू में दलित नाबालिग की मौत पर भड़का गुस्सा, न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी CPIM

जातीय उत्पीड़न से तंग आकर छात्र ने दी जान. CPIM ने SC/ST एक्ट के तहत दोषियों के लिए मांगी कड़ी सज़ा, शिमला में जोरदार प्रदर्शन।
रोहड़ू में दलित छात्र की मौत पर बवाल, CPIM का प्रदर्शन
रोहड़ू में दलित छात्र की मौत पर बवाल, CPIM का प्रदर्शन फोटो साभार- @cpimspeak
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शिमला (हिमाचल प्रदेश): हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू इलाके में जातीय भेदभाव से तंग आकर एक दलित नाबालिग लड़के की कथित आत्महत्या ने पूरे प्रदेश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इस दुखद घटना के विरोध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPIM) ने स्थानीय निवासियों और दलित अधिकार संगठनों के साथ मिलकर सोमवार को जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नाबालिग के लिए न्याय और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की।

शिमला में इकट्ठा हुए प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं और वे जातीय भेदभाव के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे। उन्होंने इस बात पर भी रोष व्यक्त किया कि "हमारा सिस्टम समाज के कमजोर वर्गों की रक्षा करने में विफल रहा है।"

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे CPIM नेता और पूर्व विधायक राकेश सिंघा और संजय चौहान ने कहा कि भारत की आजादी के 78 साल बाद भी जातीय भेदभाव की घटनाओं का जारी रहना "अत्यंत शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण" है।

CPIM नेता राकेश सिंघा ने कहा, "यह बहुत चिंता का विषय है कि आज भी आजाद भारत में जातीय भेदभाव मासूम जिंदगियों को निराशा की ओर धकेल रहा है।"

उन्होंने आगे कहा, "रोहड़ू की यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर सामाजिक बीमारी को दर्शाती है, जिसका सामना हमारे समाज को करना ही होगा।"

CPIM के अनुसार, रोहड़ू का रहने वाला दलित नाबालिग अपनी जाति के आधार पर लगातार अपमान और भेदभाव का शिकार हो रहा था, जिसके कारण उसने कथित तौर पर अपनी जान ले ली। पार्टी ने यह भी दावा किया कि कुछ लोग न्याय की मांग करने के बजाय, नाबालिग पर चोरी की आदत का झूठा आरोप लगाकर उसके चरित्र को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

सिंघा ने कहा, "कुछ लोग अब यह कहकर इस भयानक कृत्य को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं कि लड़का आदतन चोर था। लेकिन पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि इस तरह के किसी भी आरोप के संबंध में कोई FIR या रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। यह जातीय उत्पीड़न के असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की एक क्रूर कोशिश है।"

राकेश सिंघा ने सरकार से मांग की कि इस मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाए और पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने जोर देकर कहा, "हम SC/ST एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं। न्याय में देरी का मतलब न्याय से इनकार है। प्रशासन को यह दिखाना होगा कि संविधान में समानता का वादा सिर्फ कागज पर लिखे शब्द नहीं हैं।"

CPIM ने रोहड़ू मामले की तुलना कुल्लू में हुई हालिया घटना से भी की, जहां दशहरा समारोह के दौरान एक अनुसूचित जाति के अधिकारी पर कथित तौर पर हमला किया गया था। पार्टी ने इसे राज्य में "बढ़ती जातीय असहिष्णुता" का एक और उदाहरण बताया।

प्रदर्शन के दौरान, पार्टी नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान प्रत्येक नागरिक को समानता और सम्मान की गारंटी देता है, फिर भी जाति और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव लगातार बना हुआ है।

संजय चौहान ने कहा, "हमारा संविधान हर भारतीय को समानता का अधिकार देता है। यह शर्म की बात है कि 2025 में भी हम ऐसी घटनाओं को देख रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार को संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए।"

CPIM ने घोषणा की है कि जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल जाता और दोषियों को कानून के तहत सजा नहीं हो जाती, तब तक उनका यह अभियान जारी रहेगा।

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