भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार को राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप, विरोध प्रदर्शनों और महत्वपूर्ण घोषणाओं से गरमाया रहा। इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लेकर एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा, "हम डंके की चोट पर कह रहे हैं कि ओबीसी को 27% आरक्षण देंगे। जो 13 प्रतिशत आरक्षण मिला है, उसमें चयनित अभ्यर्थियों को जल्दी से जल्दी योग्यता और हक के आधार पर नौकरी देंगे।"
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पिछड़ों की जातिगत जनगणना नहीं कराने का पाप कांग्रेस के नेताओं ने किया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस अलग-अलग समाज को भड़काने का काम करती है। जबकि पिछड़ों की जनगणना को रोकने का काम खुद उनके नेताओं ने किया। इसकी शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की। फिर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अन्य कांग्रेस सरकारों ने इसे आगे नहीं बढ़ाया।"
सदन की शुरुआत से पहले कांग्रेस विधायकों ने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने बीन बजाई और दो विधायक भैंस की वेशभूषा में पहुंचे। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा, “हम इस सरकार को जगा रहे हैं। यह सोई हुई सरकार है जो जनप्रतिनिधियों पर हमले की घटनाओं में कोई कार्रवाई नहीं कर रही।”
कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। विधानसभा में जब उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने वाणिज्य कर विभाग से संबंधित पत्रों को पटल पर रखना शुरू किया, तो कांग्रेस विधायक भड़क गए और विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।
कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाहा, जो भैंस की पोशाक पहनकर आए थे, से सुरक्षाकर्मियों ने गाउन उतारने का अनुरोध किया। उन्होंने गाउन उतारा और फिर अंदर गए।
विधानसभा में मंत्री विजय शाह की उपस्थिति पर विधायक सोहनलाल बाल्मिकी ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति ने सेना का अपमान किया है, उसे सदन में आने का अधिकार नहीं है।”
इस टिप्पणी के बाद सदन में हंगामे की स्थिति बन गई। हालांकि अध्यक्ष ने सदन को शांत करने की कोशिश की।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के पहले अनुपूरक बजट को विधानसभा में प्रस्तुत किया। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने घोषणा की कि इस बजट पर चर्चा 30 जुलाई को होगी।
बीते सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार एक गिरगिट लेकर पहुंचे, जो राजनीतिक प्रतीकों के रूप में खूब चर्चा में रहा। उन्होंने इस गिरगिट के जरिए सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह सत्ता की रंग बदलती राजनीति का प्रतीक है। सिंघार का यह विरोध प्रदर्शन एक प्रतीकात्मक संदेश था कि सरकार अपने वादों और नीतियों में लगातार रंग बदलती रहती है, जैसे गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है।
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