MP: बाढ़ में बैलगाड़ी से नदी पार कराई गई गर्भवती, बैतूल के बोड़ गांव में पुल की मांग फिर उठी, वर्षों से यही हालात!

श्रमिक आदिवासी संगठन के जिला संयोजक राजेंद्र गढ़वाल ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि 15 अगस्त तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
बाढ़ में बैलगाड़ी से प्रेग्नेंट महिला को नदी पार कराई गई
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भोपाल। बारिश के इस सीजन में आदिवासी क्षेत्रों की बदहाली एक बार फिर सामने आई है। बैतूल जिले के चिचोली ब्लॉक के बोड़ रैयत गांव में रविवार को एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर जान जोखिम में डालकर बैलगाड़ी से नदी पार कराई गई। गांव के पास बहने वाली भाजी नदी उफान पर थी और वहां कोई पुल नहीं बना है। ऐसे में ग्रामीणों ने गर्भवती महिला सुनीता उईके को बैलगाड़ी में लिटाकर उफनती नदी पार कराई और चिरापाटला के सरकारी अस्पताल तक पहुंचाया। यहां सुनीता ने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया।

सुनीता की सास रामवती उईके ने बताया कि नदी का बहाव इतना तेज था कि वह खुद बहते-बहते बचीं। बैलगाड़ी पर सवार होकर नदी पार करना बेहद जोखिमभरा था, लेकिन कोई और विकल्प नहीं था। यह घटना रविवार की सुबह की है, लेकिन इसका वीडियो सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके बाद मामला बैतूल कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी तक पहुंचा। कलेक्टर ने कहा है कि भाजी नदी पर पुल बनाने के लिए प्रस्ताव फिर से भेजा जाएगा।

वर्षों से उठ रही पुल की मांग

बोड़ गांव के ग्रामीण पिछले कई वर्षों से नदी पर पुल की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल बारिश के समय यह नदी जान जोखिम में डालती है। गांव पूरी तरह से मुख्य सड़क से कट जाता है और बीमार, बुजुर्ग या गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाना बड़ा संकट बन जाता है।

ग्रामवासियों के साथ-साथ सामाजिक संगठन भी इस मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं। 'जयस' (जनजातीय आदिवासी युवा संगठन) दो बार प्रदर्शन कर चुका है। तत्कालीन कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस ने गांव में जाकर पुल बनाने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन अब तक निर्माण शुरू नहीं हुआ।

पहले जा चुकी है जानें!

यह पहली बार नहीं है जब भाजी नदी के उफान ने किसी की जान जोखिम में डाली हो। पिछले साल गांव के एक उपसरपंच की इसी नदी में बह जाने से मौत हो गई थी। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते पुल बना दिया गया होता, तो ऐसी घटनाएं टाली जा सकती थीं।

अब श्रमिक आदिवासी संगठन के जिला संयोजक राजेंद्र गढ़वाल ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि 15 अगस्त तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

भिंड में भी सड़क नहीं, चारपाई पर ले जाई गई प्रसूता

ऐसा ही एक और मामला सोमवार को भिंड जिले से सामने आया, जहां लहार क्षेत्र के बड़ोखरी गांव में सड़क न होने की वजह से गर्भवती महिला को चारपाई पर लिटाकर अस्पताल तक ले जाना पड़ा। ग्रामीणों ने महिला को करीब 500 मीटर तक कंधों पर उठाकर पक्की सड़क तक पहुंचाया, जहां से फिर उसे वाहन में अस्पताल भेजा गया। गांव में पिछले 5 सालों से सड़क की मांग की जा रही है, कई बार लिखित में शिकायत भी की गई, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

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