MP: गलत सर्जरी से महिला का कटा यूरिन पाइप, उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल पर लगाया 1.05 लाख रुपये का हर्जाना

आयोग ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह महिला को एक लाख रुपये हर्जाने के रूप में और पांच हजार रुपये वाद व्यय के रूप में अदा करे।
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भोपाल। यदि किसी मरीज को इलाज के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही से नुकसान होता है, तो वह उपभोक्ता फोरम के जरिए न्याय पा सकता है और अस्पताल से हर्जाना भी वसूल सकता है। भोपाल जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक ऐसा ही फैसला सुनाया है, जिसमें इलाज के दौरान लापरवाही के कारण महिला की मूत्रनलिका (यूरिन पाइप) कट गई और उसे दोबारा इलाज कराना पड़ा। आयोग ने अस्पताल को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए 1 लाख 5 हजार रुपये का हर्जाना पीड़िता को देने के निर्देश दिए हैं।

बच्चेदानी की सर्जरी के दौरान हुई गंभीर लापरवाही

मामला वर्ष 2019 का है। भानपुर निवासी एक महिला ने न्यू करोंद स्थित मैक्स केयर मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में बच्चेदानी की सर्जरी करवाई थी। महिला को अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या थी, जिस कारण डॉक्टरों ने ऑपरेशन के जरिए उसकी बच्चेदानी (यूटरस) निकालने का निर्णय लिया। यह सर्जरी डॉक्टर जीशान अहमद ने की थी, जिस पर महिला ने 25 हजार रुपये खर्च किए थे।

हालांकि सर्जरी के बाद महिला को मूत्र रिसाव की समस्या शुरू हो गई। पेशाब लगातार रिसने लगा और कई दिनों तक यह परेशानी बनी रही। परेशान होकर जब महिला ने दूसरे अस्पताल में जाकर जांच करवाई, तो डॉक्टरों ने बताया कि पिछली सर्जरी के दौरान मूत्रनलिका कट गई है, जिसके कारण पेशाब शरीर के अंदर जमा हो रहा है।

किडनी संक्रमण का बढ़ गया था खतरा

इस जटिलता के कारण किडनी के पास यूरिन जमा होने लगा था, जिससे गंभीर संक्रमण का खतरा पैदा हो गया था। संक्रमण की आशंका के चलते महिला को दोबारा इलाज कराना पड़ा, जिससे उसे मानसिक और आर्थिक रूप से अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ी।

जब पीड़िता ने अस्पताल प्रबंधन से इसकी शिकायत की और जवाब मांगा, तो अस्पताल ने गलती मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने भोपाल जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

आयोग ने मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट भी देखी

शिकायत की सुनवाई के दौरान आयोग ने गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल से महिला की मेडिकल रिपोर्ट मंगवाई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ऑपरेशन के दौरान मूत्रनलिका कटने के कारण ही महिला को परेशानी हुई है।

इसके आधार पर आयोग ने कहा कि , “जब मरीज ऑपरेशन के बाद यूरिन लीकेज की शिकायत कर रही थी, तो सर्जन को सजगता से जांच करनी चाहिए थी। यदि ऐसा होता तो मरीज को दोबारा इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। यह सेवा में कमी का गंभीर मामला है।”

आयोग ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह महिला को एक लाख रुपये हर्जाने के रूप में और पांच हजार रुपये वाद व्यय के रूप में अदा करे।

अस्पताल प्रबंधन ने आयोग के सामने सफाई देते हुए कहा कि मरीज को सर्जरी के संभावित परिणामों की जानकारी दी गई थी। अस्पताल के अनुसार, ऑपरेशन में कुल 10 हजार रुपये खर्च हुए थे, और मरीज ने ऑपरेशन के बाद दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया।

वहीं महिला ने तर्क दिया कि अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि ऑपरेशन के बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगी, और किसी प्रकार की जटिलता नहीं होगी। लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट।

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