CJI पर जूता फेंकने वाले वकील के घर के बाहर प्रदर्शन, AAP नेता ने कहा, 'हम तुम्हारे घर आए थे.. निकले नहीं तुम बाहर? दैविक शक्ति नहीं थी अब?'

विष्णु मूर्ति पर टिप्पणी से नाराज वकील ने अदालत में CJI पर फेंका जूता, लाइसेंस सस्पेंड. जानें AAP कार्यकर्ताओं ने क्यों घेरा वकील का घर।
AAP protests outside the house of the lawyer who threw a shoe at the CJI in the Supreme Court.
सुप्रीम कोर्ट में CJI पर जूता फेंकाने वाले वकील के घर के बाहर AAP का प्रदर्शनफोटो साभार- @Saurabh_MLAgk
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नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत में मंगलवार को एक शर्मनाक घटना घटी, जब एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर सुनवाई के दौरान अपना जूता फेंकने की कोशिश की। इस घटना के बाद से राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। बार काउंसिल ने आरोपी वकील का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की है।

घटना के विरोध में, मंगलवार को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सौरभ भारद्वाज और दलित समूहों ने आरोपी वकील राकेश किशोर के मयूर विहार स्थित आवास के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में बाबासाहेब अंबेडकर की तस्वीरें थीं और वे "जय भीम" और "CJI का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान" जैसे नारे लगा रहे थे। उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से जूतों की माला भी ले रखी थी।

अदालत में क्या हुआ था?

यह घटना सुबह 11:35 बजे कोर्ट नंबर 1 में हुई, जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर बेंच की ओर बढ़े और उन्होंने अपना स्पोर्ट्स शू निकालकर CJI बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की ओर फेंक दिया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत किशोर को पकड़ लिया और बाहर ले गए। इस दौरान भी वह लगातार नारे लगा रहे थे।

इस अप्रत्याशित हमले के बावजूद, CJI गवई ने शांति बनाए रखी और अदालत में मौजूद सभी लोगों से कहा, "इसे बस नजरअंदाज करें।" उन्होंने कहा, "ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं," और दिन के बाकी मामलों की सुनवाई जारी रखी। बाद में, वकील किशोर ने एक समाचार एजेंसी से कहा कि उन्होंने "दैवीय निर्देशों" पर ऐसा किया और उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी ने की CJI से बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना को "निंदनीय" बताया और CJI गवई की शांत प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा, "भारत के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस बी.आर. गवई जी से बात की। आज सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुआ हमला हर भारतीय को क्रोधित करने वाला है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। मैंने ऐसी स्थिति में जस्टिस गवई द्वारा दिखाए गए संयम की सराहना की। यह न्याय के मूल्यों और हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने की उनकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है।"

वकीलों और दलित संगठनों में भारी रोष

इस घटना ने कानूनी बिरादरी को भी झकझोर कर रख दिया है। ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में एक मार्च निकाला और इस हमले को "संविधान पर हमला" करार दिया। उन्होंने आरोपी वकील के खिलाफ तत्काल FIR दर्ज करने और अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है।

वहीं, CJI गवई, जो भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं, के समर्थन में दलित संगठन और AAP कार्यकर्ता एकजुट हो गए। उन्होंने वकील राकेश किशोर के मयूर विहार अपार्टमेंट के बाहर प्रदर्शन किया, जहाँ पुलिस को व्यवस्था बनाए रखने के लिए बैरिकेडिंग करनी पड़ी।

आप नेता सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर पोस्ट किया कि, "हम तुम्हारे घर आए थे, तुम छिपे रहे, निकले नहीं तुम बाहर? दैविक शक्ति नहीं थी अब?"

क्यों भड़का था वकील?

इस पूरे मामले की जड़ 16 सितंबर को हुई एक सुनवाई से जुड़ी है। उस दिन CJI गवई ने खजुराहो में भगवान विष्णु की एक खंडित मूर्ति को फिर से स्थापित करने की याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने मौखिक टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ताओं से कहा था कि "जाओ और देवता से ही कुछ करने के लिए कहो।"

इस टिप्पणी के बाद कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने उन पर हिंदू आस्था का अपमान करने का आरोप लगाया था। हालांकि, बाद में जस्टिस गवई ने खुली अदालत में स्पष्ट किया था कि उनके शब्दों का गलत अर्थ निकाला गया और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

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