
बेलगावी/तुमकुर: कर्नाटक की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर एक बार फिर सरगर्मी बढ़ गई है। तुमकुर में दलित संगठनों ने राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर को मुख्यमंत्री बनाने की पुरजोर मांग उठाई है। हालांकि, इन प्रदर्शनों और मांगों के बीच गृह मंत्री परमेश्वर ने फिलहाल इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है।
तुमकुर में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद जब बेलगावी में पत्रकारों ने जी. परमेश्वर से सवाल किया, तो उन्होंने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, "मैं मुख्यमंत्री पद या कैबिनेट फेरबदल के मुद्दे पर अब और कुछ नहीं बोलना चाहता। इस विषय पर मैं पहले ही काफी कुछ कह चुका हूं।"
तुमकुर में जोरदार प्रदर्शन और अल्टीमेटम
मंगलवार को तुमकुर में दलित समर्थक संगठनों ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा के सामने एकत्र होकर शक्ति प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व दलित नेता रामैया, बांदे कुमार और भानुप्रकाश कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि तुमकुर जिले को आज तक मुख्यमंत्री पद नहीं मिला है, जबकि डॉ. परमेश्वर ने केपीसीसी (KPCC) अध्यक्ष रहते हुए दो बार पार्टी को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई है।
इस दौरान दलित संगठन के नेता चलवादी शेखर ने कांग्रेस आलाकमान को कड़ा संदेश दिया। शेखर ने कहा, "हम जी. परमेश्वर को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, इसीलिए हम तुमकुर में यह प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारी कांग्रेस आलाकमान से विनती है कि उन्हें सीएम बनाया जाए। यदि जी. परमेश्वर को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, तो हम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर का घेराव करेंगे।"
परमेश्वर ने पहले दिए थे रेस में होने के संकेत
भले ही मंगलवार को परमेश्वर ने टिप्पणी करने से मना कर दिया हो, लेकिन रविवार को उन्होंने इशारों-इशारों में यह स्वीकार किया था कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच वे भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। यह जगजाहिर है कि कांग्रेस के भीतर दलित समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कई बार उठ चुकी है।
हाल ही में लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री सतीश जारकीहोली और परमेश्वर सहित अन्य दलित नेताओं की लगातार हो रही बैठकों पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, "दलित समुदाय लंबे समय से सीएम पद की मांग कर रहा है। लेकिन क्या सिर्फ हमारे मिलने से ऐसा हो जाएगा?"
डिनर पॉलिटिक्स और आंतरिक आरक्षण पर चर्चा
यह बयान मंत्री सतीश जारकीहोली के आवास पर दलित नेताओं के लिए आयोजित डिनर के बाद आया था। इस मुलाकात पर सफाई देते हुए परमेश्वर ने बताया, "हमने सतीश जारकीहोली के घर पर साथ में खाना खाया। क्या यह गलत है? हमने राजनीति पर भी चर्चा की और सरकार में मंत्री होने के नाते हमने अपने विभागों में होने वाले कामों पर भी बात की।"
उन्होंने आगे कहा कि दलित समुदाय के नेताओं ने अनुसूचित जातियों (SC) के बीच आंतरिक आरक्षण जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, "हम सभी समान विचारधारा वाले हैं। आंतरिक आरक्षण को लेकर लड़ाई खत्म हो चुकी है। क्या हमें अपनी समस्याओं पर चर्चा नहीं करनी चाहिए?"
2013 का दर्द और आलाकमान पर भरोसा
अपने राजनीतिक सफर और सीएम पद की दावेदारी पर बात करते हुए परमेश्वर ने कहा, "मैं हमेशा से सीएम पद की दौड़ में रहा हूं। 2013 में मैं कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था। तब हम कांग्रेस सरकार को सत्ता में लाए थे। मैंने कभी नहीं कहा कि मैं अकेले सरकार लाया, सबने मिलकर काम किया था। उस समय मैं चुनाव हार गया था। मुझे नहीं पता कि अगर मैं जीता होता तो क्या होता। आमतौर पर केपीसीसी अध्यक्ष को मौका दिया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में इसका पालन नहीं होता।"
पार्टी के भीतर किसी भी तरह के मतभेद या समस्या को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार या पार्टी में कोई दिक्कत नहीं है और आलाकमान की मंजूरी के बिना कोई फैसला नहीं होता।
नेतृत्व परिवर्तन की संभावना पर उन्होंने कहा, "जब मुख्यमंत्रियों का चयन हो रहा था, तब एआईसीसी (AICC) के पर्यवेक्षक आए थे और सीएलपी (CLP) बैठक में सब तय हुआ था। सिद्धारमैया ने कभी नहीं कहा कि वे ढाई साल के लिए सीएम रहेंगे। बीच में बदलाव करना आलाकमान का अधिकार है। जब बंगारप्पा को हटाकर वीरप्पा मोइली को लाया गया था, तब भी ऐसा ही हुआ था। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि अभी वह समय आया है।"
अंत में उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जो कर्नाटक से ही आते हैं, और राहुल गांधी सहित शीर्ष नेता चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लेंगे।
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.