मलेशिया में खोजी पत्रकारों के लिए वैश्विक सम्मेलन GIJC25 सम्पन्न: ‘द मूकनायक’ के प्रयोग को मिली सराहना

पाँच दिनों के इस आयोजन में 150 से अधिक पैनल चर्चा, वर्कशॉप, ट्रेनिंग सत्र और नेटवर्किंग मीटिंग आयोजित की गईं, जिनमें पत्रकारों ने अपनी-अपनी रिपोर्टिंग तकनीक, अनुभव और चुनौतियाँ साझा कीं। सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि बतौर स्पीकर शामिल हुए, जो खोजी पत्रकारिता की अलग-अलग शैली, तरीकों और नवाचारों पर बात करते रहे।
मलेशिया के KLCC में अयोजित हुआ खोजी पत्रकार सम्मेलन
मलेशिया के KLCC में अयोजित हुआ खोजी पत्रकार सम्मेलन
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नई दिल्ली। मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज़्म कॉन्फ्रेंस (GIJC25) में भारत के डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘द मूकनायक’ के जनसरोकार आधारित प्रयोगों की खुलकर सराहना हुई। यह सम्मेलन 20 से 24 नवंबर तक चला, जिसमें 135 देशों के 1500 से अधिक पत्रकारों ने भाग लिया। भारत से करीब बीस पत्रकार शामिल हुए।

सम्मेलन में सूचना के अधिकार (RTI) पर आयोजित एक विशेष सत्र में स्पीकर वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विष्णु राजगढ़िया ने भारत में खोजी पत्रकारिता की भूमिका पर बात की। उन्होंने अपने वक्तव्य में ‘द मूकनायक’ द्वारा किए गए सिटीजन इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म और RTI आधारित रिपोर्टिंग की विशेष प्रशंसा की।

उन्होंने बताया कि GIJN ने 2024 में दिल्ली में मूकनायक टीम सहित कई पत्रकारों को RTI की ट्रेनिंग दी थी। इस ट्रेनिंग के बाद ‘द मूकनायक’ ने आम नागरिकों की मदद से बड़ी संख्या में RTI आवेदन लगाए और मेडिकल शिक्षा की खराब स्थिति पर अहम तथ्य देश के सामने रखे। इस रिपोर्टिंग को GIJC25 में एक मजबूत ‘क्राउड रिपोर्टिंग’ मॉडल के रूप में सराहा गया।

साझेदारी आधारित पत्रकारिता पर चर्चा

दक्षिण एशिया के पत्रकारों के बीच साझेदारी आधारित खोजी पत्रकारिता पर भी एक सत्र हुआ। इस सत्र में GIJN के हिंदी संपादक दीपक तिवारी ने सहयोगी पत्रकारिता (Collaborative Journalism) के बढ़ते महत्व पर विस्तृत चर्चा की।

GIJN हिंदी के एडिटर दीपक तिवारी
GIJN हिंदी के एडिटर दीपक तिवारी

भारत के पत्रकारों की प्रमुख भागीदारी

सम्मेलन में भारत से कई पत्रकारों ने अपने विचार रखे। लोकतंत्र और खोजी पत्रकारिता पर आयोजित सत्र में स्वतंत्र पत्रकार पूनम अग्रवाल ने अपनी बात रखी। एशिया में खोजी पत्रकारिता की स्थिति पर हुए सत्र में मयंक अग्रवाल स्पीकर रहे। सम्मेलन की शुरुआत में दुनिया भर में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों पर चिंता जताई गई। परिसर में “जर्नलिज्म इज़ नॉट ए क्राइम” जैसे संदेश वाले बैनर लगाए गए।

सम्मेलन की विशेषताएं

सम्मेलन की शुरुआत दुनिया भर में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों और दबावों पर गहरी चिंता व्यक्त करने के साथ हुई। आयोजकों ने साफ कहा कि अनेक देशों में पत्रकारों की सुरक्षा लगातार खतरे में है, उन पर हमले, धमकियाँ और कानूनी दबाव बढ़ रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए गंभीर संकेत हैं। परिसर में “Journalism is Not a Crime” जैसे बड़े-बड़े बैनर लगाए गए, जो इस बात का प्रतीक थे कि खोजी पत्रकारिता को बचाना और मजबूत करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। इन संदेशों ने सम्मेलन के माहौल को और गंभीर बना दिया और दुनिया भर के पत्रकारों को एकजुट होकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने की प्रेरणा दी।

सम्मेलन की विशेषताओं पर नजर डालें तो GIJC25 सचमुच वैश्विक पत्रकारिता का एक विशाल और प्रभावशाली मंच था। पाँच दिनों के इस आयोजन में 150 से अधिक पैनल चर्चा, वर्कशॉप, ट्रेनिंग सत्र और नेटवर्किंग मीटिंग आयोजित की गईं, जिनमें पत्रकारों ने अपनी-अपनी रिपोर्टिंग तकनीक, अनुभव और चुनौतियाँ साझा कीं। सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि बतौर स्पीकर शामिल हुए, जो खोजी पत्रकारिता की अलग-अलग शैली, तरीकों और नवाचारों पर बात करते रहे। खास बात यह रही कि एशिया से रिकॉर्ड 100 से अधिक पत्रकार स्पीकर के तौर पर शामिल हुए, जो यह दर्शाता है कि एशियाई देशों में खोजी पत्रकारिता तेजी से आगे बढ़ रही है और वैश्विक विमर्श में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

यह भी उल्लेखनीय है कि यह सम्मेलन वर्ष 2001 से निरंतर आयोजित किया जा रहा है और 2025 में इसका 14वां संस्करण हुआ। इस बार की खासियत यह थी कि पहली बार एशिया में इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का आयोजन हुआ, जो पूरे महाद्वीप के पत्रकारों के लिए गर्व और प्रेरणा का विषय बना।

‘द मूकनायक’ के लिए प्रेरणा

वैश्विक मंच पर ‘द मूकनायक’ के काम की सराहना केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि जनसरोकारों पर केंद्रित पत्रकारिता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। GIJC25 जैसे प्रतिष्ठित वैश्विक सम्मेलन में ‘द मूकनायक’ की RTI-आधारित रिपोर्टिंग, नागरिकों की भागीदारी से किए गए खोजी प्रयास और मेडिकल शिक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर उठाए गए सवालों को जिस तरह सराहा गया, उसने टीम के हौसले को कई गुना बढ़ा दिया है। यह स्वीकारोक्ति बताती है कि सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद जनपक्षधर पत्रकारिता न सिर्फ जिंदा है, बल्कि दुनिया भर में अपनी पहचान भी बना रही है।

इस सराहना ने ‘द मूकनायक’ की टीम को यह विश्वास और मजबूती दी है कि नागरिकों के सहयोग और पारदर्शिता के उपकरण, जैसे RTI का सही उपयोग करते हुए जनता के मुद्दों को प्रभावशाली तरीके से सामने लाया जा सकता है। यह सम्मान उन पाठकों, समर्थकों और युवाओं के लिए भी प्रेरणा है जो मीडिया को सशक्त और जवाबदेह बनाने में विश्वास रखते हैं। वैश्विक स्तर पर मिली यह पहचान ‘द मूकनायक’ को आगे भी और अधिक गंभीर, शोधपरक और जनहित से जुड़ी पत्रकारिता करने के लिए प्रेरित करती है।

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