'हम बिखरे लोग नहीं, एक राष्ट्र-समुदाय हैं': सीएम हेमंत सोरेन
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार (5 दिसंबर 2025) को कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में देश के विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने आदिवासी समाज की एकजुटता, संस्कृति संरक्षण और राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भूमिका को लेकर महत्वपूर्ण बातें रखीं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि आदिवासी समाज को अब इतिहास के कोने से निकलकर भविष्य के केंद्र में अपनी जगह बनानी होगी।
'वीरता और स्वाभिमान की धरती है झारखंड'
प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि झारखंड की मिट्टी हमेशा से वीरता, स्वाभिमान और संघर्ष की प्रतीक रही है। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा से लेकर दिशोम गुरु शिबू सोरेन तक के संघर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि इन वीर-वीरांगनाओं के त्याग ने आदिवासी अस्मिता को नई दिशा दी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानव सभ्यता के निर्माण में आदिवासी समाज की भूमिका अहम रही है और आज इस समाज में एकता और जागरूकता की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है।
'प्रकृति के पुजारी हैं हम, पर्यावरण संरक्षण हमारी जीवनशैली'
आदिवासी जीवनशैली पर प्रकाश डालते हुए सीएम ने कहा, "हम प्रकृति के पुजारी हैं और यही हमारी सबसे बड़ी पहचान है।" उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिक समय में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के कारण बाढ़, सुखाड़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ी हैं। हमारे पूर्वजों ने जल, जंगल और जमीन के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है, और अब प्रकृति का संतुलन बनाए रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
विदेश में पढ़ाई और शिक्षा पर सरकार का जोर
राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां आदिवासी समाज के विद्यार्थी सरकारी खर्च पर विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासी समाज को सामाजिक, बौद्धिक और शैक्षणिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।
'राष्ट्रीय एजेंडे का हिस्सा बनें हमारी समस्याएं'
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की कि वे समाज के अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा के लिए आने वाले दिनों में देश भर में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएंगे। उन्होंने प्रतिनिधियों से आह्वान करते हुए कहा, "हमें यह बताना होगा कि हम बिखरे लोग नहीं, बल्कि एक राष्ट्र–समुदाय हैं। हमें एकजुट होकर ऐसा संघर्ष करना होगा जिससे हमारी समस्याएं केवल आवाज बनकर न रह जाएं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के एजेंडे का हिस्सा बनें।"
सोशल मीडिया पर साझा की भावनाएं
बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "आज मेरे लिए अलग अनुभव है। देश के अलग-अलग कोने से हमारे वीर पुरुखों का संघर्ष ही हमारी ताकत रही है। मगर दुर्भाग्य से आदिवासी समाज बंटे हुए रहने को मजबूर रहा है।" उन्होंने प्रतिनिधियों का 'क्रांतिकारी भूमि' पर स्वागत करते हुए 'जोहार' किया।
विभिन्न राज्यों से जुटे प्रतिनिधि
इस कार्यक्रम में गुजरात, महाराष्ट्र, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मणिपुर सहित कई राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के संघर्ष को नमन किया और राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर मंत्री दीपक बिरुआ, मंत्री चमरा लिंडा, विधायक कल्पना सोरेन और अशोक चौधरी समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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