नई दिल्ली: हरियाणा कैडर के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की कथित आत्महत्या ने आज एक बड़ा राजनीतिक भूचाल ला दिया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती और भीम आर्मी के संस्थापक व सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने इस घटना को "जातिगत शोषण और प्रताड़ना" का परिणाम बताते हुए हरियाणा सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
शनिवार सुबह 10:30 बजे, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक के बाद एक कई पोस्ट करते हुए लिखा कि इस घटना ने पूरे देश को, खासकर दलित और बहुजन समाज को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा, "यह अति-दुखद व अति-गंभीर घटना ख़ासकर एक सभ्य सरकार के लिये शर्मनाक है और यह साबित करती है कि लाख दावों के बावजूद जातिवाद का दंश कितना अधिक ख़ासकर शासन-प्रशासन में हावी है।"
मायावती ने सरकार की नीयत और नीति पर सवाल उठाते हुए इस मामले की समयबद्ध, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने हरियाणा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि इस मामले की लीपापोती करने का प्रयास न किया जाए और जांच के नाम पर खानापूर्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार से भी इस घटना का स्वतः संज्ञान लेने की अपील की।
इस घटना को सामाजिक व्यवस्था पर एक तीखी टिप्पणी के रूप में प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा:
मायावती के पोस्ट के कुछ ही देर बाद, 11:23 बजे नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने इस मामले में और भी सनसनीखेज और गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने वाई. पूरन कुमार के निधन को "अत्यंत दुखद और चिंताजनक" बताते हुए शव के साथ हुए व्यवहार पर गहरा रोष व्यक्त किया।
चंद्रशेखर ने आरोप लगाया, "सबसे गंभीर और पीड़ादायक यह है कि उनके निधन के बाद शव को ज़बरदस्ती पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया, जबकि उनकी पत्नी अमनीत, जो हरियाणा कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, की सहमति के बिना यह कार्रवाई करने की कोशिश की गई।" उन्होंने इस कृत्य को "बेहद अमानवीय, असंवेदनशील और कई सवाल खड़े करने वाला" बताया।
चंद्रशेखर ने दिवंगत अधिकारी को एक साहसी व्यक्ति के रूप में चित्रित करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा प्रशासन में पारदर्शिता, वरिष्ठता के अधिकार और अनुसूचित जातियों के प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों पर आवाज़ उठाई थी। उन्होंने एक विशिष्ट उदाहरण देते हुए आरोप लगाया कि "नए पद सृजित कर उन्हें अपमानित करने और भेदभावपूर्ण तैनाती देने — जैसे कि IGP (होम गार्ड्स) पद पर नियुक्ति — को सार्वजनिक रूप से उजागर किया था।"
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए चंद्रशेखर आज़ाद ने हरियाणा के मुख्यमंत्री कार्यालय (@cmohry) और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (@NayabSainiBJP) को टैग करते हुए पूरे प्रकरण की तत्काल, निष्पक्ष और पारदर्शी सीबीआई जांच की मांग की है।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि वे न्याय की मांग को और मजबूत करने के लिए आज स्वयं चंडीगढ़ जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात करेंगे।
इन दो बड़े नेताओं के बयानों ने इस मामले में जातिगत भेदभाव और प्रशासनिक प्रताड़ना के आरोपों को केंद्र में ला दिया है, जिससे हरियाणा सरकार पर भारी दबाव बन गया है। इस घटना ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि क्या उच्च पदों पर पहुंचने के बाद भी जाति आधारित भेदभाव समाप्त हो पाता है। अब सभी की निगाहें हरियाणा सरकार की प्रतिक्रिया और इस मामले में होने वाली जांच पर टिकी हैं।
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