नई दिल्ली: वरिष्ठ दलित IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या का मामला अब एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। उनकी दुखद मृत्यु के चार दिन बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने CPP चेयरपर्सन सोनिया गांधी का एक पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर "हुक्मरानों के पूर्वाग्रह से ग्रस्त पक्षपातपूर्ण रवैये" को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इस पत्र ने प्रशासनिक हलकों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मचा दी है।
7 अक्टूबर को, भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक वरिष्ठ अधिकारी, वाई. पूरन कुमार, ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने सरकारी आवास पर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उनके पीछे छोड़े गए आरोपों ने पूरे पुलिस विभाग और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। कथित तौर पर, उन्होंने अपने सुसाइड नोट में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा गंभीर जातिगत उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना का उल्लेख किया था, जिससे तंग आकर उन्होंने यह कदम उठाया।
आज दोपहर 12:45 बजे, कांग्रेस के आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से सोनिया गांधी द्वारा दिवंगत अधिकारी की पत्नी, श्रीमती अमनीत पी. कुमार को लिखा गया एक पत्र सार्वजनिक किया गया। 10 अक्टूबर को लिखे इस पत्र में सोनिया गांधी ने अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा, "आपके पति व वरिष्ठ IPS अधिकारी श्री वाई पूरन कुमार की एक दुखदाई हादसे में देहांत की खबर स्तब्ध करने वाली भी है और मन को व्यथित करने वाली भी।"
पत्र का सबसे महत्वपूर्ण अंश वह है जहाँ उन्होंने इस घटना को एक व्यवस्थागत समस्या से जोड़ा है। उन्होंने लिखा, "श्री वाई पूरन कुमार का देहावसान हमें याद दिलाता रहेगा कि आज भी हुक्मरानों का पूर्वाग्रह से ग्रस्त पक्षपातपूर्ण रवैया बड़े से बड़े अधिकारी को भी सामाजिक न्याय की कसौटी से वंचित रखता है।"
उन्होंने परिवार को न्याय की लड़ाई में पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा, "न्याय की इस डगर पर मैं और करोड़ों देशवासी आपके साथ खड़े हैं।"
सोनिया गांधी के इस पत्र ने इस मामले को एक व्यक्तिगत घटना से ऊपर उठाकर संस्थागत भेदभाव और सामाजिक न्याय के एक बड़े सवाल में बदल दिया है। विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता के रूप में प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है और एक उच्च-स्तरीय, निष्पक्ष जांच की मांग तेज हो गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना आने वाले दिनों में संसद और सड़क पर एक बड़े मुद्दे का रूप ले सकती है।
कई दलित अधिकार संगठन और सिविल सोसाइटी समूह भी इस मामले में मुखर हो गए हैं और उन्होंने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। उनका आरोप है कि यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि प्रशासनिक सेवाओं के शीर्ष स्तर पर भी जातिगत भेदभाव कितना गहरा है।
चंडीगढ़ पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, कथित सुसाइड नोट को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है और उन वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की तैयारी की जा रही है, जिनके नाम का उल्लेख किया गया है। हालांकि, प्रशासन या सरकार की ओर से इस मामले पर अब तक कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है।
वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या ने एक बार फिर भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था के भीतर गहरे तक बैठे जातिगत पूर्वाग्रहों की कड़वी सच्चाई को उजागर कर दिया है। यह घटना न केवल एक काबिल अधिकारी की दुखद क्षति है, बल्कि यह उस सामाजिक न्याय की लड़ाई को भी सामने लाती है, जिसे हासिल करना आज भी एक चुनौती बना हुआ है। अब सभी की निगाहें जांच की दिशा और सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।
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