बसपा में बड़ी कार्रवाई: मायावती ने दिग्गज OBC मुस्लिम नेता शमसुद्दीन राईन को पार्टी से निकाला, फोन कॉल बनी वजह?

पार्टी ने 'अनुशासनहीनता' और 'गुटबाजी' को बताया कारण, तो राईन ने कहा- "बस बहनजी का फोन नहीं उठा सका"
Mayawati expels Shamsuddin Rain.
मायावती ने दिग्गज OBC मुस्लिम नेता शमसुद्दीन राईन को पार्टी से निकाला
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लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में गुरुवार को एक बड़ी कार्रवाई देखने को मिली। पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कड़ा फैसला लेते हुए, पार्टी के प्रमुख ओबीसी मुस्लिम चेहरों में से एक शमसुद्दीन राईन को 'अनुशासनहीनता' और 'गुटबाजी' को बढ़ावा देने के आरोप में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

यह कार्रवाई इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राईन को हाल ही में 16 अक्टूबर को हुई एक बैठक में खुद मायावती ने लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज जैसे महत्वपूर्ण मंडलों की जिम्मेदारी सौंपी थी।

प्रदेश अध्यक्ष ने की निष्कासन की पुष्टि

बसपा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने एक आधिकारिक बयान जारी कर इस निष्कासन की पुष्टि की। पाल ने कहा, "शमसुद्दीन राईन लगातार पार्टी में अनुशासनहीनता कर रहे थे और गुटबाजी को प्रोत्साहित कर रहे थे। उन्हें अतीत में कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन उनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया। पार्टी और आंदोलन के हित में उन्हें निष्कासित किया गया है।"

कौन हैं शमसुद्दीन राईन?

शमसुद्दीन राईन की गिनती बसपा के कद्दावर मुस्लिम नेताओं में होती थी। 2017 में जब मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से निकाला था (सिद्दीकी बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए), तब से राईन ने, खासकर पश्चिमी यूपी में, पार्टी के मामलों को संभाला।

मूल रूप से झांसी जिले के रहने वाले राईन पिछले दो दशकों से पार्टी में सक्रिय थे और उत्तर प्रदेश के विभिन्न मंडलों के प्रभारी रह चुके थे। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तराखंड में भी पार्टी का काम देखा था।

आंतरिक गुटबाजी और टिकट वितरण के भी आरोप

पार्टी सूत्रों के अनुसार, राईन के खिलाफ गुटबाजी के आरोप गंभीर थे। एक वरिष्ठ बसपा नेता ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष को यह जानकारी मिली थी कि राईन अपने प्रभार वाले क्षेत्रों में पिछले चुनावों के दौरान टिकट वितरण में अनियमितता कर रहे थे। इसके अलावा, उन पर संगठन की जिम्मेदारियों से मेहनती कार्यकर्ताओं और नेताओं को हटाने का भी आरोप था। यह भी कहा जा रहा है कि वह 9 अक्टूबर की लखनऊ रैली के लिए गठित आयोजन समिति में शामिल नहीं किए जाने से नाराज चल रहे थे।

राईन का दावा: 'बहनजी' का फोन नहीं उठा सका

वहीं, जब इस कार्रवाई के संबंध में शमसुद्दीन राईन से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने इस फैसले को 'अचानक' और 'हैरान करने वाला' बताया।

राईन ने निष्कासन के पीछे एक चौंकाने वाली वजह का संकेत दिया। उन्होंने कहा, "यह सब सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि मैं आज (गुरुवार) बहनजी (मायावती) का फोन नहीं उठा सका। मेरी तबीयत ठीक नहीं थी। मैंने लगभग एक घंटे बाद उन्हें वापस फोन किया, लेकिन तब तक वह मुझसे बहुत नाराज हो चुकी थीं।" राईन ने इसे ही अपने खिलाफ हुई कार्रवाई का संभावित कारण माना है।

इसके साथ ही, राईन ने मायावती को अपना "राजनीतिक गुरु" बताया और कहा कि 'बहनजी' ने ही उन्हें बूथ यूनिट से लेकर पार्टी के बड़े पदों तक सेवा करने का अवसर दिया था। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि जब 'बहनजी' का गुस्सा शांत हो जाएगा, तो उन्हें वापस बसपा में शामिल कर लिया जाएगा।

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