
कोलकाता- दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम धमाके के ठीक एक दिन बाद कोलकाता के प्रतिष्ठित इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (आईएसआई) कैंपस में नफरत भरी ग्राफिटी ने सबको स्तब्ध कर दिया है। ऑल्ट न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉयज हॉस्टल सीवी रमन हॉल के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ से 'मुस्लिमों और कुत्तों को परिसर में प्रवेश न करने दो' जैसे घृणास्पद संदेश चाक और काले रंग से लिखे मिले। एक पुराने संदेश 'कुत्तों को परिसर में प्रवेश न करें' को सफेद चाक से 'एंड मुस्लिमों' को जोड़कर बदल दिया गया था, जबकि द्वार के दूसरी तरफ ताजा लिखावट में 'नो मुस्लिम' और 'नो मुस्लिम अलाउड' साफ नजर आ रहा था। हॉस्टल की पूर्वी विंग की सीढ़ियों के रेलिंग पर भी 'नो डॉग्स एंड मुस्लिम्स' का संदेश उकेरा गया।
छात्रों ने सबसे पहले मौखिक शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आईएसआई कोलकाता की डायरेक्टर संगीता बंदोपाध्याय, डीन बिस्वब्रता प्रधान और हॉस्टल वार्डन सुभमय मैत्रा ने जनरल अफेयर्स कमिटी के सदस्यों के साथ ग्राफिटी का निरीक्षण किया। छात्रों के अनुसार, डायरेक्टर ने इस कृत्य की सार्वजनिक रूप से निंदा की, लेकिन कार्रवाई में देरी ने छात्रों की चिंताएं बढ़ा दीं हैं। एक लिखित शिकायत के बाद छात्रों ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की मांग की, जो हॉस्टल गेट के पास लगी है, मगर प्रशासन ने इसे ठुकरा दिया।
हालांकि, उन्होंने संवेदनशीलता पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का आश्वासन दिया, जिसमें सभी की उपस्थिति अनिवार्य होगी। 12 नवंबर को रिसर्च स्कॉलर्स और अंडरग्रेजुएट-पोस्टग्रेजुएट 10 छात्रों का एक समूह डीन बिस्वब्रता प्रधान से मिला। उन्होंने जनवरी में सेमिनार आयोजित करने और हॉस्टल गेट पर गार्ड तैनात करने की बात कही, लेकिन पूर्ण जांच पर डायरेक्टर के फैसले का हवाला दे दिया। छात्रों का कहना है कि 36 घंटों में ये ही कदम उठाए गए, और सार्वजनिक बयान का वादा होने के बावजूद शाम तक कुछ नहीं आया, जिससे उन्हें लगता है कि मामला दबाने की कोशिश हो रही है।
आईएसआई 1959 से राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था है जिसके दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई व तेजपुर में कैंपस हैं, लेकिन इस घटना के बाद आईएसआई की छवि पर सवाल उठ रहे हैं।
आपको बता दें, 11 नवंबर की शाम करीब 6:50 बजे लाल किले के पास एक निजी वाहन में विस्फोट हुआ जिसमे 13 लोग मारे गए। धमाके ने पूरे देश में इस्लामोफोबिया का एक तीव्र उफान ला दिया। सोशल मीडिया पर घंटों के अंदर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत की बाढ़ आ गई, जहां कुछ इन्फ्लुएंसर्स ने बिना पुष्टि के अफवाहें फैलाईं। इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर प्रफुल्ल गर्ग के एक रील पर कमेंट्स में 'आंतरिक सफाई' और 'मेरी कम्युनिटी का नरसंहार' जैसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर हजारों पोस्ट्स में मुस्लिमों को 'आतंकवादी' ठहराया गया और सामूहिक सजा की मांग की गई।
उधर असम में दिल्ली विस्फोट को लेकर सोशल मीडिया पर 'आपतिजनक' पोस्ट करने के आरोप में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिससे इस संबंध में गिरफ्तार लोगों की कुल संख्या 15 हो गई है। मुख्यमंत्री हिम्मत विश्व शर्मा ने यह जानकारी दी। बुधवार रात से ये गिरफ्तारियां की गई। शर्मा ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'दिल्ली में विस्पोट के बाद सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के सिलसिले में असम में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
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