टाइम्स स्क्वायर बिलबोर्ड पर CJI गवई को 'एंटी-हिंदू' क्यों ठहराया? सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी कैसे बनी वैश्विक विवाद

'स्टॉप हिंदू जेनोसाइड' कैंपेन- "विष्णु भगवान से माफी मांगो वरना इस्तीफा दो!"
न्यूयॉर्क में बसे कुछ भारतीय सीजेआई से भगवान विष्णु के 'अपमान' के लिए माफी मांगने की डिमांड कर रहे हैं। ये मुहिम 8 नवंबर से शुरू हुई।
न्यूयॉर्क में बसे कुछ भारतीय सीजेआई से भगवान विष्णु के 'अपमान' के लिए माफी मांगने की डिमांड कर रहे हैं। ये मुहिम 8 नवंबर से शुरू हुई।सोशल मीडिया
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न्यूयॉर्क के मशहूर टाइम्स स्क्वायर में है एनआरआई (विदेश में बसे भारतीयों) द्वारा चलाया जा रहा एक कैंपेन सुर्ख़ियों में हैं जो सोशल मीडिया पर छा गया है।'स्टॉप हिंदू जेनोसाइड' नाम से एक हिंदूवादी एनआरआई ग्रुप ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई के पोस्टर लगाए हैं, जिनमें उनके सिर पर जूता फेंकने का अपमानजनक चित्र दिखाया गया है। ग्रुप सीजेआई से भगवान विष्णु के 'अपमान' के लिए माफी मांगने की डिमांड कर रहे हैं। ये मुहिम 8 नवंबर से शुरू हुई और 12 नवंबर तक चलेगी।

इस कैंपेन को लेकर सोशल मीडिया में बहस तेज हो गयी है, सोशल मीडिया पर लोग बंट गए हैं, कोई समर्थन कर रहा है तो कोई घृणा फैलाने का इल्जाम लगा रहा है। बहुजन विचारधारा से जुड़े लोग मानते हैं की ये सिर्फ एक प्रोटेस्ट नहीं है बल्कि जातिवाद का एक रूप है, न्यूयॉर्क के मेयर एरिक एडम्स पर भी दबाव बन रहा है कि ये पोस्टर हटा दें।

टाइम्स स्क्वायर बिलबोर्ड विवाद ने दुनिया भर के बौद्ध और बहुजन एक्टिविस्ट्स में तीव्र आक्रोश पैदा कर दिया है, जो दलित मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के जूता-फेंक अपमान को विदेशी धरती पर बहुजन पहचान पर खुला हमला मानते हैं।
एनआरआई ग्रुप ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई के पोस्टर लगाए हैं, जिनमें उनके सिर पर जूता फेंकने का अपमानजनक चित्र दिखाया गया है।
एनआरआई ग्रुप ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई के पोस्टर लगाए हैं, जिनमें उनके सिर पर जूता फेंकने का अपमानजनक चित्र दिखाया गया है।सोशल मीडिया

क्या है पूरा मामला? यूँ हुई विवाद की शुरुआत

यह विवाद सुप्रीम कोर्ट की 16 सितंबर की सुनवाई से जुड़ा है। मध्य प्रदेश के यूनेस्को सूचीबद्ध खजुराहो मंदिर परिसर में 2023 की एक घटना में क्षतिग्रस्त सात फुट ऊंची भगवान विष्णु की मूर्ति को बहाल करने की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। बेंच की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई गवई ने याचिकाकर्ता से कहा, "इसमें अदालत को क्यों घसीट रहे हो? देवता से ही प्रार्थना कर लो।" बेंच ने याचिका को गैर-न्यायोचित बताते हुए खारिज कर दिया और आगे की समीक्षा के लिए दिसंबर तक स्थगित कर दिया।

सीजेआई गवई की इस टिप्पणी से कुछ हिंदुवादी समूह नाराज हुए। कुछ लोगों ने इसे आस्था पर व्यंग्य माना और इसे पवित्र अनुष्ठानों को अंधविश्वास बताने वाली अपमानजनक टिप्पणी के तौर पर लिया गया ।

इस घटना से नाराज होकर एक वकील ने सीजेआई पर जूता उछालने की भी हिमाकत की थी, घटना 6 अक्टूबर को सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ की सुनवाई के दौरान घटी थी। 71 वर्षीय एक वकील राकेश किशोर ने अचानक मंच की ओर बढ़कर अपना जूता निकाला और न्यायाधीशों की ओर फेंकने का प्रयास किया, जिसे सुरक्षाकर्मियों ने विफल कर दिया।

घटना के बाद, राकेश किशोर ने न केवल अपने कृत्य पर पश्चाताप जताया, बल्कि उसे सही ठहराने का प्रयास किया। उन्होंने मीडिया को दिए बयानों में दावा किया कि वह एक धार्मिक मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणियों से "गहरा आहत" थे। उन्होंने यहां तक कहा, "अगर भगवान ने फिर बुलाया, तो मैं यह फिर से करूंगा"।

सीजेआई गवई की इस टिप्पणी को लेकर ना केवल भारत में विरोध प्रदर्शन हुए बल्कि विदेश में रहने वाले हिन्दूवादी लोगों को भी यह अखरी और इसी कड़ी में 'स्टॉप हिंदू जेनोसाइड' मुहिम के समर्थकों ने गुस्से में कहा "यह सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, हमारे देवताओं और विरासत का अपमान है"।

कुछ एनआरआई ग्रुप ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया। ये लोग अमेरिका में बसे भारतीय हैं, जो अपनी संस्कृति से गहराई से जुड़े हैं। इनके मुताबिक गवई की ये टिप्पणी उनके आस्था पर हमला थी। प्रदर्शन और विरोध जताने के लिए टाइम्स स्क्वायर चुना क्योंकि यहां टूरिस्ट, लोकल्स सब मिलकर रोज 3 लाख से ज्यादा लोग आते हैं, यह ग्लोबल एडवर्टाइजमेंट का केंद्र है और यहाँ बिलबोर्ड्स जैसे कोका-कोला के ऐड्स, एमटीवी कैंपेन आदि विज्ञापन वायरल हो जाते हैं। ग्रुप ने अपनी नाराज़गी जाहिर करने के लिए यह जगह चुनी ताकि दुनिया भर में यह जाहिर हो।

इसीलिए 'स्टॉप हिंदू जेनोसाइड' कैंपेन/ समूह ने होर्डिंग लगाए जिनमें से एक में भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के चेहरे पर जूता प्रदर्शित किया गया था और उनसे भगवान विष्णु का मज़ाक उड़ाने के लिए माफ़ी मांगने को कहा गया था। वे चाहते हैं कि पूरी दुनिया उनके गुस्से को देखे और अदालती कारवाई को एक बड़े वैश्विक मुद्दे में बदल दे, जिससे विदेशों में बिखरे हिंदू भी उनके पक्ष में आ जाएँ।

बिलबोर्ड्स पर सिर्फ सीजेआई गवई नहीं, पूर्व सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, यू.यू. ललित जैसे जजों को भी निशाना बनाया। कहा गया कि उनके फैसले हिंदू विरोधी हैं। ग्रुप की वेबसाइट पर पत्र है: "हिंदू विश्वास का अपमान बंद करो।"

एक्स और इन्सटाग्राम आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म इस मुहिम का कोलोसियम बन गया है, जहां #एपोलोजाइज टू विष्णु जैसे हैशटैग से पोस्ट हो रहे हैं। एक समर्थक @अविनाशकेएस14 ने बिलबोर्ड्स की फोटोज पोस्ट कीं और लिखा: "ग्लोबल हिंदू डायस्पोरा ने न्यूयॉर्क के मशहूर टाइम्स स्क्वायर पर भारत के एंटी-हिंदू सीजेआई बी.आर. गवई और जजों को एक्सपोज किया, साथ ही विशाल टाइम्स स्क्वायर बिलबोर्ड पर उनके सिर पर जूता फेंकने का चित्र दिखाया, जो हिंदुओं से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग कर रहा है।"

@मेघअपडेट्स ने इसपर लिखा: "प्रोटेस्ट ब्रेकआउट... भगवान विष्णु से माफी की कॉल।" उनके लिए ये सशक्तिकरण है: "एनआरआई आखिरकार एलीट बायस के खिलाफ बोल पड़े," जैसा एक यूजर ने कहा। एक और समर्थक ने लिखा: "जब आस्था का अपमान हो, चुप्पी विकल्प नहीं। टाइम्स स्क्वायर की आवाजें सहिष्णुता में विश्वास करने वाली सभ्यता का गौरव दर्शाती हैं, लेकिन अपनी गरिमा या देवताओं की कीमत पर कभी नहीं।"

टाइम्स स्क्वायर बिलबोर्ड विवाद ने दुनिया भर के बौद्ध और बहुजन एक्टिविस्ट्स में तीव्र आक्रोश पैदा कर दिया है, जो दलित मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के जूता-फेंक अपमान को विदेशी धरती पर बहुजन पहचान पर खुला हमला मानते हैं। बहुजन विद्वान इसे सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं, बल्कि अंबेडकर की विरासत पर वैश्विक थप्पड़ बताते हैं। सोशल मीडिया भी पूरी तरह बंट गया है, एक तरफ हिंदू गौरव के नारे, दूसरी तरफ घृणा और जातिवाद के आरोप, और रार लगातार चल रही है, जो डायस्पोरा की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रही है।

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