गुजरात में तेज हुआ महाबोधि मुक्ति आंदोलन: SSD वालंटियर्स बोले— जो बुद्ध धम्म का पालन करते हैं, वही समझते बुद्ध का मार्ग!

ब्राह्मण मुक्त बुद्ध विहार का आंदोलन तेज, गुजरात में हर जिले में ज्ञापन और प्रदर्शन
बौद्धों की विरासत व धरोहर (महाबोधि महाविहार) मुक्ति को लेकर  गुजरात के  सभी जिलों और शहरों में आयोजन हो रहे हैं.
बौद्धों की विरासत व धरोहर (महाबोधि महाविहार) मुक्ति को लेकर गुजरात के सभी जिलों और शहरों में आयोजन हो रहे हैं.
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अहमदाबाद/ गुजरात के विभिन्न जिलों से — गुजरात के विभिन्न शहरों में बौद्ध समुदाय ने बिहार के महाबोधि महाविहार मंदिर के प्रबंधन को लेकर जोरदार आंदोलन शुरू कर दिया है। मंदिर को गैर-बौद्धों के नियंत्रण से मुक्त कराने की मांग को लेकर स्वयम् सैनिक दल (SSD) के स्वयंसेवक सड़कों पर उतर आए हैं।

राज्य के हर जिले में ज्ञापन और प्रदर्शन के माध्यम से बौद्ध समुदाय ने सरकार से मांग की है कि बोधगया स्थित महाबोधि महाविहार मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह से बौद्ध समुदाय को सौंपा जाए।

स्वयम् सैनिक दल (SSD) के संजय बौद्ध ने द मूकनायक को बताया कि समुदाय द्वारा बिहार राज्य स्थित बोधगया मे 'महाबोधी महाविहार' को विधर्मियो से मुक्ति की मांग को लेकर कई सालो से भारत व विश्व के विविध बौद्ध संगठन और बौधिस्टो द्वारा अलग-अलग समय पर आंदोलन चलाया गया; लेकिन आजतक सरकार, कोर्ट या कोई राजनैतिक संगठन द्वारा इस विषय में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

इतने आंदोलनों, आवेदनों, प्रार्थना पत्र व सरकार से मांग को लेकर कोई कदम न उठाए जाने पर भारत व विश्व के बौद्ध लोग पिछले कई दिनों से बोधगया मे अनिश्चित काल तक अनशन पर बैठे है। स्वयम् सैनिक दल (SSD) के माध्यम से 'महाबोधि महाविहार' मुक्ति की मांग करते हुए महत्वपूर्ण पहलू के साथ कुछ बातें साझा करना चाहते हैं।

संजय बौद्ध ने आगे कहा, "दुनिया के किसी भी देश में किसी भी धर्म की धरोहर, मंदिर या पूजा स्थल पर विधर्मी लोगो द्वारा संचालन नहीं किया जाता है, तो फिर 'महाबोधि महाविहार' के संचालन, पालन, रखरखाव, पूजा आदि विधार्मियो द्वारा क्यों किया जाता है? आज भारत में बौद्ध समुदाय लघुमति की स्थिति में है, आज लघुमती लोगो के द्वारा इतने सालो तक मांग किए जाने के बावजूत भी सरकार व माननीय अदालत का पक्षपाती रुख के साथ अवहेलना नजर आती है।

भारत में कई मंदिर, मस्जिद व अन्य धर्म स्थानों के संचालन हेतु अपना ट्रस्ट है और अपने धर्म के अष्ठा के साथ नीतिनियमों के अनुसार उनका संचालन करते है। तो फिर बौद्धों के लिए अलग नियम/कानून क्यूँ? उक्त सभी पहेलुओ को देखते हुए, हमारी मांग है कि , 'महाबोधि महाविहार' के संचालन के नाम पर जो हिंदू ब्राम्हणों ने कब्जा कर रखा है वो कानून (Bodh Gaya Temple Act of 1949) पूरी तरह खत्म किया जाए।

सभी जगह जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,गुजरात के मुख्यमंत्री को स्वयम् सैनिक दल द्वारा आवेदन दिया गया है।
सभी जगह जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,गुजरात के मुख्यमंत्री को स्वयम् सैनिक दल द्वारा आवेदन दिया गया है।

बौद्धों की विरासत व धरोहर (महाबोधि महाविहार) मुक्ति को लेकर गुजरात के सभी जिलों और शहरों में आयोजन हो रहे हैं. पोरबंदर, भरूच, वाव -थराद, गांधीनगर , बडौदा, अमरेली, पाटन सहित सभी जगह जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,गुजरात के मुख्यमंत्री को स्वयम् सैनिक दल द्वारा आवेदन दिया गया है।

आंदोलनकारियों ने कहा, "यह मंदिर बौद्ध धर्म की पवित्र धरोहर है। इसे गैर-बौद्धों के नियंत्रण से मुक्त कराना हमारा अधिकार है। हम चाहते हैं कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले और हमारी मांगों को पूरा करे।"

आंदोलन की पृष्ठभूमि


महाबोधि महाविहार मंदिर, जहां गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था, बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। हालांकि, 1949 के बोधगया टेंपल एक्ट के तहत, मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी एक नौ सदस्यीय समिति (BTMC) को दी गई है, जिसमें केवल चार सदस्य बौद्ध हैं और पांच सदस्य गैर-बौद्ध हैं। यह व्यवस्था बौद्ध समुदाय के लिए लंबे समय से विवाद का विषय रही है।

बौद्ध समुदाय का आरोप है कि मंदिर के प्रबंधन में गैर-बौद्धों का वर्चस्व होने के कारण मंदिर की पवित्रता और ऐतिहासिक महत्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उनका यह भी आरोप है कि मंदिर परिसर में शिवलिंग स्थापित करके और बुद्ध की मूर्तियों को पांडवों से जोड़कर मंदिर को हिंदूकृत करने का प्रयास किया जा रहा है।

महाबोधि विहार को बौद्धों के नियंत्रण में वापस लाने की मांग को लेकर मिशिगन के बौद्ध समुदाय ने प्रदर्शन किया।
महाबोधि विहार को बौद्धों के नियंत्रण में वापस लाने की मांग को लेकर मिशिगन के बौद्ध समुदाय ने प्रदर्शन किया।

आन्दोलन को अनेक बौद्ध संगठनों का समर्थन मिल रहा है. अखिल भारतीय दलित, आदिवासी, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ ओम सुधा ने कहा, " ब्राह्मण मुक्त बुद्ध विहार का आंदोलन तेज हो रहा है, हम इस आंदोलन का पूर्ण समर्थन करते हैं, जो बुद्ध में आस्था रखता है जो बुद्धिस्ट है, वहीं लोग महाबोधि विहार को संचालित करना चाहिए, गैर बुद्धिस्ट लोग सिर्फ़ वहां बिजनेस कर रहे हैं, सरकार को ध्यान देना चाहिए गया के बुद्ध विहारों को ब्राह्मण मुक्त करना चाहिए।"

महाबोधि विहार को बौद्धों के नियंत्रण में वापस लाने की मांग को लेकर मिशिगन के बौद्ध समुदाय ने प्रदर्शन किया है। डेट्रॉइट, मिशिगन में 50,000 से अधिक बौद्ध आबादी है, और दुनिया भर के बौद्ध समुदायों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, बांग्लादेश, थाईलैंड, लाओस, श्रीलंका, ताइवान और भारत के लोग शामिल हैं।

एक ऑनलाइन पेटिशन, जिसका शीर्षक "In Solidarity: Demand Buddhist Control Over the Mahabodhi Temple" है, को व्यापक समर्थन मिला है और अब तक 20,000 से अधिक हस्ताक्षर जुटाए जा चुके हैं।


बौद्ध समुदाय का आरोप है कि सरकार मंदिर से राजस्व कमाने में लगी हुई है, लेकिन बौद्धों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। उनका कहना है कि मंदिर के प्रबंधन में गैर-बौद्धों का वर्चस्व होने के कारण बौद्ध धर्म के इतिहास को विकृत किया जा रहा है और मंदिर की पवित्र पहचान को कमजोर किया जा रहा है।

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