
भोपाल। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के उन्हेल नगर से जुड़ी यह खबर नगर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। नगर परिषद में कार्यरत सफाई कर्मचारियों का सब्र आखिरकार जवाब दे गया है। लगातार तीन महीने से वेतन का भुगतान नहीं होने से नाराज कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से कामकाज ठप कर दिया और नगर परिषद कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। हड़ताल का सीधा असर शहर की सफाई व्यवस्था पर पड़ा है और कई इलाकों में गंदगी के ढेर लगने लगे हैं।
‘वेतन नहीं तो काम नहीं’ के नारे के साथ उतरे कर्मचारी
धरने पर बैठे सफाई कर्मचारियों का कहना है कि वे नगर परिषद की रीढ़ हैं। शहर की साफ-सफाई, कचरा उठाने और स्वच्छता बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा। कर्मचारियों ने बताया कि बीते तीन महीनों से उन्हें एक भी रुपया नहीं मिला है। बार-बार नगर परिषद अधिकारियों और जिम्मेदार कर्मचारियों को मौखिक और लिखित रूप से अवगत कराने के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया। आर्थिक तंगी के चलते कर्मचारियों के लिए घर चलाना, बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाना और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना बेहद मुश्किल हो गया है।
प्रशासन पर उपेक्षा और लापरवाही के आरोप
हड़ताली कर्मचारियों ने नगर परिषद प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि प्रशासन उनकी समस्याओं को लगातार नजरअंदाज कर रहा है। सफाई कर्मचारी सुबह-सुबह और देर शाम तक मेहनत करते हैं, बारिश, सर्दी और गर्मी में भी बिना रुके शहर को साफ रखते हैं, लेकिन जब मेहनत की कमाई समय पर नहीं मिलती तो यह सीधा अन्याय है। कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि वेतन भुगतान को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती और हर बार सिर्फ आश्वासन देकर टाल दिया जाता है।
शहर की सफाई व्यवस्था चरमराई
सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का असर शहर में साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। कई वार्डों में कचरा नहीं उठाया जा सका है, नालियों की सफाई ठप है और सड़कों पर गंदगी फैलने लगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो स्वच्छता और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं और बढ़ सकती हैं। नागरिकों ने भी नगर परिषद से अपील की है कि कर्मचारियों का बकाया वेतन तुरंत जारी किया जाए, ताकि सफाई व्यवस्था दोबारा पटरी पर लौट सके।
धरना स्थल पर कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों के लोग भी पहुंचे। उन्होंने सफाई कर्मचारियों की मांगों को जायज बताया और नगर परिषद प्रशासन से जल्द से जल्द बकाया वेतन का भुगतान करने की मांग की। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि सफाई कर्मचारी सबसे अहम सेवाओं में से एक हैं और उनके साथ इस तरह का व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। यदि प्रशासन समय रहते कदम नहीं उठाता है तो आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।
आंदोलन तेज करने की चेतावनी
सफाई कर्मचारियों ने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। जरूरत पड़ी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल और उग्र प्रदर्शन का रास्ता भी अपनाया जाएगा। कर्मचारियों ने साफ कहा कि आंदोलन के कारण यदि शहर की व्यवस्था और बिगड़ती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी नगर परिषद प्रशासन की होगी।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए सफाई कर्मी अशोक वाल्मीकि ने कहा कि पिछले तीन महीनों से उन्हें और उनके साथियों को वेतन नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि लगातार काम करने के बावजूद जब समय पर मेहनताना नहीं मिलता तो परिवार चलाना बेहद मुश्किल हो जाता है। “घर का राशन, बच्चों की पढ़ाई और दवाइयों तक के लिए उधार लेना पड़ रहा है। कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला,” अशोक वाल्मीकि ने कहा।
उन्होंने आगे कहा कि सफाई कर्मचारी हर मौसम में, हर हाल में शहर को साफ रखने का काम करते हैं। “बरसात हो या तेज गर्मी, हम रोज सुबह से काम पर निकलते हैं, लेकिन जब तीन-तीन महीने का वेतन नहीं मिलता तो मनोबल टूट जाता है। हमारी मांग बस इतनी है कि हमें समय पर हमारा हक दिया जाए।”
अशोक वाल्मीकि ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द वेतन का भुगतान नहीं हुआ तो सभी सफाई कर्मचारी मजबूर होकर आंदोलन को और तेज करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह नगर परिषद प्रशासन की होगी।
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