MP बैतूल कोयला खदान हादसा: छत ढहने से तीन कर्मचारियों की मौत, जांच शुरू

भारतीय खदान अधिनियम, 1952 के तहत कोयला खदानों में सुरक्षा उपायों का पालन न करने पर कंपनी और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।
MP बैतूल कोयला खदान हादसा: छत ढहने से तीन कर्मचारियों की मौत, जांच शुरू
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भोपाल। मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (WCL) की छतरपुर-1 कोयला खदान में गुरुवार दोपहर दर्दनाक हादसा हो गया। खदान के अंदर छत गिरने से तीन कर्मचारियों की दबकर मौत हो गई। मृतकों के शव बाहर निकालकर घोड़ाडोंगरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजे गए, जहां शुक्रवार सुबह पोस्टमार्टम किया जाएगा।

कैसे हुआ हादसा?

घटना पाथाखेड़ा क्षेत्र में दोपहर 3 बजे हुई, जब छतरपुर-1 खदान के मुहाने से लगभग 3.5 किलोमीटर अंदर कंट्यूनर माइनर सेक्शन में कर्मचारी कोयला काटने का काम कर रहे थे। उसी दौरान खदान की छत अचानक ढह गई। बताया जा रहा है कि लगभग 10 मीटर की छत गिरी थी, जिसके नीचे दबकर तीन कर्मचारियों की मौके पर ही मौत हो गई।

घटनास्थल पर मौजूद अधिकारियों के अनुसार, हादसे के समय वहां जॉय माइनिंग सर्विस कंपनी की ऑस्ट्रेलियाई मशीनें काम कर रही थीं। भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया कि टीम मशीन से खुदाई के तुरंत बाद मौके पर पहुंच गई थी, लेकिन बिना सुरक्षा समर्थन (सपोर्ट सिस्टम) के छत के नीचे जाने के कारण यह हादसा हुआ।

इस हादसे में जान गंवाने वाले तीनों कर्मचारी अनुभवी और लंबे समय से कोयला खदान में कार्यरत थे:-

1. गोविंद कोसरिया (37 वर्ष, शिफ्ट इंचार्ज)

निवासी: रोहंगी गांव, कबीरधाम, छत्तीसगढ़

2019 में WCL कंपनी जॉइन की थी।

2023 में छत्तीसगढ़ से पाथाखेड़ा ट्रांसफर हुआ था।

2. रामप्रसाद चौहान (46 वर्ष, माइनिंग सरदार)

निवासी: हॉस्पिटल कॉलोनी, पाथाखेड़ा

2004 में WCL से जुड़े थे।

3. रामदेव पंडोले (49 वर्ष, ओवरमैन)

निवासी: शोभापुर कॉलोनी

1995 में WCL से जुड़े थे।

हादसे की सूचना मिलते ही कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, पुलिस अधीक्षक निश्चल झारिया और विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे मौके पर पहुंचे। कलेक्टर ने रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और मृतकों के परिजनों को तत्काल सहायता राशि देने के निर्देश दिए।

आर्थिक सहायता

WCL की लाइफ कवर स्कीम से मृतकों के परिजनों को ₹1.5 लाख की अनुग्रह राशि मिलेगी। एक्सग्रेशिया, ग्रेच्युटी, पीएफ और अन्य मुआवजा जल्द दिया जाएगा।

मध्य प्रदेश के श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने घटना पर दुख जताते हुए कहा, "मृत श्रमिकों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। प्रमुख सचिव ने कलेक्टर और श्रम अधिकारी से बात कर मुआवजे की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए हैं।"

नागपुर से कोल इंडिया की जांच टीम मौके पर पहुंच चुकी है। कोल इंडिया की एडवांस्ड डिजास्टर इन्वेस्टिगेशन टीम (एडी टीम) एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी। हादसे की गंभीरता को देखते हुए इसकी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी भी हो सकती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज के नेतृत्व में जांच संभव है।

विशेषज्ञों के अनुसार, कोयला खदान हादसों में अगर दो से अधिक मौतें होती हैं, तो उसे डिजास्टर एक्सीडेंट की श्रेणी में रखा जाता है। यदि कोल इंडिया इसे गंभीर मानता है, तो घटना की उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी।

क्या कहता है कानून?

भारतीय खदान अधिनियम, 1952 के तहत कोयला खदानों में सुरक्षा उपायों का पालन न करने पर कंपनी और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

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