भोपाल। मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल इन दिनों अपने "भिखारी" वाले बयान को लेकर विवादों में हैं। उनके इस बयान के बाद प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। कांग्रेस ने मंत्री के बयान को अपमानजनक बताते हुए उनके खिलाफ पुतला दहन किया और मुख्यमंत्री मोहल यादव से उनकी बर्खास्तगी की मांग की।
दरअसल, मंत्री प्रहलाद पटेल विगत दिनों राजगढ़ जिले के सुठालिया में वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि –
"अब तो लोगों की सरकार से भीख मांगने की आदत पड़ गई है। नेता आते हैं, तो एक टोकरी में कागज मिलते हैं। मंच पर माला पहनाते हैं और एक कागज पकड़ा देते हैं। यह अच्छी आदत नहीं है। लेने की बजाय देने का मानस बनाएं। मैं दावे से कहता हूं कि आप सुखी होंगे और एक संस्कारवान समाज को खड़ा करेंगे। यह भिखारी की फौज इकट्ठा करना समाज को मजबूत करना नहीं, बल्कि कमजोर करना है।"
मंत्री के इस बयान के बाद प्रदेश में विरोध शुरू हो गया। विपक्ष ने इसे जनता का अपमान करार दिया और भाजपा सरकार पर गरीबों और किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया।
मंत्री प्रहलाद पटेल के बयान को लेकर मंगलवार को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भोपाल में विरोध प्रदर्शन किया और उनका पुतला जलाया।
कांग्रेस के एससी विभाग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार ने कहा, "जिस जनता के वोट से जीतकर आए हैं, उसी जनता को मंत्री प्रहलाद पटेल भिखारी कह रहे हैं। यह गरीबों और पिछड़ों का अपमान है। मंत्री को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए और मुख्यमंत्री को उन्हें तुरंत पद से हटाना चाहिए।"
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार गरीबों, किसानों, दलितों और पिछड़े वर्गों को मिलने वाली योजनाओं को भीख बताकर उनका अपमान कर रही है। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने द मूकनायक से कहा, "अगर सरकार की योजनाओं का लाभ लेना भीख मांगना है, तो फिर भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना, राशन योजना, और छात्रवृत्ति योजनाएं क्यों चलाईं? क्या भाजपा सरकार का यह मानना है कि गरीबों को इन योजनाओं का लाभ नहीं लेना चाहिए?"
गौरतलब है कि नवंबर 2023 की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसमें प्रह्लाद पटेल विधानसभा चुनाव के दौरान घर-घर जाकर वोट मांगते नजर आ रहे हैं। वे मतदाताओं के आगे हाथ जोड़कर समर्थन की अपील कर रहे थे। लेकिन अब जब जनता अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मांग पत्र दे रही है, तो उसे वह ‘भीख’ कह रहे हैं।
मंत्री के बयान से सुठालिया और आसपास के ग्रामीणों में नाराजगी देखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने का यही एक तरीका है, लेकिन अगर इसे 'भीख' कहा जाएगा तो फिर उनकी समस्याओं का समाधान कैसे होगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां लोग अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए मांग पत्र सौंपते हैं, वहां इस तरह की टिप्पणी भाजपा के खिलाफ नाराजगी पैदा कर सकती है।
कांग्रेस के बढ़ते विरोध और जनता की नाराजगी को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव मंत्री प्रहलाद पटेल से इस्तीफा लेंगे? हालांकि, भाजपा के रुख से साफ है कि पार्टी फिलहाल अपने मंत्री के बचाव में खड़ी है। वहीं, कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर मंत्री माफी नहीं मांगते, तो वे प्रदेशभर में आंदोलन करेंगे।
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