भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री के बेटे संदीप पटेल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) ने एक फर्जी नोटशीट के आधार पर एग्रीमेंट रजिस्टर्ड कराया, जिसे मंडी समिति ने अपनी बैठक में प्रस्ताव पारित कर वैध ठहराया था। हालांकि, यह प्रस्ताव मध्यप्रदेश शासन के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन था, क्योंकि मंडी समिति की जमीन को उप पट्टे (सबलीज) पर देने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं था।
मंडी समिति ने बैठक बुलाकर प्रस्ताव पारित किया और जिस नोटशीट के आधार पर यह निर्णय लिया गया, वह पूरी तरह से फर्जी थी। मध्यप्रदेश शासन के नियमों के अनुसार, मंडी समिति की जमीन को किसी अन्य संस्था या व्यक्ति को सबलीज पर नहीं दिया जा सकता, लेकिन इस मामले में नियमों की अनदेखी कर प्रक्रिया पूरी की गई। HPCL ने मंडी समिति के सचिव और संदीप पटेल को पत्र भेजकर पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए सबलीज की मांग की, जबकि उसे अच्छी तरह पता था कि ऐसा करना गैरकानूनी होगा। इसके बावजूद जब मंडी समिति ने फर्जी प्रस्ताव पारित कर दिया, तब HPCL ने पेट्रोल पंप की स्थापना की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी।
एचपीसीएल के पास एक बड़ी लीगल टीम होती है, जो किसी भी सरकारी नियम और कानूनी प्रावधानों का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही निर्णय लेती है। लेकिन इस मामले में HPCL ने सभी नियमों को नजरअंदाज कर दिया, जिससे साफ पता चलता है कि इसमें मंडी समिति, HPCL और पूर्व कृषि मंत्री के बेटे संदीप पटेल के बीच मिलीभगत थी। सवाल उठता है कि अगर HPCL को मालूम था कि मंडी समिति की जमीन को सबलीज पर देना गैरकानूनी है, तो उसने इस प्रक्रिया को आगे क्यों बढ़ाया?
मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में आखिरी बार 25 मई 2009 को राजपत्र प्रकाशित हुआ, जिसमें 13(2) के तहत यह स्पष्ट किया गया कि पट्टे पर दी गई भूमि को किराए पर नहीं दिया जा सकता। इससे पहले 14 अक्टूबर 2005 के राजपत्र के 12(6) में यह स्पष्ट था कि पट्टे पर दी गई भूमि को उप पट्टे पर नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा, 15(2) के तहत यह भी निर्धारित किया गया था कि यदि पट्टे पर दी गई भूमि का उपयोग दो वर्षों के भीतर नहीं किया जाता है, तो मंडी समिति के पास उसे वापस लेने का अधिकार है।
लेकिन मंडी समिति की फर्जी नोटशीट के आधार पर 11 फरवरी 2011 को पूर्व मंत्री के बेटे संदीप पटेल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच अनुबंध हुआ। इस अनुबंध के तहत संदीप पटेल को 1 सितंबर 2010 से 31 जुलाई 2036 तक प्रतिमाह 23,500 रुपये किराया (रेंट) दिए जाना तय किया गया। यह अनुबंध इस बात का प्रमाण है कि जिस जमीन को सेवा कार्यों के लिए पट्टे पर दिया गया था, उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए संदीप ने किराए पर दे एचपीसीएल को देदी।
साल 2005 में मंडी समिति ने अपनी जमीन का एक हिस्सा पूर्व मंत्री कमल पटेल के बेटे संदीप पटेल को पट्टे पर दिया, जिसमें दो वर्षों के भीतर उपयोग और उप पट्टे पर न देने की शर्त थी। लेकिन 2009 तक कोई कार्य नहीं हुआ और रसूख के चलते न तो पट्टा निरस्त हुआ, न ही कोई कार्रवाई हुई।
2010 में संदीप पटेल ने मंडी से पेट्रोल पंप के लिए जमीन उप पट्टे पर देने की अनुमति मांगी, जिसे हिंदुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड ने भी समर्थन दिया। मंडी समिति ने नियमों में बदलाव के लिए कृषि विपणन बोर्ड को प्रस्ताव भेजा, लेकिन स्वीकृति न मिलने पर तत्कालीन मंडी सचिव संजीव श्रीवास्तव ने फर्जी नोटशीट बनाकर मंडी समिति की बैठक में कंडिका आठ को समाप्त करने का निर्णय दिखाया।
02 अगस्त 2010 को फर्जी संशोधन के आधार पर संदीप पटेल को जमीन उप पट्टे पर देने की अनुमति दी गई, जबकि मूल अनुबंध में यह स्पष्ट रूप से वर्जित था। यह साजिश मंडी समिति, संदीप पटेल और पेट्रोल पंप कंपनी की मिलीभगत को उजागर करती है।
इस संबंध में द मूकनायक ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) से प्रतिक्रिया प्राप्त करने की कोशिश की। कंपनी को ईमेल भेजे गए, लेकिन समाचार लिखे जाने तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
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