
नई दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने राज्य में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को फिर से शुरू करने का औपचारिक आदेश जारी कर दिया है। करीब तीन साल के लंबे अंतराल के बाद योजना को "तत्काल प्रभाव" से लागू किया जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही केंद्र ने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कई कड़ी और विशेष शर्तें भी जोड़ दी हैं।
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में 6 दिसंबर को यह महत्वपूर्ण आदेश जारी किया। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि राज्य में मनरेगा का क्रियान्वयन "तत्काल प्रभाव" से संभावित (Prospective) रूप से बहाल किया जा रहा है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी 27 अक्टूबर को केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें हाई कोर्ट के 18 जून के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने केंद्र को छूट दी थी कि वह भ्रष्टाचार रोकने के लिए बंगाल पर विशेष शर्तें लागू कर सकता है।
केंद्र द्वारा जारी आदेश के 'एनेक्सचर ए' (Annexure A) में उन नियमों का विस्तार से उल्लेख है, जिन्हें बंगाल सरकार को अनिवार्य रूप से मानना होगा:
100% ई-केवाईसी और बायोमेट्रिक: सभी श्रमिकों का शत-प्रतिशत ई-केवाईसी (e-KYC) पूरा करना अनिवार्य होगा। मस्टर रोल केवल उन्हीं श्रमिकों के लिए जारी किए जाएंगे जिनका सत्यापन पूरा हो चुका है।
तिमाही लेबर बजट: आमतौर पर लेबर बजट पूरे साल के लिए पास किया जाता है, लेकिन बंगाल के मामले में केंद्र हर तीन महीने (Quarterly) पर बजट की समीक्षा और मंजूरी देगा। यह मंजूरी राज्य के प्रदर्शन और शर्तों के पालन पर निर्भर करेगी।
काम की लागत पर सीमा: केंद्र ने स्पष्ट किया है कि ममता बनर्जी सरकार राज्य में 20 लाख रुपये से अधिक की लागत वाला कोई भी काम मनरेगा के तहत नहीं करा सकेगी।
सख्त मॉनिटरिंग: सभी सामुदायिक कार्यों के लिए 'डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट' (DPR) अनिवार्य होगी, जिसे जिला मजिस्ट्रेट (DM) से मंजूरी लेनी होगी। साथ ही, सभी अनुमान 'सिक्योर सॉफ्ट' (SECURE Soft) के माध्यम से ही तैयार किए जाएंगे।
पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस योजना का फिर से शुरू होना लाखों परिवारों के लिए सुकून भरा है। आंकड़ों के मुताबिक, योजना बंद होने से पहले 2014-15 से 2021-22 के बीच राज्य के लगभग 51 लाख से 80 लाख परिवार हर साल इस योजना का लाभ उठाते थे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 9 मार्च 2022 को मनरेगा की धारा 27 का हवाला देते हुए फंड पर रोक लगा दी थी, जिसका कारण केंद्रीय निर्देशों का पालन न करना और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप बताए गए थे। अब नए सख्त नियमों के साथ काम फिर से पटरी पर लौटने की उम्मीद है।
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