कब तक वादों से छलोगे सरकार? मध्यप्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की पीड़ा बयां करती ये रिपोर्ट!

तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अगस्त 2022 को एलान किया था कि अगले एक साल में 1 लाख सरकारी पदों पर भर्ती होगी। एलान के बाद अब तक 55 हजार पदों पर ही भर्ती निकाली गईं। परीक्षा हुई लेकिन इनमें से करीब 35 हजार भर्ती परीक्षाओं का परिणाम आजतक घोषित ही नहीं हो पाया है।
कब तक वादों से छलोगे सरकार? मध्यप्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की पीड़ा बयां करती ये रिपोर्ट!

भोपाल। "साल 2016 में 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद पिता ने मुझे पढ़ने के लिए इंदौर भेजा था। पिताजी चाहते थे, मैं सरकारी नौकरी में जाऊं, मैं पढ़ने में अच्छा था। इंदौर आकर प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग की यही से ग्रेजुएशन किया, आठ साल से तैयारी कर रहा था लेकिन भर्तियां नहीं निकली अब घर बापस जाकर पापा को क्या जवाब दूंगा? इसलिए अब मैं इंदौर में ही एक प्राइवेट कम्पनी में सेल्स मेन की नौकरी कर रहा हूँ। मेरी पढ़ाई में पिताजी ने लाखों रुपए खर्च कर दिया। मेरे पिता गाँव में खेती करते हैं, अब पढ़ाई के लिए उनसे और पैसे नहीं ले सकता।"

यह पीड़ा मुरैना जिले के छात्र प्रेम पाल सिंह की है। इंदौर में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। जब आठ साल तैयारी के बाद भर्तियां नहीं निकली तो इन्होंने पढ़ाई छोड़कर प्राइवेट कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। ऐसी ही पीड़ा प्रदेश के हज़ारों बेरोजगार युवाओं की है, जो शासकीय नौकरी में भर्तियां नहीं आने से परेशान हैं। युवाओं की यह पीड़ा सरकार के वादों की याद दिला रहे हैं। जो वादे सरकार ने चुनाव के पहले युवाओं से किए थे। 

दरअसल, चुनाव नजदीक आते ही सरकार हर एक वर्ग से लुभावने वादे करती है। लेकिन यह वादे चुनावी मंच से आगे नहीं जाते। मध्य प्रदेश में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लाखों में शासकीय स्थाई पद रिक्त होने के बावजूद इनमें भर्ती नहीं हो पा रही है। प्रदेश सरकार ने अगस्त 2023 तक एक लाख पदों पर भर्ती किए जाने का लक्ष्य तय किया था, लेकिन युवाओं से किया यह वादा सरकार पूरा नहीं कर सकी। अब फिर लोकसभा चुनाव आ रहे हैं, लिहाजा अब फिर युवाओं को लुभाने के लिए कई वादे किए जाएंगे! 

मध्य प्रदेश रोजगार पोर्टल के अनुसार अबतक 41 लाख से भी ज्यादा युवा रोजगार पंजीयन करा चुके हैं। लेकिन नौकरी का कोई अता-पता नहीं हैं! यह सिर्फ शासकीय आंकड़ा है, जो युवाओं के पंजीयन के आधार पर है। लेकिन बेरोजगार युवाओं की संख्या करोड़ो में हैं। इसके बाद भी सरकार शासकीय स्थाई भर्तियों की जगह एजेंसीज के माध्यम से आउटसोर्स पर भर्तियां कर रही है। 

मध्य प्रदेश सरकार ने साल 2023 तक एक लाख युवाओं को शासकीय पदों पर नौकरी देने का एलान किया था। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अगस्त 2022 को एलान किया था कि अगले एक साल में 1 लाख सरकारी पदों पर भर्ती होगी। उन्होंने 15 अगस्त 2023 तक का टारगेट भी फिक्स किया था। उनके एलान के बाद अब तक 55 हजार पदों पर ही भर्ती निकाली गईं। परीक्षा हुई लेकिन इनमें से करीब 35 हजार भर्ती परीक्षाओं का परिणाम आजतक घोषित ही नहीं हो पाया है। 

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सालभर में 2 लाख नए पंजीयन

वर्तमान में रोजगार पोर्टल के मुताबिक 41,93,019 युवाओं का पंजीयन किया जा चुका है। वहीं यह आंकड़ा 2023 में 39 लाख के करीब था। यानि सिर्फ एक साल में ही दो लाख लोगों ने पंजीयन कराया है। जबकि एक सर्वे के मुताबिक शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दो करोड़ के लगभग है। 

1.40 लाख बैकलॉग के पद रिक्त

मध्य प्रदेश के सभी विभागों में एससी/एसटी के बैकलॉग के पद रिक्त हैं। बैकलॉग के करीब 1 लाख 40 हजार पद पर भर्ती नहीं हो सकी है। जिनमें सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग में पद रिक्त है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 40 हजार पद सिर्फ शिक्षक पात्रता परीक्षा के वर्ग 1, वर्ग 2 और वर्ग तीन में खाली हैं। इसके अलावा  सामाजिक न्याय, महिला बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत ग्रामीण विकास विभाग में हजारों की संख्या में पद रिक्त पड़े हैं। 

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आउटसोर्स से विभागों में भर्ती जारी

प्रदेश सरकार के उद्यमिता विकास केंद्र (सेडमैप) एवं एमपी कॉन लिमिटेड से आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। इसके लिए सरकार ने भर्ती प्रक्रिया तैयार की है। पहले विभागों द्वारा रिक्त पदों की जानकारी विभाग के संचालक को भेजी जाती है। फिर संचालनालय द्वारा पदों के आधार पर सेडमैप और एमपी कॉन लिमिटेड से कर्मचारियों की डिमांड की जाती है। यहां भी आवेदकों से उनकी पढ़ाई और इंटरव्यू के आधार पर मैरिट लिस्ट तैयार कर नियुक्त कर दिया जाता है। दोनों ही एजेंसियों की भर्ती प्रक्रिया में पूर्व में विवाद सामने आ चुके हैं। 

भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी और अधिकारियों के रिश्तेदार, चहेतों को नौकरी देने का आरोप भी लग चुके हैं। इन एजेंसियों के माध्यम से स्थाई पदों पर अस्थाई भर्ती की जारही है। आर्थिक विशेषज्ञ मानते है कि सरकार पर आर्थिक संकट है, कर्ज बढ़ रहा है। इसलिए शासकीय स्थाई भर्तियों की जगह आउटसोर्स से लोगों को भर्ती किया जारहा है। 

द मूकनायक से बातचीत में एक और छात्र प्रदीप कुमार ने बताया कि वह खंडवा का रहने वाला है। इंदौर में पिछले पांच सालों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। लेकिन भर्तियां नहीं होने के कारण अब वह बापस अपने घर खंडवा चला गया। प्रदीप ने कहा- जब भर्ती ही नहीं निकल रही तो तैयारी करके क्या करेंगे। इधर, इंदौर के छात्र सागर सिंह ने बताया कि वह भी यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए आए थे। जब जॉब वैकेंसी नहीं निकली तो अब यहीं कोचिंग सेंटर शुरू कर स्कूल के बच्चों को पढ़ा रहा हूँ। 

मध्य प्रदेश एज्युकेटेड यूथ यूनियन के कोर कमेटी के सदस्य सचिन यादव ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा कि लगातार बेरोजगारी बढ़ रही है। हम शुरू से ही सरकार से मांग करते चले आरहे हैं, की रिक्त पदों पर भर्तियां की जाएं। लेकिन सरकार को सिर्फ चुनाव में युवाओं की याद आती है। प्रदेश में फिर भाजपा की नई सरकार बनी है। हम उम्मीद करतें है कि युवाओं को नौकरी मिलेंगी। सरकार ने प्रतिवर्ष 1 लाख लोगों को नौकरी देकर रोजगार देने का वादा किया था। लेकिन अभी तक 2022 में आयोजित परीक्षाओं का रिजल्ट ही घोषित नहीं हुआ। 

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घोटाले में उलझी पटवारी परीक्षा

जून 2023 में जारी हुए पटवारी परीक्षा परिणाम में घोटाला सामने आया था। 30 जून को मध्य प्रदेश इंप्लॉइज सेलेक्शन बोर्ड ने एमपी पटवारी भर्ती परीक्षा 2023 के नतीजे जारी थे। इन नतीजों में टॉप करने वाले दस में से सात कैंडिडेट एक ही सेंटर के निकले। ये जानकारी सामने आने के बाद उम्मीदवारों ने सवाल उठाए और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर शंका जाहिर की। मामला बढ़ने पर सरकार ने जांच समिति गठित कर नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। फिलहाल पटवारी परीक्षा के 9 हजार पदों पर चयन के बाद भी कैंडिडेट्स को जॉइनिंग नहीं मिल पाई।

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