
नई दिल्ली। राजस्थान के भीलवाड़ा के रजाक मंसूरी नामक मरीज के पेट दर्द की शिकायत ने चिकित्सकों को भी हैरान कर दिया। दो से तीन वर्षों से लगातार दर्द झेल रहे रजाक को कई डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी राहत नहीं मिली। अंततः उन्होंने चित्तौड़गढ़ स्थित एक निजी अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. बी.एल. बैरवा से परामर्श लिया।
डॉ. बैरवा द्वारा करवाए गए सीटी स्कैन में पता चला कि मरीज के लिवर के दाहिने हिस्से में 500 से अधिक छोटी-छोटी गांठें मौजूद थीं, जो हाइडेटिड सिस्ट कहलाती हैं। ये सिस्ट पानी जैसे पदार्थ से भरी होती हैं और फट जाने पर जानलेवा साबित हो सकती हैं। इतना ही नहीं, ये पित्त नली को भी ब्लॉक कर देती हैं और लिवर की कार्यप्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डॉ. बैरवा ने मरीज को तत्काल ऑपरेशन की सलाह दी। सहमति मिलने पर लगभग तीन घंटे से अधिक समय तक चला जटिल ऑपरेशन किया गया। इस दौरान सर्जन टीम ने मरीज के पेट से 500 से अधिक सिस्ट निकालीं, जिनका कुल वजन पाँच किलो से भी अधिक था।
मरीज के परिजनों के अनुसार, कुछ डॉक्टरों ने पहले ही आशंका जताई थी कि इतनी जटिल सर्जरी में जान का खतरा हो सकता है। लेकिन सफल ऑपरेशन के बाद रजाक अब पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रहे हैं और सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं।
डॉ. बैरवा ने बताया कि हाइडेटिड सिस्ट लिवर की कार्यप्रणाली को बाधित कर कई जटिल स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि समय पर निदान और ऑपरेशन से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
डॉ. बी.एल. बैरवा ने द मूकनायक को बताया कि रजाक मंसूरी के लिवर में पाए गए सैकड़ों हाइडेटिड सिस्ट बेहद गंभीर स्थिति में थे। ये सिस्ट पानी जैसी सामग्री से भरी होती हैं और फटने पर जान के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं। सीटी स्कैन में पता चला कि सिस्ट लिवर की कार्यप्रणाली को बाधित कर रहे थे और पित्त नली को भी ब्लॉक करने लगे थे। इसलिए मरीज की स्थिति को देखते हुए तत्काल हस्तक्षेप जरूरी हो गया।
उन्होंने बताया कि बीमारी की पुष्टि के बाद मरीज को दवा शुरू कर दी गई थी। आमतौर पर यह दवा ऑपरेशन से एक महीने पहले दी जाती है, जिससे सिस्ट कुछ हद तक निष्क्रिय हो जाते हैं और सर्जरी आसान हो जाती है। लेकिन रजाक मंसूरी को दवा शुरू होने के सिर्फ 15 दिन बाद ही तेज दर्द और जटिल लक्षण दिखाई देने लगे, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। ऐसे में ऑपरेशन को टालना संभव नहीं था और उन्हें तुरंत इमरजेंसी सर्जरी के लिए ले जाना पड़ा।
डॉ. बैरवा के अनुसार, तीन घंटे से अधिक समय तक चले इस जटिल ऑपरेशन में मरीज के पेट से 500 से अधिक गांठें निकाली गईं, जिनका कुल वजन पाँच किलो से भी ज्यादा था। उन्होंने कहा कि समय पर सर्जरी किए जाने से मरीज की जान बच गई। हाइडेटिड सिस्ट की बीमारी अक्सर नजरअंदाज हो जाती है, इसलिए उन्होंने सलाह दी कि पेट दर्द या पित्त नली से जुड़े लक्षण दिखाई देने पर तुरंत जांच करवाना बेहद जरूरी है।
पूर्व में भी की जटिल सर्जरी
गौरतलब है कि डॉ. बैरवा इससे पूर्व भी कई जटिल सर्जरी कर चुके हैं। हाल ही में हाईडेटिड सिस्ट डिजीज से पीड़ित एक महिला के शरीर से 300 सिस्ट निकालने की उपलब्धि पर उनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लंदन में दर्ज किया गया था।
यह मामला न केवल चिकित्सा विज्ञान के लिए एक चुनौतीपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि गंभीर बीमारियों में समय पर जांच और विशेषज्ञ इलाज की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करता है।
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