MP: छिंदवाड़ा कफ सिरप कांड: तमिलनाडु की कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन 10 दिन की पुलिस रिमांड पर, SIT करेगी गहराई से जांच

बच्चों की मौत के बाद से पूरा छिंदवाड़ा जिला सदमे में है। जिन परिवारों ने अपने मासूम बच्चों को खो दिया, वे अब सिर्फ न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।
तमिलनाडु की कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन 10 दिन की पुलिस रिमांड पर
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भोपाल। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से अबतक 25 मासूमों की मौत हो चुकी है। बच्चों की मौत का मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गया है। इस पूरे कांड में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन को गिरफ्तार किया है। शुक्रवार को आरोपी को परासिया न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ कोर्ट ने उसे 10 दिन की पुलिस रिमांड (20 अक्टूबर तक) पर भेज दिया।

यह वही कंपनी है जिसकी बनाई ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ पीने से जिले और आसपास के इलाकों में बच्चों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ था। इस मामले की जांच कर रही स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने पिछले सप्ताह चेन्नई में बड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी के मालिक को हिरासत में लिया था। अब SIT और छिंदवाड़ा पुलिस संयुक्त रूप से इस कांड की गहराई तक जांच कर रही हैं।

SIT अब रंगनाथन गोविंदन से कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब तलाशेगी। पुलिस का कहना है कि कंपनी की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया, उत्पादन के मानक, दवा के परीक्षण की व्यवस्था और वितरण श्रृंखला (सप्लाई चैन) को लेकर कई अनियमितताओं की आशंका है। यह भी जांच का विषय है कि तमिलनाडु से जबलपुर के रास्ते सिर्फ छिंदवाड़ा जिले में ही इस कफ सिरप की बड़ी मात्रा क्यों पहुंचाई गई, जबकि अन्य जिलों में इसकी सप्लाई बेहद सीमित रही।

इस पूरे घटनाक्रम में एक बड़ा मोड़ तब आया जब आरोपी गोविंदन को अदालत में पेश किया गया। पेशी के दौरान किसी भी अधिवक्ता ने उनकी पैरवी करने से इनकार कर दिया। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्याम साहू ने बताया कि वकीलों ने सर्वसम्मति से तय किया कि इस गंभीर मामले में आरोपी का बचाव नहीं किया जाएगा। इसके बाद रंगनाथन ने खुद अपनी पैरवी की। अदालत में उन्होंने कहा कि वे हार्ट पेशेंट हैं, हाई ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीज हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी कंपनी के सिरप की सप्लाई देश के पांच राज्यों में होती है, पर किसी अन्य राज्य से कोई शिकायत नहीं आई है।

जब अदालत ने उनसे पूछा कि उन्हें किस अपराध में गिरफ्तार किया गया है, तो रंगनाथन कुछ देर तक चुप रहे और फिर बोले- “मुझे इसकी जानकारी नहीं है।” इसके बाद अदालत ने उन्हें पुलिस रिमांड पर भेज दिया ताकि उनसे आगे की पूछताछ की जा सके। पुलिस ने उन सभी परिजनों के बयान भी दर्ज किए हैं जिनके बच्चों की मौत किडनी फेलियर से हुई थी। कई परिजन खुद थाने पहुंचे जबकि कुछ को पुलिस ने बुलाया।

इस बीच, SIT डॉक्टरों की भूमिका की भी गहराई से जांच कर रही है। स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट में डॉ. प्रवीण सोनी का नाम सामने आया था, जिन पर आरोप है कि उन्होंने इलाज के दौरान बच्चों को वही सिरप दी थी जो बाद में जहरीली साबित हुई। SIT अब यह पता लगाने में जुटी है कि क्या डॉक्टर और कंपनी के बीच कोई आर्थिक या व्यावसायिक संबंध थे। अगर यह साबित होता है, तो डॉक्टर पर भी गंभीर धाराओं में कार्रवाई हो सकती है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियों को यह संदेह है कि श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी लंबे समय से अमानक और प्रतिबंधित दवाओं का निर्माण कर रही थी। SIT अब यह जानने की कोशिश करेगी कि जहरीली दवा का उत्पादन कब से चल रहा था, उसमें कौन से रसायन उपयोग किए गए और निर्माण के बाद गुणवत्ता जांच की प्रक्रिया किस स्तर पर की जाती थी।

छिंदवाड़ा पुलिस अब राज्यभर में इस सिरप के बचे हुए स्टॉक की तलाश में जुट गई है। SIT ने मध्य प्रदेश के कई जिलों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया है ताकि जहरीली दवा की कोई भी बोतल आम लोगों तक न पहुँचे। अब तक कई मेडिकल स्टोर्स से बोतलें जब्त की जा चुकी हैं, लेकिन पुलिस को आशंका है कि कुछ स्टॉक अभी भी बाजार में मौजूद हो सकता है।

जांच एजेंसियों का मानना है कि इस पूरे प्रकरण में कंपनी के सप्लाई चैन से जुड़े कई अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। अब जांच मेडिकल स्टोर संचालकों, ट्रांसपोर्ट एजेंटों, सप्लायरों और वितरण एजेंसियों तक पहुंचेगी। SIT के मुताबिक, आने वाले दिनों में इस नेटवर्क के और भी नाम सामने आ सकते हैं।

पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद

बच्चों की मौत के बाद से पूरा छिंदवाड़ा जिला सदमे में है। जिन परिवारों ने अपने मासूम बच्चों को खो दिया, वे अब सिर्फ न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि उन्होंने डॉक्टर के भरोसे बच्चों को सिरप दी थी, लेकिन वही उनके लिए जहर बन गई। एक पिता ने कहा- “हमने इलाज के लिए भरोसा किया, पर वही सिरप हमारे बच्चे की मौत का कारण बन गई। अब हमें सिर्फ न्याय चाहिए।”

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