फिर कर्ज लेने जा रही मोहन सरकार! 3 हजार करोड़ लेने की तैयारी, चालू वित्त वर्ष में कर्ज़ की रक़म 49,600 करोड़ तक पहुँची!

विपक्ष ने कहा- सरकार कर्ज लेकर केवल राजस्व खर्च संभाल रही है और राज्य की आर्थिक स्थिति लगातार बोझिल होती जा रही है।
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भोपाल। मध्यप्रदेश की मोहन सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान दूसरा अनुपूरक बजट पेश करने जा रही है। इसी बीच सरकार सोमवार को 3 हजार करोड़ रुपए के नए कर्ज के लिए ऑक्शन करेगी, जिसका भुगतान मंगलवार को किया जाएगा। यह पूरा कर्ज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से लिया जाएगा, जिस पर ब्याज का भुगतान हर छह महीने में 3 जून और 3 दिसंबर को किया जाएगा। नए कर्ज के बाद चालू वित्त वर्ष में राज्य सरकार की कुल उधारी बढ़कर 49,600 करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगी।

वित्त विभाग की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार सरकार तीन किस्तों में 1,000-1,000 करोड़ रुपए के कर्ज ले रही है। पहले कर्ज की अवधि 8 साल होगी और इसका ब्याज इसी अवधि में चुकाना होगा। दूसरा कर्ज भी 1,000 करोड़ रुपए का है, जिसकी अदायगी सरकार 13 साल में करेगी। तीसरा कर्ज भी समान राशि का है, लेकिन इसकी अवधि सबसे लंबी यानी 23 साल निर्धारित की गई है। तीनों कर्जों पर ब्याज भुगतान जून और दिसंबर में ही होगा। सरकार का कहना है कि शीतकालीन सत्र में विकास कार्यों और योजनाओं के लिए अतिरिक्त वित्तीय जरूरत को पूरा करने के लिए यह उधारी की जा रही है।

लगातार बढ़ता कर्ज

इसके पहले भी सरकार लगातार कर्ज लेती रही है। 11 नवंबर को हुए ऑक्शन के बाद 12 नवंबर को सरकार ने 1500-1500 करोड़ रुपए के दो कर्ज और 1000 करोड़ रुपए का एक अतिरिक्त कर्ज लिया था, जिनकी अवधि क्रमशः 16 साल, 22 साल और 19 साल है। इससे पहले 28 अक्टूबर को 5,200 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। इसमें 2,700 करोड़ रुपए की पहली राशि 21 साल के लिए और 2,500 करोड़ रुपए की दूसरी राशि 22 साल के लिए ली गई थी। सितंबर में भी कई बार कर्ज लिया गया। 30 सितंबर को 1500-1500 करोड़ के दो कर्ज लिए गए थे, जिनकी अवधि 20 और 23 साल थी। 23 सितंबर को भी 1500-1500 करोड़ के दो कर्ज लिए गए, जिनकी अदायगी 18 और 21 साल में होगी। वहीं, 9 सितंबर को सरकार ने तीन कर्ज लिए थे, 1500-1500 करोड़ तथा 1000 करोड़ रुपए के, जिनकी अवधि 17, 19 और 20 साल रखी गई।

अगस्त में भी भारी उधारी हुई। 26 अगस्त को सरकार ने 2500 करोड़ और 2300 करोड़ रुपए के दो कर्ज लिए थे, जिनकी अवधि 20 साल और 18 साल है। 5 अगस्त को सरकार ने तीन कर्ज लेकर कुल 4,000 करोड़ रुपए की राशि जुटाई थी, जिसमें 1,600 करोड़ का कर्ज 18 साल, 1,400 करोड़ का 20 साल और 1,000 करोड़ का कर्ज 23 साल की अवधि के लिए लिया गया था। जुलाई में भी सरकार ने बड़े स्तर पर कर्ज लिया। 30 जुलाई को 4,300 करोड़ रुपए के दो कर्ज लिए गए, जिनकी अवधि 17 और 23 साल थी। इससे पहले 8 जुलाई को सरकार ने 2,500 और 2,300 करोड़ रुपए के कर्ज लिए थे। जून में भी दो बड़े कर्ज लिए गए, पहला 2,000 करोड़ का 16 साल के लिए और दूसरा 2,500 करोड़ का 18 साल के लिए। चालू वित्त वर्ष का पहला कर्ज सरकार ने 7 मई को लिया था, जब दो कर्ज 2,500-2,500 करोड़ रुपए के लिए लिए गए, जिनकी अवधि 12 और 14 साल तय की गई थी।

सरकार का कहना है कि कर्ज लेने की यह प्रक्रिया RBI के निर्धारित दायरे के भीतर है। वित्त विभाग ने दावा किया है कि राज्य पिछले दो वर्षों से राजस्व सरप्लस में है। वित्त वर्ष 2023-24 में मध्यप्रदेश सरकार की आमदनी 2,34,026 करोड़ रही, जबकि खर्च 2,21,538 करोड़ रहा। इस तरह 12,487 करोड़ रुपए का सरप्लस दर्ज किया गया। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में भी रिवाइज्ड आमदनी 2,62,009 करोड़ और खर्च 2,60,983 करोड़ बताया गया है, जिससे 1,025 करोड़ रुपए का सरप्लस दिखाया गया है। सरकार का कहना है कि चूँकि राजस्व सरप्लस बना हुआ है, इसलिए कर्ज लेना उधारी की लिमिट के भीतर है।

विपक्ष बने उठाये सवाल!

हालांकि विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि सरकार कर्ज लेकर केवल राजस्व खर्च संभाल रही है और राज्य की आर्थिक स्थिति लगातार बोझिल होती जा रही है। दूसरी ओर सरकार इसे विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यक कदम बताती है। नए कर्ज के फैसले ने एक बार फिर प्रदेश की वित्तीय प्राथमिकताओं और आर्थिक मजबूती को लेकर बहस तेज कर दी है।

द मूकनायक से बातचीत में कांग्रेस विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश आज बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि मोहन सरकार की लगातार कर्ज लेने की प्रवृत्ति साफ दिखाती है कि राज्य की वित्तीय स्थिति भीतर से चरमराई हुई है। डॉ. अलावा ने कहा कि सरकार हर महीने हजारों करोड़ के कर्ज उठा रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि प्रदेश की आमदनी और खर्च का संतुलन पूरी तरह बिगड़ चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विकास के नाम पर केवल उधारी से काम चला रही है, जबकि जमीन पर न तो आर्थिक सुधार नजर आ रहे हैं और न ही ऐसे कोई कदम उठाए जा रहे हैं, जो लंबे समय में प्रदेश को राहत दे सकें।

उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर लगातार कर्ज लेने का सीधा असर प्रदेश की आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा, क्योंकि लंबी अवधि के इन कर्जों की अदायगी जनता को ही करनी होगी। डॉ. अलावा के अनुसार सरकार का दावा है कि प्रदेश राजस्व सरप्लस में है, लेकिन यदि वास्तव में आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत होती तो बार-बार कर्ज लेने की जरूरत ही क्यों पड़ती? उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद से अब तक सरकार ने लगभग हर महीने भारी कर्ज लिया है, जिससे यह स्पष्ट है कि राजस्व सरप्लस के दावे सिर्फ कागजी आंकड़े हैं।

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