MP के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय कुलपति चयन विवाद: 1990 के नियमों के तहत जारी हुआ था विज्ञापन, उपराष्ट्रपति से की गई शिकायत

विश्वविद्यालय NAAC और UGC की मान्यताएं प्राप्त कर चुका है, तो उसे नए मानकों के अनुसार ही कुलपति का चयन करना चाहिए था। लेकिन ऐसा न करते हुए पुराने नियमों का पालन कर नियुक्ति कर दी गई।
MP के माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय कुलपति चयन विवाद: 1990 के नियमों के तहत जारी हुआ था विज्ञापन, उपराष्ट्रपति से की गई शिकायत
द मूकनायक
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भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) में कुलपति की नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। चंडीगढ़ के प्रोफेसर डॉ. आशुतोष मिश्रा ने भारत के उपराष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर कुलपति चयन प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है। उनका आरोप है कि इस नियुक्ति में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया और चयन प्रक्रिया में कई स्तरों पर अनियमितताएं बरती गईं। आरोप है कि विश्वविद्यालय ने चयन विज्ञापन 1990 के नियमों के आधार पर जारी किया, जबकि यूजीसी ने 2010 में लागू नए नियमों के पालन के निर्देश दिए थे।

यूजीसी के मानकों की अनदेखी का आरोप

डॉ. मिश्रा के अनुसार, विश्वविद्यालय ने 12(B) की मान्यता प्राप्त कर ली है और NAAC से भी मान्यता प्राप्त है, जिससे उस पर यूजीसी के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन कुलपति नियुक्ति की प्रक्रिया UGC के मानकों के अनुरूप नहीं की गई, बल्कि यह 1990 में बने विश्वविद्यालय अधिनियम के आधार पर की गई, जो वर्तमान समय में अप्रासंगिक हो गया है।

उनका कहना है कि विश्वविद्यालय को चाहिए था कि वह UGC के अनुसार नए सिरे से विज्ञापन जारी करता, जिसमें कुलपति पद के लिए वही मानदंड होते जो किसी अन्य मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में होते हैं। लेकिन इसके बजाय पुराने अधिनियम के अनुसार ही प्रक्रिया चलाई गई, जिससे उच्च शिक्षा के मानकों से समझौता किया गया है।

सर्च कमेटी पर उठे सवाल

डॉ. मिश्रा ने सर्च कमेटी (खोज समिति) की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि चांसलर (उपराष्ट्रपति) कार्यालय से कोई भी व्यक्ति सर्च कमेटी में नामित नहीं किया गया, जिससे इसकी पारदर्शिता संदेहास्पद हो गई। इसके अलावा, सर्च कमेटी के तीन में से दो सदस्य विश्वविद्यालय की जनरल काउंसिल और अन्य निकायों से पहले से जुड़े हुए हैं। ऐसे में वे पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्णय नहीं ले सकते, जिससे प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित होती है।

कुलपति पद के लिए योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी?

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के नए कुलपति के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी को नियुक्त किया गया है। लेकिन उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि – वे कॉलेज या विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य से कभी नहीं जुड़े रहे। उनके पास पीएचडी (डॉक्टरेट) की उपाधि नहीं है, जो UGC के अनुसार कुलपति बनने के लिए अनिवार्य शर्तों में से एक है।

नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया को विश्वविद्यालय प्रशासन ने गोपनीय रखा, जिससे अन्य योग्य उम्मीदवारों को आवेदन का समान अवसर नहीं मिला। डॉ. मिश्रा का कहना है कि जब विश्वविद्यालय NAAC और UGC की मान्यताएं प्राप्त कर चुका है, तो उसे नए मानकों के अनुसार ही कुलपति का चयन करना चाहिए था। लेकिन ऐसा न करते हुए पुराने नियमों का पालन कर नियुक्ति कर दी गई, जो विश्वविद्यालय की शैक्षणिक स्वतंत्रता और गुणवत्ता के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

प्रोफेसर डॉ. आशुतोष मिश्रा ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि वर्ष 2010 में यूजीसी ने कुलपति चयन के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत कुलपति पद के लिए कम से कम 10 वर्षों का कॉलेज या विश्वविद्यालय में अध्यापन का अनुभव अनिवार्य किया गया था, साथ ही उम्मीदवार के पास पीएचडी डिग्री होना भी आवश्यक था।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने कुलपति की नियुक्ति के लिए 1990 के पुराने नियमों का पालन किया, जबकि यूजीसी ने स्पष्ट रूप से नए नियमों को लागू करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि जब विश्वविद्यालय ने कुलपति चयन का विज्ञापन निकाला, तो उन्होंने यूनिवर्सिटी सहित अन्य विभागों को पत्र लिखकर आग्रह किया कि चयन प्रक्रिया को नए नियमों के अनुसार किया जाए।

हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मांग पर ध्यान नहीं दिया और पुराने नियमों के आधार पर ही चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। डॉ. मिश्रा ने सवाल उठाया कि अन्य मामलों में विश्वविद्यालय यूजीसी के दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है, लेकिन कुलपति चयन में नियमों की अनदेखी क्यों की जा रही है?

सरकार और उच्च अधिकारियों को भेजे गए ज्ञापन

डॉ. आशुतोष मिश्रा ने दो ज्ञापन भेजे हैं, जिनमें उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय, भारत के उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), यूजीसी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित विभिन्न उच्चाधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय के कुलपति चयन के मानदंडों की समीक्षा होनी चाहिए और नई प्रक्रिया शुरू कर पुनः विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए।

इस विवाद पर विश्वविद्यालय प्रशासन के कुलसचिव अविनाश वाजपेयी ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, "मुझे इस शिकायत की जानकारी नहीं है। कुलपति की नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई है।"

चार साल का होगा कार्यकाल

माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नए कुलगुरु (कुलपति) विजय मनोहर तिवारी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय तक कई प्रतिष्ठित संस्थानों में सेवाएं दे चुके हैं। अब एमसीयू के नए कुलगुरु के रुप में उनको 11 फरवरी 2025 से नियुक्ति के आदेश जारी किए गए हैं। विजय मनोहर तिवारी का कार्यकाल 4 साल का रहेगा। बता दें कि एमसीयू में कुलगुरु का पद लंबे समय से खाली था नए कुलगुरु की नियुक्ति के लिए जरुरी प्रक्रियाएं सरकार ने एक महीने पहले ही पूरी कर ली थी।

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