MP: मऊगंज में तहसीलदार ने किसान की कॉलर पकड़ दीं गालियां, जमीन विवाद के बीच भड़के अफसर, कलेक्टर ने मांगी रिपोर्ट

रीवा कलेक्टर संजय कुमार ने इस पूरे प्रकरण पर संज्ञान लिया है। उन्होंने बताया कि तहसीलदार बीके पटेल ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि वहां की स्थिति अचानक बिगड़ गई थी और संभावित हिंसा को रोकने के लिए सख्ती करनी पड़ी।
मऊगंज में तहसीलदार पर किसानो की कॉलर पकड़कर गालियां देने का आरोप
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भोपाल। मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज तहसील में 25 सितंबर को एक बड़ी प्रशासनिक कार्यवाही के दौरान विवाद खड़ा हो गया। उप तहसील देवतालाब के गनिगमा गांव में दो प्रजापति परिवारों के बीच जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। मामला सिविल कोर्ट में विचाराधीन था और हाल ही में कोर्ट का फैसला एक परिवार के पक्ष में आया। इसी आदेश के अनुपालन के लिए तहसीलदार बीके पटेल की अगुवाई में प्रशासनिक टीम गांव पहुंची।

लेकिन कब्जा दिलाने की कार्रवाई के दौरान माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया। विपक्षी पक्ष ने कोर्ट के फैसले और प्रशासन की कार्रवाई का विरोध किया। इसी दौरान तहसीलदार बीके पटेल भड़क गए और उन्होंने कथित तौर पर एक किसान की कॉलर पकड़ ली, गालियां दीं और झूमाझटकी भी की। ग्रामीणों ने इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया, जो 28 सितंबर को तेजी से वायरल हो गया।

ग्रामीणों ने लगाए गंभीर आरोप

गांव के एक किसान सुषमेश ने बताया कि तहसीलदार बीके पटेल ने कब्जा दिलाने की कार्रवाई के दौरान पहले उनकी कॉलर पकड़ी और झूमाझटकी की। किसान का आरोप है कि तहसीलदार ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए कतिथ गालीगलौज की।

इसी तरह गांव के एक अन्य किसान कौशलेश प्रजापति ने भी आरोप लगाया कि तहसीलदार ने गाली-गलौज की और विरोध करने पर मारपीट की धमकी दी। ग्रामीणों का कहना है कि यह बर्ताव किसी सरकारी अधिकारी को शोभा नहीं देता।

तहसीलदार बोले- वीडियो एडिट किया गया, गलत तरीके से पेश किया गया

वीडियो वायरल होने के बाद तहसीलदार बीके पटेल ने सफाई पेश करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर डाला गया वीडियो भ्रामक है। इसे एडिट करके गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन कराना प्रशासन का दायित्व था। "जब कब्जा दिलाने पहुंचे तो विपक्षी पक्ष ने लोहे की सब्बल निकालकर धमकाया और मारपीट की नीयत से दौड़े। यदि हमने सख्ती नहीं की होती तो अनहोनी हो सकती थी और कानून-व्यवस्था बिगड़ जाती।"

उप तहसील देवतालाब के नायब तहसीलदार उमाकांत मिश्रा, जो घटना के वक्त मौजूद थे, उन्होंने बताया कि 25 सितंबर को सिविल कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए प्रशासनिक अमला पहुंचा था। जब दोनों पक्षों से दस्तावेज मांगे गए, तो विपक्षी पक्ष दस्तावेज पेश नहीं कर पाया और गुस्से में आकर गाली-गलौज करने लगा।

मिश्रा ने कहा, "विपक्षी पक्ष की ओर से शासकीय कार्य में बाधा डाली गई। उस समय पुलिस बल भी पर्याप्त नहीं था, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई। अंततः समझाइश देकर मामला शांत कराया गया।"

कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश

रीवा कलेक्टर संजय कुमार ने इस पूरे प्रकरण पर संज्ञान लिया है। उन्होंने बताया कि तहसीलदार बीके पटेल ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि वहां की स्थिति अचानक बिगड़ गई थी और संभावित हिंसा को रोकने के लिए सख्ती करनी पड़ी।

कलेक्टर ने कहा, "मामले की जांच अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) को सौंपी गई है। एडीएम को रविवार दोपहर 12 बजे तक जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।"

गृह जिले में पदस्थापना पर उठे सवाल

गांव के प्रजापति परिवार ने तहसीलदार बीके पटेल की पदस्थापना पर भी सवाल खड़े किए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पटेल मऊगंज जिले के ही निवासी हैं और उनका परिवार नईगढ़ी के वार्ड क्रमांक 6 में रहता है। आमतौर पर निष्पक्षता बनाए रखने के लिए अधिकारियों को उनके गृह जिले में पदस्थ नहीं किया जाता।

तहसीलदार बीके पटेल का नाम इससे पहले भी विवादों में आ चुका है। अधिवक्ताओं ने उन पर अभद्र व्यवहार करने और आरटीआई के तहत गलत जानकारी देने के आरोप लगाए थे। एक मामले में उन्होंने लिखित रूप से यह तक कह दिया था कि "वकील भारत के नागरिक नहीं हैं," जिसके बाद अधिवक्ताओं ने मऊगंज कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।

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