
भोपाल। मध्य प्रदेश में रबी सीजन की बोवनी लगभग पूरी होने के साथ ही खाद संकट ने फिर दस्तक दे दी है। प्रदेश में 145 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में गेहूं और चना की फसलों की सिंचाई जारी है, जिसके कारण यूरिया की मांग अचानक बढ़ गई है। सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि रबी सीजन के लिए लगभग 23 लाख टन यूरिया की आवश्यकता है, लेकिन अब तक सिर्फ 16 लाख टन ही उपलब्ध हो पाया है।
इस कमी का सीधा असर किसानों पर पड़ा है- छतरपुर, टीकमगढ़, अशोकनगर, शिवपुरी, रतलाम, नीमच, मंदसौर, धार सहित कई जिलों में किसानों को रात भर लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है। कहीं चक्काजाम हो रहे हैं, तो कहीं वितरण केंद्रों पर हंगामा।
सरकार के दावे कितने सच?
सरकार का दावा है कि खाद की कमी नहीं है और आपूर्ति आवश्यकता अनुसार की जा रही है। कृषि विभाग के अनुसार एक अक्टूबर से 7 दिसंबर 2023 के बीच 11.24 लाख टन यूरिया वितरित हुआ था, जबकि इस वर्ष इसी अवधि में 13.25 लाख टन बिक चुका है। वर्तमान में तीन लाख टन का स्टॉक है और 80 हजार टन प्रतिदिन ट्रांजिट में बताया जा रहा है।
हालांकि, जमीनी हालात इन दावों पर सवाल खड़े करते हैं। कई जिलों में किसानों को 2-3 दिन तक लगातार लाइन लगाने के बाद भी खाद नहीं मिल पा रही। शादी-ब्याह के सीजन में किसान परिवारिक जिम्मेदारियाँ छोड़कर रातों को डेरा डाल रहे हैं। रतलाम में नकद वितरण केंद्र के बाहर किसानों ने रात 9 बजे से ही लाइन लगा ली।
सरकार का एक तर्क यह भी है कि बीते दो वर्षों में 7.31 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ने से यूरिया की खपत बढ़ी है, और 2026 तक यह क्षमता और बढ़ेगी। यानी खाद की मांग निरंतर ऊपर जा रही है।
किसानों का फूट पड़ा गुस्सा
टीकमगढ़ के किसान हरिसिंह राजपूत ने द मूकनायक से बातचीत में बताया कि इस बार खाद की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं। स्थिति यह है कि सुबह से लेकर देर शाम तक किसानों की लंबी-लंबी लाइनें वितरण केंद्रों के बाहर लगी रहती हैं, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी कई लोगों को खाद नहीं मिल पा रही। उन्होंने कहा कि अच्छी बारिश के बाद फसलें अच्छी खड़ी हैं, ऐसे में समय पर खाद न मिलने से पानी और मेहनत, दोनों पर असर पड़ रहा है।
वहीं रतलाम के किसान प्रदीप बैरागी ने भी प्रदेश में खाद की गंभीर कमी की पुष्टि करते हुए बताया कि कई केंद्रों पर स्टॉक असमान रूप से बांटा जा रहा है, जिससे खासकर छोटे किसान परेशान हैं। बैरागी के अनुसार, किसानों को रोज़मर्रा के काम छोड़कर खाद लेने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहे कितने भी दावे करे, लेकिन जमीनी स्थिति यह दिखाती है कि खाद का वितरण सुचारु नहीं है और किसानों को राहत तुरंत देने की जरूरत है।
स्थानीय समाचार पात्रों की रिपोर्ट के अनुसार महाकोशल और मालवा-निमाड़ के कई जिलों में खाद संकट बेहद गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। जबलपुर में जहां 66,881 टन की मांग के मुकाबले मात्र 5,587 टन यूरिया उपलब्ध है, वहीं सिवनी में 63,000 टन की आवश्यकता के सामने किसानों को सिर्फ 37,000 टन ही मिल पाया है। नरसिंहपुर में 3,000 टन की जरूरत है, लेकिन उपलब्धता केवल 1,482 टन की है।
छिंदवाड़ा में भी 30,593 टन की भारी मांग दर्ज की गई है, जबकि धार जिले में 3,000 से 4,000 टन यूरिया की जरूरत बताई जा रही है। दूसरी ओर, खंडवा में हालात इतने खराब हैं कि तीन-तीन दिन परेशान होने के बाद किसानों को एकड़ के हिसाब से सिर्फ एक बैग यूरिया मिल रहा है। रतलाम जिले में नकद विक्रय केंद्रों पर कालाबाजारी की शिकायतों ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है। कुल मिलाकर, इन जिलों की स्थिति यह साफ दिखाती है कि मांग और उपलब्धता के बीच बड़ा अंतर है, जिसका खामियाजा किसान उठा रहे हैं।
बुंदेलखंड के टीकमगढ़ और छतरपुर जिलों में स्थिति और विकराल है। यहां किसानों को दो बोरी यूरिया के लिए दो अलग-अलग वितरण केंद्रों पर जाना पड़ रहा है, जिससे रोष बढ़ गया है। टीकमगढ़ में किसानों ने मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय के सामने चक्काजाम किया। इसके बाद भी कई किसानों को बारी आने पर स्टॉक खत्म होने की सूचना मिली।
बमीठा, हरपालपुर, बल्देवगढ़, पलेरा और जतारा में भी किसानों ने चक्काजाम कर विरोध जताया। कुछ दिन पहले छतरपुर में खाद लेने पहुंची एक छात्रा को नायब तहसीलदार द्वारा थप्पड़ मारने की घटना ने आक्रोश को और बढ़ा दिया। श्योपुर में खाद वितरण केंद्रों पर सुबह से लंबी लाइनें लग रही हैं।
किसान पूछ रहे- अच्छी बारिश के बावजूद पर्याप्त खाद क्यों नहीं?
किसानों का कहना है कि इस बार बारिश अच्छी होने के कारण फसल क्षेत्र बढ़ा है, ऐसे में सरकार को DAP, NPK और यूरिया की पर्याप्त व्यवस्था पहले ही कर लेनी चाहिए थी। पिछले वर्ष रबी में 20 लाख टन यूरिया की मांग थी, जबकि इस वर्ष मांग बढ़कर 23 लाख टन हो गई है। किसानों के अनुसार मांग बढ़ने का अनुमान सरकार को पहले से था, लेकिन आपूर्ति उसी अनुरूप नहीं की गई।
द मूकनायक से बातचीत में किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री राहुल धूत ने बताया कि प्रदेश में खाद की कमी तेजी से बढ़ रही है और किसानों को रातभर लाइन में लगने के बाद भी पूरा यूरिया नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि कई जिलों में मांग के मुकाबले उपलब्धता बेहद कम है, जिससे किसानों की बोवनी और सिंचाई पर असर पड़ रहा है। धूत के अनुसार, सरकार के दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है, इसलिए वितरण प्रणाली को तुरंत दुरुस्त कर वास्तविक जरूरत के अनुसार खाद उपलब्ध कराना जरूरी है।
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