एमपी में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर होगी कार्रवाई, राज्य शासन ने दिए कलेक्टरों को यह निर्देश?

हाईकोर्ट ने कहा, "स्कूलों ने अवैध रूप से अतिरिक्त फीस ही नहीं वसूली है, बल्कि बुक सेलर्स से साठगांठ कर फर्जी किताबें सिलेबस में लगाने का अपराध भी किया है, जो कि बच्चों का भी अनहित करने जैसा है।"
एमपी में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर होगी कार्रवाई, राज्य शासन ने दिए कलेक्टरों को यह निर्देश?

भोपाल। मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली पर राज्य शासन सख्त हो गया है। जबलपुर के निजी स्कूलों पर कार्रवाई के बाद अब प्रदेश के सभी निजी स्कूलों पर कार्रवाई के निर्देश कलेक्टर्स को दिए गए हैं।

जबलपुर हाईकोर्ट में स्कूल संचालकों ने स्कूलों पर की जा रही कार्यवाही पर रोक की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। प्राइवेट स्कूल संचालकों ने गिरफ्तारी, जांच और कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए याचिका लगाई थी। गुरुवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस विशाल धगट ने इसे खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है। जांच शुरुआती दौर में है। लिहाजा, कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई जा सकती। हालांकि, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई को लेकर विस्तृत जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।

इधर, स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को अपने जिले में प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ इस तरह जांच और कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, सभी स्कूलों का फीस स्ट्रक्चर और अन्य जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करने के लिए कहा है।

जबलपुर के 11 स्कूलों पर की गई कार्रवाई

27 मई को जबलपुर कलेक्टर ने दीपक आर्य ने 11 प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन स्कूल के संचालकों समेत 51 लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी। साथ ही, ऐसे स्कूलों से अभिभावकों को 81.30 करोड़ रुपए की फीस वापस करने के आदेश दिए। इन स्कूलों पर 22 लाख रुपए की पेनाल्टी भी लगाई गई है। 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया। कलेक्टर का दावा है, कि 240 करोड़ की वसूली का खेल उजागर हुआ है।

बता दें कि जबलपुर में बीते बुधवार को पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई को स्कूल संचालकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में स्कूलों की ओर से कहा गया कि एफआईआर दर्ज हो चुकी है। वो जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन पर पुलिस की कार्रवाई नहीं की जाए, हाईकोर्ट ने तर्क सुनने के बाद कहा, "स्कूलों ने अवैध रूप से अतिरिक्त फीस ही नहीं वसूली है, बल्कि बुक सेलर्स से साठगांठ कर फर्जी किताबें सिलेबस में लगाने का अपराध भी किया है, जो कि बच्चों का भी अनहित करने जैसा है।"

सरकार की ओर से कोर्ट में यह भी कहा गया कि अगर आरोपी स्कूल संचालकों और उनके गठजोड़ पर पुलिस कार्रवाई नहीं की जाती है, तो वो जांच को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि पुलिस और प्रशासन को उनके स्कूलों से और भी दस्तावेज जब्त करने हैं। इसलिए कोर्ट ने स्कूल संचालकों को कोई राहत न देते हुए याचिका खारिज कर दी।

कलेक्टरों को आदेश जारी

राज्य शासन ने बीते गुरुवार को सभी कलेक्टरों को जिलों में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम 2018 और नियम 2020 के प्रावधानों का पालन सख्ती से कराने के लिए कहा है। साथ स्कूल शिक्षा विभाग ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि, वह जिले के सभी विद्यालयों की फीस और अन्य जानकारी पोर्टल पर दर्ज कराने की कार्रवाई करें। कलेक्टरों से कहा गया कि लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा 20 मई को जारी पत्र में फीस और अन्य विषयों की जानकारी अशासकीय विद्यालयों से पोर्टल पर 8 जून तक जमा कराने के निर्देश जारी किए गए थे।

डुप्लीकेट पुस्तकों के लिए चलेगा अभियान

बताया जा रहा है, फर्जी व डुप्लीकेट आईएसबीएन पाठ्यपुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। जबलपुर के स्कूलों में यह गड़बड़ी पाई गई थी। इसे ठीक करने के लिए 30 जून 2024 तक विशेष अभियान चलाकर जांच कराने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। साथ ही लोक शिक्षण संचालनालय से निर्देश है कि, कितने विद्यालयों द्वारा किन कारणों से ऐसी गड़बड़ी की गई है, उन्हें चिन्हित करें? गड़बड़ी करने वाले प्रकाशक और बुक सेलर्स के विरुद्ध कार्रवाई भी की जाए।

हरदा में 9 स्कूलों पर भी हुई कार्रवाई

जबलपुर के बाद हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह ने मनमानी फीस लेने वाले 9 प्राइवेट स्कूलों पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। जिले में अब तक कुल 15 निजी स्कूलों पर हो जुर्माना लगाया जा चुका है। सभी स्कूल संचालकों को 15 दिन में अतिरिक्त फीस वापस करने के निर्देश गए हैं। साथ ही अन्य स्कूलों की भी जांच की जा रही है।

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