MP: नर्सिंग घोटाले के बाद अब बीएड-डीएड फर्जीवाड़ा, कागजों में इमारत मौके पर मिला खेत!

एसटीएफ ने 6 कॉलेजों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करना और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज किया।
सांकेतिक
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भोपाल। मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा जैसा एक और मामला सामने आया है। अब बीएड-डीएड कोर्स संचालित कर रहे आधा दर्जन कॉलेज संचालकों ने कागजों में खेतों पर बिल्डिंग दिखाकर मान्यता ले ली। जब शिकायत के बाद एसटीएफ ने जांच की तो मामला का खुलासा हो गया। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के 6 कॉलेजों की जांच में पता चला है कि मान्यता के लिए इन कॉलेजों के संचालकों ने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया है।

जांच में सामने आया की संचालकों ने जहां कॉलेज होना बताया, उस भूमि पर खेत हैं। कहीं कोई बिल्डिंग ही नहीं है। साथ ही ग्राम पंचायत से भवन बनाने की अनुमति भी फर्जी तरीके से ली गई। यहां तक कि सरपंच के हस्ताक्षर तक फर्जी किए गए हैं। इसी के साथ बैंक की फिक्स डिपॉजिट रिसीप्ट (एफडीआर) भी फर्जी तरीके से बना ली। इस मामले में एसटीएफ, एससीटीई और जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के कर्मचारियों की भूमिका की जांच भी कर रही है। जानकारी है, की इन कॉलेजों को मान्यता देने में यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है।

बता दें कि बुधवार रात एसटीएफ ने 6 कॉलेजों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करना और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज किया था। एसटीएफ के एसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि अब तक की जांच में सामने आया कि कुछ कॉलेजों ने मान्यता के लिए जो एफडीआर लगाई थी, वह बैंक के द्वारा जारी करने से ही इनकार किया गया है। कॉलेजों में भवन निर्माण के लिए डायवर्सन आदेश को जिस एसडीओ कार्यालय से जारी करना बताया गया, वहां से उन्हें जारी ही नहीं किया गया है। भवन पूर्णता आदेश जिन पंचायतों से जारी करना बताया गया, उन पंचायतों ने ऐसे आदेश जारी करने की बात से ही इनकार कर दिया है।

एसपी का कहना है कि ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी और एससीटीई दिल्ली के कर्मचारियों की भूमिका प्रारंभिक तौर पर संदिग्ध पाई गई है। लिहाजा, जांच के बाद दोषी कर्मचारियों पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। फिलहाल जांच की जा रही है।

इन कॉलेज पर दर्ज हुए मामले

एसटीएफ को आशंका है कि ऐसे और भी कॉलेज हो सकते है। इसकी जांच भी की जा रही है। वहीं जिन कॉलेजों से फर्जीवाड़ा सामने आया है। एसटीएफ ये भी पड़ताल करेगी कि ये अब तक कितनी डिग्रियां बांट चुके हैं। फिलहाल ग्वालियर और चंबल संभाग के अंजुमन कॉलेज ऑफ एजुकेशन सेवड़ा (दतिया), प्राशी कॉलेज ऑफ एजुकेशन मुंगावली (अशोक नगर), सिटी पब्लिक कॉलेज शाढ़ौरा (अशोक नगर), मां सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय, वीरपुर (श्योपुर), प्रताप कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बड़ौदा (श्योपुर), आइडियल कॉलेज, बरौआ (ग्वालियर) के संचालकों को आरोपी बनाया है।

ऐसे सामने आया था नर्सिंग घोटाला!

साल 2020-21 में कोरोना काल के दौरान कुछ अस्पताल खोले गए थे। इसी की आड़ में कई नर्सिंग कॉलेज भी खोल दिए गए थे। कॉलेज खोलने के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा बनाए नियमों के मुताबिक नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए 40 हजार स्क्वेयर फीट जमीन का होना जरूरी होता है। साथ ही 100 बिस्तर का अस्प्ताल भी होना आवश्यक है। इसके बावजूद प्रदेश में दर्जनों ऐसे नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता दी गई, जो इन नियमों के अंर्तगत नहीं थे। इसके बाद भी इन्हें मान्यता दे दी गई।

याचिकाकर्ता और जबलपुर हाई कोर्ट में वकील विशाल बघेल ने ऐसे कई कॉलेज की तस्वीरें और जानकारी कोर्ट को सौंपी थी। इसमें बताया कि कैसे कॉलेज के नाम पर घोटाला चल रहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले को देखते हुए नर्सिंग कॉलेज में होने वाली परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, बीते तीन वर्षों से नर्सिंग कॉलेजों में परीक्षा नहीं हुई है। परीक्षा नहीं होने की वजह से छात्र परेशान हैं। अब यही छात्र आंदोलन कर सरकार से जनरल प्रोमोशन की मांग कर रहे है। छात्रों का कहना है कि यदि कॉलेजों ने गलत किया है तो इसकी सजा छात्रों को क्यों मिल रही है।

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