TISS में प्रो. जीएन साईबाबा की पुण्यतिथि पर स्टूडेंट्स ने कविताएं पढ़कर किया याद तो हो गया विवाद; 10 छात्रों पर एफआईआर!

छात्रों का तर्क है कि चूंकि यह किसी विशेष छात्र समूह द्वारा आयोजित औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक सहज सभा थी, इसलिए प्रशासन से अनुमति लेने की जरूरत नहीं समझी गई। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम कैंपस सुरक्षा गार्ड्स की मौजूदगी में हुआ और यदि गार्ड्स ने रोका होता तो वे तुरंत रुक जाते।
साईबाबा एक भारतीय विद्वान, लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। 12 अक्टूबर 2024 को हैदराबाद में उनका निधन हुआ।
साईबाबा एक भारतीय विद्वान, लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। 12 अक्टूबर 2024 को हैदराबाद में उनका निधन हुआ।
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मुंबई: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) में पूर्व दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रोफेसर जीएन साईबाबा की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जहां प्रशासन की शिकायत पर करीब 10 छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, वहीं छात्रों ने इसे एक स्वाभाविक शांत श्रद्धान्जलि आयोजन बताया।


छात्रों का कहना है कि यह कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि महज 15-20 छात्रों का एक सहज जमावड़ा था, जिसमें प्रोफेसर साईबाबा की फोटो के सामने मोमबत्ती जलाकर और कविताएं पढ़कर उन्हें याद किया गया। उनका दावा है कि यह कार्यक्रम महज 8-10 मिनट चला और उसमें किसी भी प्रकार की नारेबाजी नहीं हुई।

एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "यह मुद्दा बिना वजह बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। एक प्रोफेसर को याद करने के लिए एक शांत सभा, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी एक अनुचित मुकदमे का विषय बताया था, लोकतांत्रिक जगहों के सिकुड़ने का संकेत है।"

छात्रों का तर्क है कि चूंकि यह किसी विशेष छात्र समूह द्वारा आयोजित औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक सहज सभा थी, इसलिए प्रशासन से अनुमति लेने की जरूरत नहीं समझी गई। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यक्रम कैंपस सुरक्षा गार्ड्स की मौजूदगी में हुआ और यदि गार्ड्स ने रोका होता तो वे तुरंत रुक जाते।

डेमोक्रेटिक सेक्युलर स्टूडेंट्स फोरम ने किया विरोध


द इन्डियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों ने आरोप लगाया है कि कार्यक्रम के दौरान डेमोक्रेटिक सेक्युलर स्टूडेंट्स फोरम (DSSF) के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और उनके खिलाफ नारेबाजी की। DSSF TISS कैंपस में ABVP से जुड़ा एक छात्र संगठन है। DSSF समर्थकों ने आरोप लगाया कि आयोजन के दौरान दिल्ली दंगों के आरोपियों शरजील इमाम और उमर खालिद के समर्थन में नारे लगाये गए और कैंपस का माहौल खराब करने का प्रयास किया गया।

वहीं DSSF के एक सदस्य ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि विरोध सहज था और कैंपस पर हो रही विवादास्पद गतिविधियों को लेकर छात्रों में बढ़ते असंतोष के कारण हुआ। उन्होंने दावा किया कि ऐसे कार्यक्रमों से कैंपस का माहौल तनावपूर्ण हो रहा है और प्लेसमेंट पर भी असर पड़ रहा है।

संस्थान प्रशासन उन सभी छात्रों को शो-कॉज नोटिस जारी करने की प्रक्रिया में है, जिनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। एक अधिकारी ने बताया कि छात्रों का जवाब मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

वहीं पुलिस ने बताया कि वह छात्रों के बयान दर्ज कर रही है और तथ्यों का पता लगा रही है। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, "एफआईआर प्रशासन और कुछ छात्रों की शिकायत पर दर्ज की गई थी। हम मामले के तथ्यों का पता लगा रहे हैं।"


इस पूरे मामले ने छात्रों में डर और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। एक छात्र ने कहा, "हममें से कई लोग 48 घंटे से सोया या खाना तक नहीं खा पाए हैं। इसका हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। हमारी कक्षाएं छूट रही हैं और भविष्य दांव पर लगा हुआ है।

कौन थे जीएन साईबाबा ?

गोकारकोंडा नागा साईबाबा एक भारतीय विद्वान, लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। बचपन में पोलियों के कारण उनके निचले अंगों को लकवा मार गया था, लेकिन उन्होंने अपनी अक्षमता के बावजूद उच्च शिक्षा प्राप्त की। 2014 में उन्हें कथित तौर पर माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 2017 में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 2022 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें रिहा कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। हालांकि उन्हें बाद में रिहा कर दिया गया था। 12 अक्टूबर 2024 को हैदराबाद में उनका निधन हो गया। 

साईबाबा एक भारतीय विद्वान, लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता थे, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। 12 अक्टूबर 2024 को हैदराबाद में उनका निधन हुआ।
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