प्रयागराज: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रैगिंग के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाते हुए सर सुंदर लाल (SSL) हॉस्टल के 16 छात्रों को तत्काल प्रभाव से हॉस्टल से निष्कासित कर दिया है। यह यूनिवर्सिटी के इतिहास में रैगिंग के मामले में की गई सबसे बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है।
हॉस्टल से निष्कासन के साथ ही, इन सभी छात्रों को 30 अक्टूबर तक के लिए यूनिवर्सिटी से भी निलंबित कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें निर्देश दिया है कि वे 30 अक्टूबर को अपने माता-पिता के साथ प्रॉक्टर कार्यालय में उपस्थित हों और इस बात का स्पष्टीकरण दें कि उन्हें यूनिवर्सिटी से स्थायी रूप से क्यों न निकाल दिया जाए।
यह कठोर फैसला यूनिवर्सिटी की चार-सदस्यीय समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया गया। दरअसल, 9 अक्टूबर को एंटी-रैगिंग दस्ते को हॉस्टल परिसर में रैगिंग की एक औपचारिक शिकायत मिली थी। शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए दस्ते ने हॉस्टल का निरीक्षण किया। शुरुआती जांच में कई छात्रों को एंटी-रैगिंग अधिनियम और विश्वविद्यालय के अनुशासन कोड का उल्लंघन करते हुए पाया गया, जिसके बाद समिति ने सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने अपने रुख को दोहराते हुए कहा कि वे कैंपस को रैगिंग-मुक्त बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि छात्रों की सुरक्षा या संस्थान के अनुशासन से खिलवाड़ करने वाले किसी भी व्यवहार पर गंभीर कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच, एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, मंगलवार को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की प्रोक्टोरियल टीम ने SSL हॉस्टल के एक पूर्व छात्र वैभव कुमार के पिता से मुलाकात की। इस बैठक में वैभव से जुड़ी अनुशासनहीनता की कई घटनाओं के बारे में उन्हें जानकारी दी गई।
बैठक के दौरान वैभव कुमार पर लगे दुर्व्यवहार, रैगिंग, तोड़फोड़ और हालिया कैंपस में हुए उपद्रव जैसे गंभीर आरोपों पर चर्चा हुई। छात्र पर हॉस्टल वार्डन पर अनुचित दबाव बनाने, जाति-आधारित आरोप लगाने, हॉस्टल का गेट तोड़ने, नए छात्रों को डराने-धमकाने और 10 अक्टूबर को मुख्य प्रॉक्टर के कार्यालय पर एक disruptive भीड़ का नेतृत्व करने जैसे आरोप हैं, जिसके कारण यूनिवर्सिटी का मुख्य द्वार जाम हो गया था।
यूनिवर्सिटी ने वैभव को 30 अक्टूबर तक सबूतों के साथ अपना लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। जांच समिति की रिपोर्ट आने तक कोई अंतिम अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, हालांकि यह मामला यूनिवर्सिटी और पुलिस दोनों की सक्रिय जांच के दायरे में है।
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