
भोपाल। राजधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) में 4 दिसंबर की देर रात हुई मारपीट की घटना लगातार तूल पकड़ती जा रही है। कैंटीन के बाहर सेकेंड ईयर छात्र पारस मरैया पर सीनियर्स और बैचमेट्स द्वारा किए गए हमले के बाद कॉलेज परिसर में माहौल तनावपूर्ण है। अब एंटी रैगिंग कमेटी द्वारा नोटिस जारी करने और पुलिस की ओर से मेडिकल-लीगल प्रक्रिया आगे बढ़ाने के बाद मामला और गंभीर मोड़ ले चुका है। वहीं, FIR वापस लेने की चर्चाओं ने छात्रों और कॉलेज प्रबंधन के बीच नई बहस छेड़ दी है।
घटना के बाद सोमवार को GMC की एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक आयोजित की गई। बैठक में पारस मरैया द्वारा दिए गए लिखित शिकायत पत्र के आधार पर सभी आरोपी बताए गए सीनियर्स और बैचमेट्स को नोटिस जारी कर दिए गए। कमेटी ने मंगलवार को सभी संबंधित छात्रों को बुलाकर उनके बयान ऑन रिकॉर्ड दर्ज करने का फैसला लिया है।
इन बयानों और तथ्यों के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे आगे एंटी रैगिंग सेल को भेजा जाएगा। कॉलेज प्रबंधन ने संकेत दिया है कि रिपोर्ट के बाद विश्वविद्यालय स्तर पर भी कार्रवाई की संभावना है।
MLC के बाद नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू
पारस मरैया की FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने मेडिकल-लीगल केस (MLC) कराकर चोटों की पुष्टि की है। पुलिस अब मंगलवार और बुधवार को सभी आरोपियों को नोटिस भेजकर उनके बयान दर्ज करेगी।
क्या हुआ था 4 दिसंबर की रात?
घटना 4 दिसंबर की रात करीब 1:15 बजे GMC कैंपस स्थित सुधा अमृत कैंटीन के सामने हुई। सेकेंड ईयर के डे-कॉलर छात्र पारस मरैया अपने सीनियर युगीन चौधरी और बैचमेट निधि तोमर के साथ वहां बैठा था। उसी समय उसके बैचमेट और हॉस्टलर पुष्पेंद्र सिंह ने अन्य छात्रों को बुला लिया। थोड़ी देर में अजय ब्राह्मणे, शिवम महावर, देव रघुवंशी, विवेक मालवीय और अमन पांडे मौके पर पहुंच गए।
आरोप है कि आते ही उन्होंने पारस से कथित गाली-गलौज की और विरोध करने पर धक्का-मुक्की शुरू कर दी। इसी दौरान अमन लोहे की रॉड लेकर आया और पारस के सिर पर वार कर दिया, जिससे वह बुरी तरह घायल हो गया। हमले को रोकने की कोशिश कर रहे सीनियर युगीन चौधरी पर भी कथित तौर पर रॉड और मुक्कों से हमला किया गया। वहीं, छात्रा निधि तोमर और छात्र तरुण बीच-बचाव करते हुए किसी तरह घायल छात्रों को वहां से ले गए।
FIR वापस लेने की चर्चाओं ने बढ़ाई हलचल
घटना के बाद सोमवार को अचानक कुछ आरोपी छात्र अपने परिजनों के साथ डीन ऑफिस पहुंचे। यहां FIR वापस लेने की दिशा में बातचीत किए जाने की चर्चा सामने आई। बताया जा रहा है कि परिजनों ने छात्रों के करियर पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े, इस आधार पर समझौते की संभावना तलाशने की कोशिश की।
हालांकि, पारस मरैया की ओर से FIR वापस लेने को लेकर अभी कोई स्पष्ट सहमति नहीं दी गई है। इस बीच, कॉलेज प्रशासन पर दबाव बनाने के आरोप भी लग रहे हैं, लेकिन प्रबंधन ने किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया है।
दोहरी जांच से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
एंटी रैगिंग कमेटी और पुलिस की समानांतर जांच के कारण आने वाले दिनों में कई नए तथ्य सामने आ सकते हैं। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो छात्रों पर न सिर्फ कॉलेज स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, बल्कि पुलिस केस में भी कठोर धाराएं जोड़ी जा सकती हैं।
GMC में रैगिंग का यह पहला मामला नहीं
गांधी मेडिकल कॉलेज में पहले भी रैगिंग और छात्रों के बीच हिंसक झगड़ों के मामले उठते रहे हैं। कॉलेज प्रशासन और एंटी रैगिंग कमेटी समय-समय पर गाइडलाइन जारी करती रही है, लेकिन घटनाओं का दोहराव बताता है कि कैंपस में अनुशासन बनाए रखने की चुनौती लगातार बनी हुई है।
पिछले वर्षों में भी जूनियर्स की शिकायत पर सीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई, हॉस्टल में झगड़े, धमकाने और उत्पीड़न के मामले विभिन्न स्तरों पर दर्ज किए जा चुके हैं। मौजूदा घटना ने एक बार फिर GMC में सुरक्षा, निगरानी और रैगिंग रोकथाम के प्रभावी इंतजामों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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