कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर
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MP: शिक्षकों की कमी दूर करेगी ऑनलाइन इनडायरेक्ट क्लास योजना, जानिए कैसे करेगा काम?

कृषि शिक्षा में डिजिटल क्रांति की तैयारी, पांच महाविद्यालयों के छात्र होंगे लाभान्वित
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भोपाल। प्रदेश के कृषि महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी लंबे समय से एक बड़ी समस्या बनी हुई थी। कई बार छात्र संगठनों और अभिभावकों ने शिकायत की कि अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण विद्यार्थियों को निर्धारित समय पर कक्षाएँ नहीं मिल पातीं, जिससे उनकी पढ़ाई और करियर प्रभावित हो रहा है। अब इस समस्या का समाधान राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर ने निकाला है. विश्वविद्यालय ने ‘ऑनलाइन इनडायरेक्ट क्लास योजना’ तैयार की है, जिसके तहत एक कॉलेज के शिक्षक दूसरे कॉलेज के छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाएंगे।

प्रदेश के ग्वालियर, इंदौर, सीहोर, खंडवा और मंदसौर स्थित कृषि एवं उद्यानिकी महाविद्यालयों में शिक्षकों के सैकड़ों पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं। कई बार अस्थायी या अतिथि विद्वानों से काम चलाया गया, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकला। विशेषज्ञ मानते हैं कि कृषि शिक्षा जैसे तकनीकी और प्रायोगिक क्षेत्र में लगातार मार्गदर्शन और अपडेटेड जानकारी आवश्यक है। ऐसे में यदि शिक्षक की कमी हो, तो विद्यार्थियों का भविष्य सीधे प्रभावित होता है।

क्या है ‘ऑनलाइन इनडायरेक्ट क्लास योजना’

  • यदि किसी कॉलेज में किसी विषय का शिक्षक उपलब्ध नहीं है, तो दूसरे कृषि महाविद्यालय का विशेषज्ञ ऑनलाइन पढ़ाएगा।

  • प्रत्येक क्लासरूम में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे ताकि शिक्षण प्रक्रिया पारदर्शी रहे।

  • हर कॉलेज में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जाएगा, जिसमें हाई-स्पीड इंटरनेट, प्रोजेक्टर और स्मार्ट बोर्ड शामिल होंगे।

  • छात्रों की उपस्थिति और पढ़ाई का रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा।

  • शिक्षक और छात्र दोनों की गतिविधियों पर विश्वविद्यालय स्तर से निगरानी रखी जाएगी।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद शुक्ला ने कहा, “हमारी कोशिश है कि किसी भी छात्र की पढ़ाई शिक्षक की कमी के कारण प्रभावित न हो। कमेटी तकनीकी और शैक्षणिक ढांचा तैयार कर रही है। जल्द ही इसे शासन के पास प्रस्ताव के रूप में भेजा जाएगा। जैसे ही मंजूरी मिलेगी, योजना लागू कर दी जाएगी। इसका सीधा फायदा छात्रों को मिलेगा और शिक्षकों की जवाबदेही भी तय होगी।”

ग्वालियर कृषि महाविद्यालय के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा, “हमारे विभाग में पिछले दो सेमेस्टर से विशेषज्ञ शिक्षक नहीं थे। कई बार हमें पुराने नोट्स और इंटरनेट पर निर्भर रहना पड़ता था। अगर यह योजना लागू होती है तो हमें समय पर विषय विशेषज्ञ की गाइडेंस मिलेगी और तैयारी बेहतर होगी।”

कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार का मानना है कि यह योजना भविष्य के लिए एक बड़ी पहल है। उन्होंने द मूकनायक से कहा, "ऑनलाइन शिक्षा आज के समय की जरूरत है। खासकर कृषि जैसे विषय में जहां लगातार नए-नए शोध और तकनीकी बदलाव होते हैं, वहां छात्रों को विशेषज्ञों तक सीधी पहुंच होना जरूरी है। यह योजना छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी, हालांकि इसे सफल बनाने के लिए तकनीकी आधारभूत ढांचा मजबूत करना बहुत जरूरी है।"

विश्वविद्यालय प्रशासन ने पारदर्शिता को सबसे अहम माना है। सीसीटीवी कैमरे और ऑनलाइन रिकॉर्डिंग से न केवल शिक्षकों की कार्यशैली पर निगरानी रखी जा सकेगी बल्कि छात्रों की उपस्थिति और सहभागिता भी साफ दिखाई देगी। अधिकारी मानते हैं कि इससे लापरवाही की गुंजाइश कम हो जाएगी।

योजना से ये होंगे लाभ

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: हर विषय में विशेषज्ञ की उपलब्धता।

समय की बचत: छात्रों को अब महीनों तक शिक्षक की प्रतीक्षा नहीं करनी होगी।

डिजिटल स्किल्स: विद्यार्थी आधुनिक तकनीक से जुड़ेंगे।

पारदर्शिता: सीसीटीवी और ऑनलाइन रिकॉर्डिंग से जिम्मेदारी तय होगी।

प्रदेश स्तर पर मॉडल: यह योजना सफल रही तो अन्य विश्वविद्यालय भी इसे अपनाएंगे।

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