MP में माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी विवाद: NSUI छात्रों पर कार्रवाई की तैयारी!

एनएसयूआई ने एबीवीपी के साथ-साथ विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पहले भी अप्रत्यक्ष रूप से एबीवीपी का समर्थन होता था, लेकिन अब यह खुलकर हो रहा है।
MP में माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी विवाद: NSUI छात्रों पर कार्रवाई की तैयारी!
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भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) में छात्र राजनीति के विवाद ने तूल पकड़ लिया है। हाल ही में एनएसयूआई (NSUI) के पांच छात्रों द्वारा प्रोफेसर की नेम प्लेट पर कालिख पोतने के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार, छात्रों तनय शर्मा, आसिफ पठान, अमन कुमार, आयुष सिंह और ओम चौकसे के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जा सकती है।

विश्वविद्यालय के सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार इस घटना को अनुशासनहीनता के तहत लिया गया है। मामले में एक नोटशीट तैयार की गई है, जिसमें सभी पांच छात्रों को निलंबित करने की सिफारिश की गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे छात्र अनुशासन के उल्लंघन के रूप में देखा है और सभी आंतरिक प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं। इस मामले में द मूकनायक ने कुलसचिव अविनाश वाजपेयी से बातचीत करने का प्रयास किया पर समाचार लिखे जाने तक संपर्क नहीं हो सका।

समझिए पूरा विवाद?

पिछले कुछ दिनों में माखनलाल विश्वविद्यालय छात्र राजनीति का अखाड़ा बन चुका है। NSUI और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के बीच गहरा विवाद जारी है। हाल ही में विश्वविद्यालय परिसर में एक पोस्टर वायरल हुआ, जिसमें लिखा था, "Dogs & NSUI Goons Not Allowed"। इस पोस्टर ने NSUI छात्रों को आक्रोशित कर दिया, और इसके बाद से विरोध प्रदर्शन तेज हो गया।

एनएसयूआई के विश्वविद्यालय प्रभारी तनय शर्मा ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रवैया पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने कहा, "हमारे विरोध को दबाने के लिए पोस्टर लगाकर हमारे सदस्यों का अपमान किया गया। इसके अलावा, विश्वविद्यालय प्रशासन ने एबीवीपी के कार्यक्रम में खुलकर भागीदारी कर निष्पक्षता का उल्लंघन किया है।"

तनय ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रदर्शन के दौरान संबंधित अधिकारियों से मिलने की कोशिश की, लेकिन कोई मौजूद नहीं था। इस पर विरोध स्वरूप उन्होंने प्रोफेसर आशीष जोशी की नेम प्लेट पर कालिख पोत दी और 'सहायक एबीवीपी' लिख दिया।

दिग्विजय सिंह का सवाल

मामले ने राजनीतिक रंग तब ले लिया, जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा: "क्या एबीवीपी भारतीय संविधान के समान अधिकार के सिद्धांत का समर्थन करती है? यदि हां, तो अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलाना बंद करें। क्या विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और प्रोफेसर एबीवीपी के सदस्य हैं? क्या सरकारी अधिकारियों को राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति है?"

ऐसे शुरू हुआ विवाद

विश्वविद्यालय में 9 दिसंबर को आयोजित एक सामाजिक समरसता कार्यक्रम के दौरान एबीवीपी की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया था। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसरों, जैसे कुलसचिव डॉ. अविनाश बाजपेई और प्रोफेसर आशीष जोशी, ने भाग लिया। प्रोफेसर परेश उपाध्याय को कार्यक्रम में एबीवीपी का गमछा पहने हुए देखा गया, जिससे विवाद और बढ़ गया।

एबीवीपी के नेताओं का कहना है कि यह कार्यक्रम सामाजिक समरसता की संगोष्ठी था और इसका राजनीतिकरण करना अनुचित है।

परिसर का माहौल तनावपूर्ण!

एनएसयूआई ने एबीवीपी के साथ-साथ विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पहले भी अप्रत्यक्ष रूप से एबीवीपी का समर्थन होता था, लेकिन अब यह खुलकर हो रहा है। एनएसयूआई का प्रदर्शन आक्रामक होता जा रहा है, जिससे परिसर का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है।

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