इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव कौंसिल में SC-ST के प्रतिनिधि नहीं : संसदीय समिति ने लगाई जोरदार फटकार!

पिछले तीन सालों में 14 SC और ST उम्मीदवारों को NFS घोषित किया गया - जिसमें एक ही साइकिल में 28 फैकल्टी पदों में से नौ शामिल हैं। इसे SC और ST उम्मीदवारों के प्रति फैकल्टी भर्ती में "लापरवाह रवैया" बताया गया, जो "आरक्षण नीति को कमजोर करता है और आरक्षित पदों को खाली रखता है"।
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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी
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नई दिल्ली- संसद की अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) कल्याण समिति ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को जमकर फटकार लगाई है। वजह? रिजर्व्ड कैटेगरी के उम्मीदवारों के साथ विवि का "अन्यायपूर्ण" और "लापरवाही भरा" रवैया। SC-ST की सीटें खाली पड़ी रहती हैं, पिछले तीन साल में 14 योग्य उम्मीदवारों को " नोट फाउंड सूटेबल" ( योग्य नहीं) बताकर ठुकरा दिया गया, और यूनिवर्सिटी के एग्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) में इन समुदायों का नामोनिशान नहीं।

भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते की अगुवाई वाली 30 सदस्यीय समिति की रिपोर्ट लोकसभा-राज्यसभा में पेश हुई। रिपोर्ट कहती है पिछले 10 सालों में चार साल EC में SC-ST का कोई प्रतिनिधि नहीं रहा। EC यूनिवर्सिटी की मुख्य निर्णय लेने वाली बॉडी है, जो भर्ती, प्रमोशन और शिकायतों को देखती है। कौंसिल में अनुजाति/जनजाति समुदायों के प्रतिनिधि नहीं होने से दलित और आदिवासी सदस्य "सिस्टम से बाहर" हो जाते हैं, और यूनिवर्सिटी की समावेशी इमेज धूमिल होती है।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भारत की चौथी सबसे पुरानी और अंडरग्रेजुएट एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स की पसंद के मामले में तीन सबसे पॉपुलर यूनिवर्सिटी में से एक है। इसके प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में 11 कॉलेज हैं।

रिपोर्ट में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और UGC से सख्त सिफारिश की गई है कि सभी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के EC में SC-ST का अनिवार्य प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए पॉलिसी बने। समिति ने कहा कि EC में SC-ST न होने से रिजर्व्ड पोस्ट खाली रहती हैं या ट्रांसफर हो जाती हैं, और NFS के फैसले बिना चेक के UGC नियम तोड़ते हैं।

इसमें चिंता जताई गई कि पिछले तीन सालों में 14 SC और ST उम्मीदवारों को NFS घोषित किया गया - जिसमें एक ही साइकिल में 28 फैकल्टी पदों में से नौ शामिल हैं। इसे SC और ST उम्मीदवारों के प्रति फैकल्टी भर्ती में "लापरवाह रवैया" बताया गया, जो "आरक्षण नीति को कमजोर करता है और आरक्षित पदों को खाली रखता है"।

समाधान के तौर पर समिति ने सुझाव दिए है जिसमें सभी NFS फैसलों की आवश्यक तौर पर रिपोर्टिंग और रिव्यू किया जाना, रिजेक्शन की साफ वजह रिकॉर्ड पर लेना, चयन समितियों में SC-ST एक्सपर्ट और चेयरपर्सन शामिल करने, और रिजर्व्ड पोस्ट भरने के लिए रिलैक्सेशन करने आदि सुझाव शामिल हैं।

पिछले 10 साल में 428 फैकल्टी नियुक्तियों में सिर्फ 53 SC (12.3%) और 24 ST (5.6%) चुने गए। समिति ने इसपर तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिया हैं और सभी खाली फैकल्टी पोस्ट तीन महीने में भरने , और SC-ST पोस्ट छह महीने से ज्यादा खाली न रखे जाने की हिदायत दी है।

नॉन टीचिंग स्टाफ में ग्रुप A में 2, ग्रुप B में 8, ग्रुप C में 38 शॉर्टफॉल पाई गयी । यूनिवर्सिटी की "लापरवाही" पर फटकार लगाते हुए मंत्रालय से टाइम-बाउंड एक्शन प्लान बनाने को कहा। समिति ने कहा कि प्रगति संसद को रिपोर्ट करें वरना उच्च शिक्षा में आरक्षण का मकसद फेल हो जाएगा।

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