बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी क्यों हो रहीं टारगेट? बहुजन समाज बोला: 'दलित टॉपर पर सवर्ण खुन्नस, वो रील स्टार नहीं – रोल मॉडल हैं!'

सोशल मीडिया पर टीना डाबी के समर्थन में उतरा समाज, छिड़ी नई बहस
बहुजन विचारकों का मानना है कि डाबी सबसे ज्यादा निशाने पर रहती है। इसका पहला कारण उनका अनुसूचित जाति से होकर UPSC टॉपर होना है।दूसरा उनके नाम कई उपलब्धियां है।
बहुजन विचारकों का मानना है कि डाबी सबसे ज्यादा निशाने पर रहती है। इसका पहला कारण उनका अनुसूचित जाति से होकर UPSC टॉपर होना है।दूसरा उनके नाम कई उपलब्धियां है।
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बाड़मेर- राजस्थान के बाड़मेर जिले की कलेक्टर आईएएस टीना डाबी एक बार फिर विवादों के केंद्र में हैं। पिछले महीने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' के तहत बाड़मेर को मिले राष्ट्रीय प्रथम पुरस्कार से टीना डाबी ने साबित किया था – वे न सिर्फ यूपीएससी टॉपर हैं, बल्कि जल संरक्षण की क्रांतिकारी योद्धा भी!

लेकिन इस बार कॉलेज छात्रों के फीस वृद्धि विरोधी प्रदर्शन के दौरान उन्हें 'रील स्टार' कहे जाने पर पुलिस कार्रवाई ने उन्हें विवादों के घेरे में खड़ा कर दिया है। बहुजन समाज इसे साफ जातिवादी साजिश बता रहा है – एक दलित महिला टॉपर को सवर्ण ताकतें क्यों निशाना बना रही हैं? 2015 में यूपीएससी में एआईआर-1 हासिल कर राष्ट्रीय आइकॉन बनीं टीना को 'सवर्ण खुन्नस' का शिकार बताया जा रहा है। बहुजन विचारकों का मानना है कि डाबी सबसे ज्यादा निशाने पर रहती है। इसका पहला कारण उनका अनुसूचित जाति से होकर UPSC टॉपर होना है।दूसरा उनके नाम कई उपलब्धियां है।

विवाद की जड़: 'रील स्टार' टिप्पणी और पुलिस एक्शन

मामला महाराणा भूपाल गवर्नमेंट पीजी कॉलेज का है। कॉलेज के बाहर शनिवार को छात्रों ने परीक्षा शुल्क वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन किया। 22 वर्ष की उम्र में पहली ही कोशिश में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली आईएएस टीना डाबी से मिलने की मांग की गई। स्थिति तब बिगड़ी जब एक अधिकारी ने डाबी को छात्रों का 'रोल मॉडल' बताया, तो भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े छात्रों ने असहमति जताई। उन्होंने कहा, "कलेक्टर रोल मॉडल नहीं हैं। अगर होतीं तो छात्रों की मांग सुनने आतीं। वे रील्स स्टार हैं और रील बनाने के चक्कर में रहती हैं, लेकिन हमारी समस्याओं पर ध्यान नहीं देतीं।" इस पर स्टूडेंट्स को पुलिस द्वारा कथित तौर पर हिरासत में लिया गया।

एबीवीपी ने एक्स पर ट्वीट कर छात्रों की कथित गिरफ्तारी की निंदा की: "छात्रों की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। जब पुलिस ने उन्हें 'रील स्टार' कहने पर आईएएस टीना डाबी से बात करने को कहा, तो एबीवीपी छात्रों ने साफ जवाब दिया।" छात्रों का दावा है कि धरना समाप्त होने के बाद उन्हें हिरासत में लिया गया। इसके बाद कई छात्र थाने के बाहर जमा हो गए, गिरफ्तार छात्रों की रिहाई और प्रशासन से माफी की मांग की।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मनोज कुमार ने एनडीटीवी को बताया, "किसी को हिरासत या गिरफ्तार नहीं किया गया। स्थिति शांत करने के लिए चार लड़कों को थाने लाया गया और बाद में जाने को कहा। लेकिन छात्र थाने के पास जमा हो गए और माफी मांगने पर अड़े रहे। वरिष्ठ अधिकारी आने पर बातचीत हुई।" राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने घटना की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा, "भारत में एक और नौकरशाह का असहिष्णुता का दिन। भ्रष्टाचार, सत्ता का नशा और अब असहिष्णुता के बावजूद वे सख्त जांच से बच जाते हैं।" विवाद सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है।

टीना डाबी ने आरोपों को सिरे से खारिज किया: "कोई गिरफ्तारी या हिरासत नहीं हुई। शुल्क वृद्धि का मुद्दा सुलझ चुका था, फिर भी छात्र सड़क जाम कर उपद्रव मचा रहे थे। मेरे अधीनस्थों ने उन्हें थाने ले जाकर बात की और दो घंटे बाद छोड़ दिया। जमीनी मुद्दा खत्म हो गया, लेकिन सोशल मीडिया पर बदनामी और सस्ती पब्लिसिटी के लिए जिंदा रखा जा रहा है।"

बहुजन समाज का साथ: ' ये जातिवादी साजिश, हम टीना के साथ '

बहुजन विचारक इसे दलित उत्कृष्टता पर हमला बता रहे। राजनीतिक वैज्ञानिक और जादवपुर यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर सुभजित नस्कर ने ट्वीट किया: "कुछ यूसी लिबरल्स दलित महिला आईएएस टीना डाबी को घेरने लगे। थोड़ी जांच से पता चला – आरएसएस की छात्र विंग एबीवीपी के लीडर वहां ऑर्गनाइज्ड थे! उम्मीद है, चीजें साफ हो गईं।"

एक अन्य ट्वीट में सुभजित ने लिखा: "टीना डाबी को सबसे घिनौने जातिवादी ऑनलाइन अपमान झेलने पड़े – टॉपर होने के बावजूद। जब दलित सीएस या डीजीपी नियुक्त नहीं होते, तब भी वे अपनी योग्यता साबित कर रही हैं।"

एंटी कास्ट एक्टिविस्ट प्रो रेहना रवीन्द्रन ने इसे राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित अटैक बताया।

आईआरएस अफसर नेत्रपाल ने अपने पोस्ट में टीना का समर्थन करते हुए लिखा, " टीना डाबी पर इस तरह निशाना साधना... अगर आप चाहते हैं तो पढ़ाई करें और रैंक-1 हासिल करें। अगर सड़कें ठीक नहीं हैं, तो जिम्मेदार इंजीनियरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं... विधायक को जवाब देना चाहिए। स्थानीय पार्षद, पंचायत सदस्यों को जवाब देना चाहिए। अचानक से वे एक कलेक्टर को टारगेट करते हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक रोल मॉडल हैं।"

स्वयं सैनिक दल ने ट्वीट किया: "टीना डाबी को नीचा दिखाने की कोशिश जातिवादी साजिश है। उनकी शानदार कामयाबी से असुरक्षा। हम टीना के साथ खड़े हैं।" एक और पोस्ट में उन्होंने कहा: "यह विवाद अवैध खनन और अरावली विनाश से ध्यान भटकाने की साजिश है। टीना को मीडिया ट्रायल का शिकार नहीं बनने देंगे।"

मयूर पवार ने लिखा: "जातिवादी सिस्टम टीना डाबी को उनके अच्छे कामों के बावजूद नष्ट करने पर तुला है। एबीवीपी ने कैंपस तोड़ा, उन्होंने एक्शन लिया तो फेक नैरेटिव। स्ट्रॉन्ग रहें टीना, हम आपके साथ।"

एक यूजर हैप्पी सिंह ने अनुराधा तिवारी के ट्वीट पर निशाना साधा: "यह ब्राह्मण महिला न सिर्फ टॉप दलित आईएएस टीना डाबी का अपमान कर रही है, बल्कि आरक्षण और अंबेडकर विचारधारा का भी मजाक उड़ा रही है। एससी/एसटी एक्ट के तहत केस बनना चाहिए।"

लेखक लोकेश बाग ने लिखा- "आईएएस टीना डाबी पर एक बार फिर निशाना साधा जा रहा है और यह स्पष्ट रूप से सोची-समझी साजिश है। हमारे समुदाय की एक महिला का यूपीएससी में एआईआर-1 के साथ टॉप करना अभी भी कई जातिवादियों को हजम नहीं हो पा रहा। राजस्थान के बाड़मेर जिले की कलेक्टर के रूप में, टीना डाबी ने जल संरक्षण की एक बड़ी पहल का नेतृत्व किया, जिसने जिले को राष्ट्रपति महोदया से पहला 'जल संचय जन भागीदारी पुरस्कार' दिलाया।"

राहुल ने लिखा: "'मेरिट' में विश्वास जब तक दलित टॉप न करे। फिर अन्याय? अगर 'रिजर्व्ड' छात्र को ओपन मेरिट में हरा नहीं सकते, तो आपकी श्रेष्ठता ही रिजर्व्ड है। टीना डाबी इन्हें इसलिए खटकती हैं।"

बहुजन चिंतक गुरुदयाल ने कहा: "टीना डाबी आपको इसलिए चुभ रही क्योंकि दलित बेटी ऊंचाइयों पर पहुंच गई। आपका ब्राह्मण श्रेष्ठता कॉम्प्लेक्स टूट रहा। आरक्षण सदियों की गुलामी का हिसाब है।"

सिर्फ एक महीने पहले, नवंबर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' के तहत बाड़मेर को राष्ट्रीय प्रथम पुरस्कार दिया था। टीना की अगुवाई में जल संरक्षण के प्रयासों ने राजस्थान को टॉप-3 में शुमार किया। लेकिन अब यह विवाद – बहुजन समाज का कहना है, सवर्ण इकोसिस्टम मौका देखकर दलित प्रगति रोकना चाहता है।

बहुजन विचारकों का मानना है कि डाबी सबसे ज्यादा निशाने पर रहती है। इसका पहला कारण उनका अनुसूचित जाति से होकर UPSC टॉपर होना है।दूसरा उनके नाम कई उपलब्धियां है।
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बहुजन विचारकों का मानना है कि डाबी सबसे ज्यादा निशाने पर रहती है। इसका पहला कारण उनका अनुसूचित जाति से होकर UPSC टॉपर होना है।दूसरा उनके नाम कई उपलब्धियां है।
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