टापरा, बालोतरा: जिले के टापरा गांव में दलित किसान छगना राम मेघवाल के खेत में काश्तकार आदिवासी मोहनलाल भील के साथ हुई हिंसा और उत्पीड़न के मामले में आरोपी उम्मेदसिंह की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है। इससे पीड़ित और उसके परिवार के लोग परेशान हैं।
पीड़ितों का कहना है कि आरोपी पक्ष लगातार समझौते के लिए सामाजिक दबाव बना रहा है और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। खेत मालिक छगना राम पेशे से टैक्सी ड्राइवर हैं और शुगर, बीपी और एलर्जी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। बावजूद इसके उन्हें न्याय नहीं मिल रहा और पुलिस भी कार्रवाई में संकोच कर रही है।
घटना के अनुसार, छगना राम मेघवाल के खेत में मजदूर खेत की सफाई और तवी लगाकर जोताई कर रहे थे। इसी दौरान उम्मेदसिंह खेत में मौजूद था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जब मोहनलाल मजदूरों के साथ बाड़ बनाने गए, तो उम्मेदसिंह अचानक आए और गाली-गलौज करते हुए मारपीट की और तलवार से जान से मारने की धमकी दी, जिससे मोहनलाल को काम रोकना पड़ा।
मोहनलाल ने खेत मालिक छगना राम मेघवाल और अन्य ग्रामीणों की मदद से कई बार आरोपी को समझाने की कोशिश की, लेकिन उम्मेदसिंह ने उनकी नहीं सुनी और मारपीट जारी रखी। सबसे गंभीर घटना 10 सितंबर को हुई, जब उम्मेदसिंह रासायनिक ज्वलनशील पदार्थ लेकर आया और छगना राम का खेत और बाड़ जलाने की कोशिश की। इस घटना का एक वीडियो भी मौजूद है।
मोहनलाल और उनके साथी गवाहों ने बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और डीवाईएसपी कार्यालय में बयान भी दिए, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस उन्हें बार-बार गुमराह करके दो-चार दिन बाद आने के लिए कहती है और मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।
पीड़ित और ग्रामीण अब अपनी सुरक्षा को लेकर भयभीत हैं। समाजसेवी और ग्रामीण पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं।
पीड़ितों की मांगें:
- आरोपी उम्मेदसिंह की तत्काल गिरफ्तारी।
- मामले की निष्पक्ष और शीघ्र जांच।
- पीड़ित और मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
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