पिता को खोया, घर छूटा... अब शहडोल की आदिवासी बेटी जर्मनी के फुटबॉल क्लब में लेगी ट्रेनिंग

शहडोल के छोटे से आदिवासी गाँव बिचारपुर की 15 वर्षीय सुहानी कोल ने अपने दर्दनाक अतीत को पीछे छोड़ते हुए जर्मनी के प्रतिष्ठित फुटबॉल क्लब में बनाई जगह, पढ़ें संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी।
MP tribal girl aims to bend it like Beckham
पिता की हत्या देखी, अब जर्मनी में खेलेगी MP की सुहानीफोटो साभार- TOI
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भोपाल: मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक छोटे से आदिवासी गाँव की 15 वर्षीय बेटी सुहानी कोल ने अपने सपनों को एक नई उड़ान दी है। उनका चयन जर्मनी के सबसे प्रसिद्ध फुटबॉल क्लबों में से एक, 'एफसी इंगोल्स्तद 04' (FC Ingolstadt 04) में एक प्रतिष्ठित प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए हुआ है। यह उन पाँच उभरते फुटबॉलरों में से एक हैं जिन्हें यह सुनहरा अवसर मिला है।

हालांकि, सुहानी का यहाँ तक का सफर चुनौतियों और दर्द से भरा रहा है। जब वह केवल छह साल की थीं, तब उन्होंने अपनी आँखों के सामने अपने पिता की हत्या देखी, एक ऐसी दर्दनाक घटना जिसने उनके मन पर गहरा असर डाला। इस हादसे के बाद उनके पैतृक परिवार ने भी उन्हें छोड़ दिया, जिसके बाद उनके नाना-नानी उन्हें बिचारपुर गाँव ले आए। आज फुटबॉल के प्रति जुनून के कारण यही गाँव "मिनी ब्राज़ील" के नाम से मशहूर है। अपने अतीत के सायों के बावजूद, सुहानी ने अपनी मेहनत और हिम्मत की एक मिसाल कायम की है।

सुहानी 4 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक जर्मनी में प्रशिक्षण लेंगी, जहाँ उन्हें जर्मनी के पूर्व बुंडेसलीगा खिलाड़ी और कोच डाइटमार बायर्सडॉर्फर (Dietmar Beiersdorfer) मार्गदर्शन देंगे। अपने दिल में उम्मीदें और उत्साह लिए, वह गुरुवार को अपनी कोच लक्ष्मी सहीस के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुईं और शुक्रवार शाम को उन्होंने जर्मनी के लिए उड़ान भरी।

कक्षा 10वीं में पढ़ने वाली सुहानी को गोलकीपर के तौर पर चुना गया है, एक ऐसी भूमिका जिसे उन्होंने पूरे दृढ़ संकल्प के साथ अपनाया है। वह अब तक चार स्कूल राष्ट्रीय टूर्नामेंट में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं।

अपने इस सफर के बारे में बात करते हुए सुहानी की आवाज़ में दुःख और आत्मविश्वास दोनों का भाव झलकता है। वह कहती हैं, "मुझे अपने पिता की याद हर रोज़ आती है, लेकिन फुटबॉल मुझे हिम्मत और ताकत देता है।"

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