जेएनयू में सनसनी: अम्बेडकर लाइब्रेरी की मेज पर जातिवादी गालियां, कैंपस में भड़का गुस्सा, कौन है इसके पीछे?

प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि डॉ. अम्बेडकर के नाम पर बनी लाइब्रेरी में ऐसी नफरत फैलाना निंदनीय है। रैली में विश्वविद्यालय में जागरूकता अभियान चलाने और भेदभाव-विरोधी नीतियों को सख्ती से लागू करने की मांग भी उठी।
लाइब्रेरी के जनरल रीडिंग हॉल में एक पढ़ाई की मेज पर अज्ञात व्यक्तियों ने जातिवादी और महिला-विरोधी अपशब्द लिखे जिससे छात्र समुदाय आक्रोशित है.
लाइब्रेरी के जनरल रीडिंग हॉल में एक पढ़ाई की मेज पर अज्ञात व्यक्तियों ने जातिवादी और महिला-विरोधी अपशब्द लिखे जिससे छात्र समुदाय आक्रोशित है.x हैंडल
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नई दिल्ली – जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सेंट्रल लाइब्रेरी के जनरल रीडिंग हॉल में एक मेज पर लिखे गए जातिवादी और महिला-विरोधी अपशब्दों ने छात्र समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। लाइब्रेरी के जनरल रीडिंग हॉल में एक पढ़ाई की मेज पर अज्ञात व्यक्तियों ने जातिवादी और महिला-विरोधी अपशब्द लिखे, जिनमें "चमार $#द " और "चमार की मां की &%$" जैसे घृणित शब्द शामिल हैं। छात्रों ने कहा कि यह घटना न केवल दलित समुदाय के खिलाफ अपमानजनक है, बल्कि यह इस विश्वविद्यालय की प्रगतिशील छवि पर भी हमला है, जो सामाजिक न्याय के लिए जाना जाता है। छात्र कार्यकर्ताओं ने इसे ब्राह्मणवादी मानसिकता का खुला प्रदर्शन करार दिया है।

बहुजन छात्रों के अधिकारों के लिए संघर्षरत संगठन, बिरसा अम्बेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बाप्सा) ने इस घटना पर त्वरित कार्रवाई की। 18 अगस्त को बाप्सा ने वसंत कुंज नॉर्थ पुलिस स्टेशन में एक औपचारिक शिकायत दर्ज की। अपनी चिट्ठी में संगठन ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। बाप्सा ने लाइब्रेरी के सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित करने और जांच के लिए उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया, ताकि दोषियों की पहचान हो सके। बाप्सा अध्यक्ष अविचल वारके ने कहा कि ऐसी घटनाएं बर्दाश्त के बाहर हैं।

वारके ने इस घटना को न केवल अपमानजनक बताया, बल्कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य हाशिए के समुदायों के छात्रों के लिए कैंपस को असुरक्षित बनाने वाला कृत्य भी करार दिया। उन्होंने कहा, "यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बीजेपी-आरएसएस शासन द्वारा किया गया बड़ा हमला है। इस तरह की घटनाएं उस ब्राह्मणवादी सोच को उजागर करती हैं, जिसने कावेरी हॉस्टल की दीवारों पर 'दलित भारत छोड़ो' और 'चमार भारत छोड़ो' जैसे नारे लिखे थे। बाप्सा इन जातिवादी गुंडों के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा और कैंपस के अंदर और बाहर हाशिए के छात्रों की आवाज उठाएगा।"

पुलिस शिकायत के साथ-साथ बाप्सा ने छात्रों के गुस्से को एकजुट कर शाम को सेंट्रल लाइब्रेरी के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। रैली में बहुजन और प्रगतिशील विचारधारा वाले छात्रों की भीड़ उमड़ी, जिसने जातिवाद और घृणा के खिलाफ नारे लगाते हुए एकजुटता दिखाई। कार्यकर्ता क्रांति और रुपेश कुमार सहित बाप्सा नेताओं ने इस घटना को दलितों, आदिवासियों, ओबीसी और अल्पसंख्यकों पर बड़े पैमाने पर हमलों का हिस्सा बताया। प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि डॉ. अम्बेडकर के नाम पर बनी लाइब्रेरी में ऐसी नफरत फैलाना निंदनीय है। रैली में विश्वविद्यालय में जागरूकता अभियान चलाने और भेदभाव-विरोधी नीतियों को सख्ती से लागू करने की मांग भी उठी।

इस विरोध को अन्य छात्र संगठनों का भी समर्थन मिला। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) जेएनयू यूनिट ने रैली में हिस्सा लिया और लाइब्रेरी में हुए "खुले जातिवाद" की कड़ी निंदा की।

इस विरोध को अन्य छात्र संगठनों का भी समर्थन मिला।
इस विरोध को अन्य छात्र संगठनों का भी समर्थन मिला।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने भी मुख्य लाइब्रेरियन को शिकायत सौंपी और तत्काल प्रशासनिक कार्रवाई की मांग की। जेएनयूएसयू के संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने बयान में कहा कि ज्ञान के मंदिर में ऐसी संकीर्ण मानसिकता की कोई जगह नहीं है और सभी छात्रों को एकजुट होकर इसे खारिज करना होगा।

सोशल मीडिया खासकर एक्स पर इस घटना को लेकर अनेक यूजर्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी। यूजर्स ने मेज पर लिखे अपशब्दों की तस्वीरें साझा कीं और समाज में दलित मुद्दों पर चुप्पी की आलोचना की। कई पोस्ट में इस बात पर रोष जताया गया कि अम्बेडकर के नाम वाली लाइब्रेरी में ऐसी हरकत कैसे हो सकती है। बाप्सा ने अपने आधिकारिक हैंडल से रैली के वीडियो और तस्वीरें साझा कीं, जिसमें उनका संदेश साफ था: "हम चुप नहीं रहेंगे।"

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