MP में जाति प्रमाण पत्र के नाम पर रिश्वत: भोपाल में 1 लाख रुपए लेते बाबू रंगे हाथों गिरफ्तार

लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी जीवन लाल बरार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
भोपाल में 1 लाख रुपए लेते बाबू रंगे हाथों गिरफ्तार
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भोपाल। मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आए दिन लोकायुक्त पुलिस भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथों पकड़ रही है। राजधानी भोपाल में ताजा मामला सामने आया है, जहां अनुसूचित जाति विकास आयुक्त कार्यालय, श्यामला हिल्स में पदस्थ सहायक ग्रेड-1 बाबू जीवन लाल बरार को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते लोकायुक्त टीम ने गिरफ्तार किया। आरोपी ने यह रिश्वत छिंदवाड़ा की एक महिला कर्मचारी से उसके जाति प्रमाण पत्र से संबंधित जांच दबाने के एवज में मांगी थी।

पांच लाख की रिश्वत की थी मांग

लोकायुक्त पुलिस के अनुसार वाणिज्यिक कर कार्यालय छिंदवाड़ा में सहायक ग्रेड-2 के पद पर पदस्थ ऊषा दाभीरकर से आरोपी ने कुल पांच लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। यह राशि जाति प्रमाण पत्र की जांच को दबाने के नाम पर ली जानी थी। पहले चरण में आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच एक लाख रुपए देने पर सहमति बनी। ऊषा दाभीरकर ने रिश्वत मांगे जाने की शिकायत लोकायुक्त जबलपुर टीम से की, जिसके बाद मामले की सत्यापन कार्रवाई की गई।

रणनीति बनाकर बिछाया गया जाल

लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में पूरी योजना बनाकर कार्रवाई की। शिकायत के बाद आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया। तय समय और स्थान पर शिकायतकर्ता को पाउडर लगे नोट देकर भेजा गया। जैसे ही आरोपी ने रिश्वत की रकम हाथ में ली, उसके हाथ रंग गए और तुरंत ही लोकायुक्त की टीम ने उसे धर दबोचा। यह कार्रवाई प्रशासन अकादमी के पास स्थित उसके सरकारी आवास के नजदीक की गई।

जाति प्रमाण पत्र में भ्रष्टाचार का मामला

यह मामला जाति प्रमाण पत्र जैसे अहम दस्तावेज से जुड़ा हुआ है। जाति प्रमाण पत्र शिक्षा, छात्रवृत्ति, नौकरी और आरक्षण योजनाओं का आधार होता है। यदि इसे ही अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत का जरिया बना लें, तो वंचित वर्ग के अधिकारों पर सीधा हमला होता है। इस तरह की घटनाएं सामाजिक न्याय और संविधान प्रदत्त अधिकारों की धज्जियां उड़ाने वाली हैं।

जाति प्रमाण पत्र को लेकर कई बार लोगों को वर्षों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। गरीब और वंचित वर्ग के लोग जहां पहले से ही संसाधनों की कमी से जूझते हैं, वहीं ऐसे भ्रष्ट अधिकारी उनके हक को पैसों के बदले बेचते हैं। यह केवल भ्रष्टाचार नहीं बल्कि सामाजिक अन्याय भी है।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज

लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी जीवन लाल बरार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है। इन धाराओं में रिश्वत लेने, पद का दुरुपयोग करने और अनुचित लाभ कमाने के आरोप शामिल हैं।

मध्यप्रदेश में लोकायुक्त पुलिस लगातार भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कस रही है। पिछले कुछ महीनों में कई तहसीलदार, पटवारी, इंजीनियर और विभागीय बाबू रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। बावजूद इसके, यह घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। जानकारों का कहना है कि जब तक कठोर दंड और पारदर्शी व्यवस्था नहीं होगी, तब तक इस तरह के मामले सामने आते रहेंगे।

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