सीकर- राजस्थान के सीकर जिले स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय, पाटन में एक 14 वर्षीय अनुसूचित जाति के छात्र के साथ हुए जातिगत उत्पीड़न और मारपीट के आरोपों ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि स्कूल प्रशासन द्वारा कथित तौर पर की गई प्रताड़ना से तंग आकर छात्र ने आत्महत्या का प्रयास किया, जिसके बाद लंबे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। घटना के बाद पीड़ित परिवार और डॉ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन (AJAK) द्वारा आरोपियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और न्याय की मांग को लेकर आवाज बुलंद की जा रही है।
मामला जवाहर नवोदय विद्यालय, पाटन का है, जहां कक्षा 10 के छात्र धीरज वर्मा (14) परिजनों के अनुसार स्कूल में जातिगत भेदभाव और दुर्व्यवहार का शिकार था। आरोप लगाया गया है कि उसे प्रशासन द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था और उसके साथ मारपीट की गई, जिससे उसके शरीर, पैर और दोनों हाथों की कोहनियों सहित कई स्थानों पर चोटें आईं। इस कथित प्रताड़ना और यातना (Torture) से व्यथित होकर धीरज ने 8 अक्टूबर को हॉस्टल के एक कमरे में पंखे से लटककर आत्महत्या का प्रयास किया।
सूचना मिलने पर स्कूल प्रशासन ने उसे पहले राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पाटन में भर्ती कराया। हालत बिगड़ने पर 9 अक्टूबर को उसे कपिल हॉस्पिटल, नीमकाथाना रेफर किया गया। वहां से उसे बराला हॉस्पिटल चौमू, फिर सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर और अंततः जे के लॉन अस्पताल, जयपुर ले जाया गया, जहां 13 अक्टूबर की रात लंबे इलाज के बाद भी उसकी मृत्यु हो गई।
परिवार का आरोप है कि घटना 8 अक्टूबर को हुई, लेकिन स्कूल प्रशासन ने एक दिन बाद 9 अक्टूबर को इसकी सूचना दी। इसके अलावा, पाटन पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 195/2025 में आरोप लगाया गया है कि स्कूल प्रशासन ने गलत तथ्य पेश किए। FIR के अनुसार, स्कूल ने दावा किया कि बालक 9 अक्टूबर को चार कालांश (पीरियड) में उपस्थित रहा, जबकि चिकित्सा रिकॉर्ड यह साबित करते हैं कि उसी दिन सुबह 11:30 बजे उसे इलाज के लिए दूसरे अस्पताल रेफर किया गया था।
12 अक्टूबर को पाटन थाने में यह एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें बीएनएस की धारा 115(2), 126(2), 109(1), 61(2), 238(a) और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(2)(va) व 3(2)(v) के तहत मामला दर्ज किया गया। परिजनों ने स्कूल प्रशासन के जिम्मेदार अध्यापकों और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
मृतक छात्र का परिवार न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठा है। परिवार का आरोप है कि जांच अधिकारियों ने अभी तक दर्ज एफआईआर में नामित आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है। उनका कहना है कि विद्यालय प्रशासन पुलिस कार्यवाही में हुई देरी और लापरवाही का फायदा उठाकर मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है। प्रथम दृष्टया मामला स्पष्ट होने के बावजूद आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है।
डॉ. अम्बेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी-कर्मचारी एसोसिएशन (AJAK) राजस्थान के अध्यक्ष श्रीराम चोर्डिया ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और जिला पुलिस अधीक्षक सीकर को एक पत्र लिखकर निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
1. धीरज वर्मा को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले सभी आरोपियों के खिलाफ SC/ST (POA) Act के तहत के कार्यवाही कर अविलंब गिरफ्तार करने का आदेश हो।
2. मृतक के आश्रितों को रु एक करोड का मुआवजा, सरकारी नौकरी, कृषि भूमि एवं परिवार को 5000 रूपये मासिक पेंशन उपलब्ध कराई जाए।
3. आरोपियों को कानूनी प्रावधानों के तहत दण्ड सुनिश्चित करने के लिए प्रकरण को "केस ऑफिसर स्कीम के तहत दर्ज किया जाकर जिला स्तर के अति सवेदनशील व निष्पक्ष अधिकारी को केस ऑफिसर नियुक्त किया जाये।
4. प्रकरण में पीडितों को SC/ST (PoA) Act के नियम 12 (4) के तहत त्वरित प्रभाव से आर्थिक सहायत प्रदान करने के लिए आदेश जारी किये जाये।
5. पीड़ितों व गवाहों की सुरक्षा के लिए SC/ST (PoA) Act की धारा 15 (क) के तहत कार्यवाही कर सुरक्षा सुनिश्चित की जाये।
6. मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ SC/ST (PoA) Act की धारा 4 के तहत कार्यवाही का आदेश फरमावे।
7. शैक्षणिक संस्थान में विद्यार्थियों को जातिगत भेदभाव व Torture से बचाने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये जाये।
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