पंजाब: दलित भूमि अधिकार नेता मुकेश मलौद दिल्ली से गिरफ्तार, पुराने मामलों में पुलिस की कार्रवाई पर भड़के संगठन

11 साल पुराने मामले और 2024 के जमीन आंदोलन को लेकर पुलिस की कार्रवाई; किसान और मजदूर संगठनों ने दी सरकार के पुतले फूंकने और बड़े आंदोलन की चेतावनी।
पंजाब: दलित भूमि अधिकार नेता मुकेश मलौद दिल्ली से गिरफ्तार, पुराने मामलों में पुलिस की कार्रवाई पर भड़के संगठन
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चंडीगढ़/संगरूर: पंजाब में दलितों के भूमि अधिकारों के लिए लड़ने वाले प्रमुख संगठन 'ज़मीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी' (ZPSC) के अध्यक्ष मुकेश मलौद को पंजाब पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। मलौद की यह गिरफ्तारी कई साल पुराने मामलों में की गई है, जिनमें 11 साल पुराना वह चर्चित मामला भी शामिल है, जिसे पंजाब में दलित भूमि आंदोलन का एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है।

इस गिरफ्तारी के बाद राज्य भर के मजदूर, किसान और लोकतांत्रिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हैरानी की बात यह है कि पुलिस की यह कार्रवाई ठीक उसी दिन हुई, जिस दिन पंजाब सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के श्रमिकों से जुड़े मुद्दों पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। गौरतलब है कि ZPSC का मुख्य आधार यही मनरेगा मजदूर हैं।

महाराष्ट्र से लौटते वक्त हुई गिरफ्तारी

पेंडू मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष तरसेम पीटर ने जानकारी देते हुए बताया कि मुकेश मलौद को मंगलवार सुबह दिल्ली के निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से पंजाब पुलिस की स्पेशल सिक्योरिटी ब्रांच ने गिरफ्तार किया। वह महाराष्ट्र में आयोजित अंबेडकर मिशन के एक कार्यक्रम में शामिल होकर वापस पंजाब लौट रहे थे।

गिरफ्तारी की खबर मिलते ही ZPSC सदस्यों, किसान यूनियनों और विभिन्न लोकतांत्रिक संगठनों के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल ने संगरूर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) सरताज सिंह चहल से मुलाकात की और अपना विरोध दर्ज कराया। प्रतिनिधिमंडल ने मलौद की तत्काल रिहाई की मांग की। इसके बाद, गुस्साए कार्यकर्ताओं ने एसएसपी कार्यालय से लेकर जिला प्रशासनिक परिसर तक विरोध मार्च निकाला और पंजाब सरकार व पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस प्रतिनिधिमंडल में मुकेश मलौद की पत्नी और स्त्री जागृति मंच की पंजाब विंग की अध्यक्ष अमन देओल भी शामिल थीं।

क्या है 2014 का बालद कलां मामला?

कीर्ति किसान यूनियन (KKU) के जिला अध्यक्ष जरनैल सिंह जहांगीर, युवा नेता भूपिंदर सिंह लोंगोवाल और ZPSC के जोनल सचिव गुरविंदर सिंह बौदां ने बताया कि मलौद को संगरूर में दर्ज कई पुराने मामलों के संबंध में गिरफ्तार किया गया है। इनमें सबसे प्रमुख मामला जून 2014 का है, जो बालद कलां गांव से जुड़ा है।

KKU ने कहा, "ZPSC के नेतृत्व में चला वह आंदोलन पहला बड़ा संघर्ष था, जिसमें दलितों ने पंचायत की जमीन में अपने कानूनी एक-तिहाई हिस्से की मांग की थी।"

2014 के इस आंदोलन के दौरान, दलित परिवारों ने आरोप लगाया था कि जमींदारों ने पंचायत भूमि की नीलामी में 'डमी उम्मीदवार' उतारकर जमीन अवैध रूप से कृषि कार्यों के लिए हथिया ली, जबकि यह जमीन दलितों के लिए आरक्षित थी। इससे भूमिहीन दलित परिवार बोली लगाने के अपने कानूनी अधिकार से वंचित रह गए थे। उस समय विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस लाठीचार्ज हुआ था, जिसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इसके बाद हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराओं के तहत कई दलित नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।

तरसेम पीटर ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "दिलचस्प बात यह है कि उस समय आम आदमी पार्टी के दलित नेता हरपाल सिंह चीमा ने धरनों में बैठकर ZPSC सदस्यों का समर्थन किया था। आज वही नेता पंजाब के वित्त मंत्री हैं, लेकिन इस गिरफ्तारी पर पूरी तरह खामोश हैं।"

बता दें कि चीमा संगरूर के दिड़बा निर्वाचन क्षेत्र से आते हैं।

मई 2024 का आंदोलन और नए आरोप

पुलिस ने एक और मामले का हवाला दिया है जो इसी साल 20 मई को संगरूर जिले के बीर ईस्वान गांव में प्रस्तावित आंदोलन से जुड़ा है। ZPSC ने तत्कालीन जींद रियासत की 927 एकड़ जमीन पर अधिकार का दावा करते हुए संघर्ष का आह्वान किया था। अगस्त 2023 में जींद रियासत के अंतिम नाममात्र शासक सतबीर सिंह की मृत्यु के बाद, कमेटी ने लैंड सीलिंग एक्ट (जो 17 एकड़ से अधिक भूमि के स्वामित्व पर रोक लगाता है) का हवाला देते हुए मांग की थी कि यह जमीन भूमिहीन दलित परिवारों में बांट दी जाए।

20 मई को बीर ईस्वान पहुंचने की कोशिश कर रहे 400 से अधिक ZPSC सदस्यों को हिरासत में लिया गया था और करीब 300 को जेल भेजा गया था। हालांकि, उस समय मलौद मौके पर मौजूद नहीं थे, लेकिन पुलिस का कहना है कि विरोध का आह्वान उन्होंने ही किया था। अब उन्हें इस मामले में भी नामजद किया गया है।

सरकार की मंशा पर सवाल और बड़े आंदोलन की चेतावनी

गिरफ्तारी के समय को लेकर भी सरकार की कड़ी आलोचना हो रही है। कीर्ति किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह लोंगोवाल ने कहा कि यह सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करता है। उन्होंने कहा, "एक तरफ आप सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर खुद को मजदूरों का रक्षक बता रही है, और दूसरी तरफ उसी दिन दलितों के एक प्रमुख मजदूर नेता को गिरफ्तार कर रही है।"

नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर मुकेश मलौद को तुरंत रिहा नहीं किया गया, तो संघर्ष तेज किया जाएगा। तरसेम पीटर ने ऐलान किया कि बुधवार को राज्य भर के गांवों में पंजाब सरकार के पुतले फूंके जाएंगे। उन्होंने इसे सरकार का "मजदूर विरोधी और दलित विरोधी" रुख बताया।

इस संघर्ष में संयुक्त किसान मोर्चा, किसान मज़दूर मोर्चा, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक), डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट, नौजवान भारत सभा और पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन समेत कई संगठनों ने ZPSC को समर्थन दिया है और आने वाले दिनों में संयुक्त राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है।

ये नेता रहे शामिल

संगरूर में एसएसपी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में बीकेयू राजेवाल से मनजिंदर सिंह घबदां, क्रांतिकारी ग्रामीण मजदूर यूनियन से लखबीर सिंह लोंगोवाल, डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट से विक्रम देव और मेघराज, बीकेयू एकता उगराहां से करमजीत सिंह, ऑल इंडिया किसान फेडरेशन से हरमेल सिंह मेहरोक, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन से सुखदीप हथन और रामवीर सिंह, दलित और लेबर लिबरेशन फ्रंट से जुगराज सिंह टल्लेवाल, ऑल इंडिया यूथ सभा से नवजीत सिंह, नौजवान भारत सभा से अमृत सिंह गोस्ला और क्रांतिकारी किसान यूनियन से सुखदेव सिंह बरनाला समेत कई अन्य कार्यकर्ता शामिल थे।

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