राजस्थान के इस शहर में 'जय भीम' झंडा लगाने पर पुलिस को एतराज, जानिये क्या है पूरा विवाद

उदयपुर के कोर्ट चौराहे पर 'जय भीम' झंडे को लेकर पुलिस और अम्बेडकरवादियों में तनातनी
उदयपुर शहर में गुरूवार को झंडा लगाने पहुंचे बाबा साहेब के अनुयायियों को पुलिस कर्मियों ने रोका.
उदयपुर शहर में गुरूवार को झंडा लगाने पहुंचे बाबा साहेब के अनुयायियों को पुलिस कर्मियों ने रोका.

उदयपुर - राजस्थान के उदयपुर शहर में गुरूवार को कोर्ट चौराहे स्थित बाबा साहब आंबेडकर की आदमकद प्रतिमा के पास ' जय भीम ' का झंडा लगाने को लेकर पुलिस कर्मी एवं अम्बेडकरवादी संगठन के बीच विवाद हो गया. झंडा लगाने पहुंचे बाबा साहेब के अनुयायियों को पुलिस कर्मियों ने यह कहते हुए रोका कि कलेक्टर की अनुमति के बगैर झंडा नहीं लगाया जा सकता, इस मामले में अम्बेडकरवादी कहते हैं कि चौराहों पर होर्डिंग और झंडे लगाने की अनुमति देना नगर निगम का क्षेत्राधिकार है और उन्हें मेयर द्वारा झंडा लगाने की लिखित स्वीकृति दी गई है.

गौरतलब है कि शहर के बीचोबीच जिला व सेशन कोर्ट के पास स्थित सर्कल को आंबेडकर सर्कल के नाम से भी जाना जाता है जहाँ बाबा साहब आंबेडकर की आदमकद प्रतिमा लगी है. यही पर एक 50 फीट उंचा पोल भी है जिसमे अशोक चक्र के साथ जय भीम लिखा नीला झंडा लगा हुआ था. लेकिन 27 जनवरी को यह झंडा अज्ञात लोगों द्वारा हटा दिया गया.

डॉ आंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी, उदयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबुलाल घावडी ने मीडिया को बताया कि झंडा चुरा ले जाने की घटना के बाद हमारे द्वारा भूपालपुरा थाने में FIR करवाई गई लेकिन आज तक उन आरोपियों का पता पुलिस नहीं लगा पाई. घावडी ने कहा , "ख़ैर नया झंडा दुबारा लगाने की अनुमति प्राप्त करने के लिए हम एसपी साहब से मिले तो उन्होंने हमें कहा कि शहर के चौराहे नगर निगम की सम्पत्ति हैं इसलिए झंडा लगाने की स्वीकृति भी वही दे सकते हैं.

डॉ आंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी, उदयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबुलाल घावडी
डॉ आंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी, उदयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बाबुलाल घावडी सोर्स- जनता की आवाज

डॉ आंबेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसाइटी इस मामले में मेयर जीएस टांक से मिली और उनसे झंडा लगाने की लिखित अनुमति प्राप्त भी कर ली लेकिन जब गुरूवार सुबह सोसाइटी के पदाधिकारी झंडा लगाने के लिए कोर्ट सर्कल पहुंचे तो पुलिस के जवान और अधिकारी आगये. उन्हें झंडा लगाने के लिए मना किया और मेयर की परमिशन दिखाने पर बोले कि बिना जिला प्रशासन की अनुमति झंडा नहीं लगाया जा सकता है.

पुलिस के इस दोयम व्यवहार से सोसाइटी के पदाधिकारी खिन्न हुए. बाबुलाल घावडी ने मीडिया को बताया कि " बाबा साहेब की प्रतिमा के पास पहले से लगाया हुआ झंडा अज्ञात आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों द्वारा उतारा गया, दुबारा झंडा लगाने की अनुमति मिलने के बावजूद पुलिस द्वारा रोकना बाबा साहब का अपमान है".

घावडी ने कहा कि हमें मेयर ने लिखित में दिया है- वेलफेयर पूर्व की तरह अपने स्तर पर झंडा लगा सकते हैं. इसमें उनकी सिग्नेचर और सील भी लगी हुई है. लेकिन आज पुलिस हमे कह रही है कि जिला प्रशासन की परमिशन लेकर आओ. अब ये पता नहीं किस तरह से लोग ये बिगाड़ करके बाबा साहेब का अपमान करना चाहते हैं, बाबा साहब द्वारा बनाये गए संविधान का बिगाड़ करना चाहते हैं, ये स्थित्ति हमारे शहर में हो गई है. हम पुन प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि ये संविधान निर्माता का अपमान है जो नहीं होना चाहिए और वह भी पुलिस कर्मियों द्वारा अपमान किया जा रहा है जिसे सहन नहीं किया जाएगा. अगर हमे प्रशासन अनुमति नहीं देता तो बहुत बड़ा आन्दोलन किया जाएगा".

उन्होंने आगे कहा " हमारे पास आरटीआई में जानकारी है कि शहर के चौराहों पर जितने भी झंडे और धार्मिक झंडे लगे हुए हैं , किसी की भी आज दिन तक परमिशन नगर निगम से नहीं दी गई है. इसलिए हमारा आग्रह है बाबा साहब का सम्मान और संविधान को बचाए रखने के लिए हमे झंडा लगाने की अनुमति दी जाए. "

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