मध्य प्रदेश: कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी दलित की जमीन नहीं हो सकी कब्जा मुक्त!

आदेश मिलने के बाद भी पीड़ित नारायण पुलिस और अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन न ही आरोपी जमीन मुक्त कर रहे और न ही निर्माण कार्य बंद किया गया, इधर मुरैना में दलित सरपंच को पेड़ से बांधकर पीटा गया।
पीड़ित नारायण पुलिस और अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है.
पीड़ित नारायण पुलिस और अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में अक्सर दलित/आदिवासियों की जमीनों पर मनबढ़ों के द्वारा अवैध कब्जा करने के मामले सामने आते रहते हैं। हाल ही में राजगढ़ जिले से एक मामला सामने आया है, जहां कोर्ट से ऑर्डर मिलने की बाद भी मनबढ़ दबंगों ने जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण कर लिया।

दरअसल, राजगढ़ जिला मुख्यालय के ग्रामीण क्षेत्र हाथीकुमारा गांव के एक दलित शिकायतकर्ता नारायण का आरोप है कि उच्च जाति के लोगों के द्वारा उसकी शासकीय पट्टे की भूमि को फर्जी तरीके से रजिस्ट्री कराकर अपने नाम करा लिया और अब उस पर निर्माण कार्य किया जा रहा है।

जमीन हो रहे निर्माण को लेकर नारायण ने कलेक्टर न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करते हुए उक्त निर्माण कार्य रुकवाने और प्रभावशाली लोगों की रजिस्ट्री को शून्य करने की गुहार लगाई थी। इस पर संज्ञान लेते हुए कलेक्टर के द्वारा 27 मई 2024 को स्थगन (स्टे) आदेश जारी करते हुए कहा गया था, आदेश में उल्लेखित है कि आवेदक नारायण पिता भागचंद्र निवासी ग्राम हाथीकुमारा को तहसील राजगढ़ में स्थित शासकीय भूमि सर्वे क्रमांक 60 रकबा 0.266 हेक्टेयर का पट्टा शासन द्वारा प्रदाय किया गया था। आवेदक द्वारा प्रस्तुत शिकायती आवेदन पत्र के माध्यम से बताया गया कि अनावेदक द्वारा सक्षम अधिकारी की अनुशंसा के बिना उक्त भूमि की फर्जी रजिस्ट्री कराकर भूमि अपने नाम अंतरण करा ली।

प्रकरण में अनुविभागीय अधिकारी राजगढ़ से जांच कराई गई। प्रकरण में की गई जांच में प्रथम दृष्टया यह तथ्य प्रकाश में आए हैं कि उक्त प्रकरण में भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा-1657 (ख) का उल्लंघन हुआ है। आवेदक द्वारा समक्ष में उपस्थित होकर यह भी बताया गया कि अनावेदकगण द्वारा उक्त भूमि पर अनाधिकृत रूप से निर्माण कार्य कर रहे हैं, जिसे रुकवाए जाने का अनुरोध किया है।

"उपरोक्त स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए एवं प्रथम दृष्टया सुविधा का संतुलन आवेदक के पक्ष में पाए जाने के कारण तहसील राजगढ़ में स्थित शासकीय पट्टे की भूमि सर्वे क्रमांक 60 रकबा 0.266 हेक्टेयर पर आगामी आदेश तक के लिए निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाने हेतु आदेश पारित किया जाता है। आदेश तत्काल प्रभावशील हो।"

लेकिन यह आदेश मिलने के बाद भी पीड़ित नारायण पुलिस और अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है, लेकिन न ही आरोपी जमीन मुक्त कर रहे और न ही निर्माण कार्य बंद किया गया। पीड़ित की मांग है कि संबंधितों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाए।

मुरैना में दलित सरपंच को पीटा

मध्य प्रदेश के मुरैना में एक दलित सरपंच को पेड़ से बाधंकर पीटने का मामला सामने आया है। घटना के बाद भयभीत सरपंच गांव छोड़कर चला गया। हालांकि पुलिस ने आरोपियों के ख़िलाफ़ सरपंच की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है।

पुलिस को दी शिकायत में सरपंच ने बताया कि पिछले 2 सालों से गाँव के मनबढ़ दबंग लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि वे सरपंच का पद छोड़ दें और अपना डोंगल उन्हें सौंप दें, जिसमें उनका डिजिटल सिग्नेचर और पासवर्ड है। इसके बाद जब उन्होंने आरोपियों की बात मानने से इंकार कर दिया तो 3 मई को वे उसे कौथरकलां गांव के बाहरी इलाके में ले जाकर पेड़ से बांध दिया और उनकी बेरहमी से पिटाई की।

इस मामले में अंबाह के उप पुलिस अधीक्षक (एसडीओपी) रवि भदौरिया ने बताया कि सरपंच की शिकायत के आधार पर दिवाकर सिंह तोमर और उसके भाई पिंकू के खिलाफ मारपीट, धमकाने और एट्रोसिटी में मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी की जा चुकी है। गांव वालों ने बताया कि इस घटना के बाद पीड़ित सरपंच ने अपना सामान एक वाहन में भरा और गोहद शहर के लिए रवाना हो गए है, वह गाँव में नहीं रह रहे है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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