बठिंडा: पंजाब के मुक्तसर ज़िले के ईना खेड़ा गांव के एक दलित परिवार को अपने बेटे की इंटर-कास्ट शादी के बाद पिछले एक महीने से गांव से बाहर रहना पड़ रहा है। परिवार का आरोप है कि उनकी गैरमौजूदगी में घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई, जिसके पीछे लड़की के परिजनों का हाथ है।
22 वर्षीय सुरिंदर सिंह, जो दलित समुदाय से संबंध रखते हैं, ने 7 जुलाई को अपने ही गांव की 18 वर्षीय जाट सिख युवती से शादी की। यह शादी श्रीगंगानगर (राजस्थान) के एक गुरुद्वारे में हुई और दोनों ने कानूनी विवाह प्रमाणपत्र भी प्राप्त किया। लेकिन इस विवाह से गांव में तनाव फैल गया, क्योंकि इससे पहले पंचायत ने ‘एक ही गांव में शादियों’ का विरोध करते हुए प्रस्ताव पारित किया था।
सुरिंदर के पिता मलकित सिंह, जो कि एक अमृतधारी ग्रंथी हैं, और उनके चाचा गुरमीत सिंह, जो पेशे से पेंटर हैं, ने बताया कि बेटे-बहू के भागकर शादी करने के बाद उन्हें गांव छोड़कर रिश्तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ी। उनका आरोप है कि कुछ दिन बाद लड़की के परिवार के अगुवाई में एक समूह ने उनके घर में घुसकर सामान तोड़ा और चोरी भी की। जब वे घर लौटे तो उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं।
परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर न्याय की मांग की है। मलकित सिंह ने कहा, “गांव की पंचायत चाहे हमारे बेटे की वापसी का विरोध करे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हमें अपमान और हिंसा झेलनी पड़े।”
मलोट डीएसपी इकबाल सिंह संधू ने बताया कि शुक्रवार को शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई की गई। पुलिस ने लड़की के पिता और भाई समेत तीन लोगों को BNSS की धारा 126/170 के तहत एहतियाती तौर पर गिरफ्तार किया है। उन्होंने कहा, “हम स्थिति को बिगड़ने से रोकने और इसे बड़े स्तर पर जातिगत टकराव में बदलने से बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं।”
यह घटना उस मामले के बाद सामने आई है, जब 29 जुलाई को मोगा जिले के घाल कलां गांव में भी एक युवक की मां पर हमला हुआ था, क्योंकि उसके बेटे ने उसी गांव की लड़की से शादी की थी। उस मामले में पंजाब राज्य महिला आयोग ने संज्ञान लिया था और गांव के सरपंच समेत कई आरोपियों पर एफआईआर दर्ज हुई थी।
पंजाब के कई गांवों की पंचायतों ने हाल के महीनों में एक ही गांव में होने वाली शादियों का विरोध करते हुए प्रस्ताव पारित किए हैं। पंचायतें इसे सामाजिक परंपरा और समुदाय पर दबाव का हवाला देकर सही ठहराती हैं। हालांकि, अधिकार कार्यकर्ता और विधि विशेषज्ञ इन प्रस्तावों को असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण बता रहे हैं।
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