'वोट चोरी' के आरोप पर चुनाव आयोग की सफाई -मिथ्य आरोपों से डरता नहीं, भारत के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा ECI

मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी दल समकक्ष हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "भारत के संविधान के अनुसार, 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक भारतीय नागरिक को मतदाता बनना चाहिए और मतदान भी करना चाहिए।"
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "भारत के संविधान के अनुसार, 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक भारतीय नागरिक को मतदाता बनना चाहिए और मतदान भी करना चाहिए।"
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नई दिल्ली। विपक्ष के 'वोट चोरी' के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार करता है, क्योंकि हर दल का जन्म आयोग में पंजीकरण से होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी दल समकक्ष हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "कानून के अनुरूप हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो चुनाव आयोग उन राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है? चुनाव आयोग के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं। चाहे किसी भी राजनीतिक दल का कोई भी हो, चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।"

उन्होंने कहा, "पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं। इसी मांग को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआत की है। एसआईआर की प्रक्रिया में सभी मतदाताओं, बूथ स्तर के अधिकारियों और सभी राजनीतिक दलों द्वारा नामित 1.6 लाख बीएलए ने मिलकर एक मसौदा सूची तैयार की है।" मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "भारत के संविधान के अनुसार, 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले प्रत्येक भारतीय नागरिक को मतदाता बनना चाहिए और मतदान भी करना चाहिए।"

ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष द्वारा मतदाताओं की तस्वीरों को मीडिया में दिखाए जाने का जिक्र करते हुए कहा, "हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया। क्या चुनाव आयोग को मतदाताओं, उनकी माताओं, बहुओं या बेटियों के सीसीटीवी फुटेज साझा करने चाहिए? मतदाता सूची में जिनके नाम होते हैं, वे ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं।"

उन्होंने कहा, "लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया में एक करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से भी अधिक बूथ लेवल एजेंट्स, 20 लाख से भी अधिक प्रत्याशियों के पोलिंग एजेंट्स चुनाव के लिए कार्य करते हैं। इतने सारे लोगों के समक्ष इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में क्या कोई मतदाता वोट की चोरी कर सकता है? कुछ मतदाताओं द्वारा दोहरे मतदान के आरोप लगाए गए, सबूत मांगने पर जवाब नहीं मिला। ऐसे मिथ्य आरोपों से न तो चुनाव आयोग डरता है न ही कोई मतदाता डरता है। जब चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है। ऐसे में चुनाव आयोग आज सबको स्पष्ट करना चाहता है कि हम निडरता के साथ सभी गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला और युवा समेत सभी वर्गों और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा।"

बंगाल और देश के अन्य राज्यों में एसआईआर पर जल्द लेंगे निर्णय

ज्ञानेश कुमार ने पश्चिम बंगाल और देश के अन्य राज्यों में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर कहा कि तीनों चुनाव आयुक्त मिलकर सही समय पर इस संबंध में निर्णय लेंगे। "जहां तक पश्चिम बंगाल के एसआईआर की तारीख का सवाल है, तो हम तीनों कमिश्नर सही समय देखकर निर्णय लेंगे। चाहे वह पश्चिम बंगाल में हो या देश के अन्य राज्यों में हो, जल्द ही इस संबंध में तारीखों की घोषणा आने वाले समय में की जाएगी।"

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बांग्लादेश और अन्य विदेशी नागरिकों द्वारा मतदान के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारत के नागरिक ही विधायक, सांसद का चुनाव कर सकते हैं। किसी अन्य देश के नागरिकों को यह अधिकार नहीं है। अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो एसआईआर की प्रक्रिया में उनकी पात्रता साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं, जिनकी 30 सितंबर तक पूरी जांच होगी और ऐसे केस में गहन जांच के दौरान ऐसे लोग पाए जाएंगे, जो हमारे देश के नागरिक नहीं हैं और निश्चित तौर से उनका वोट नहीं बनेगा।" मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने फॉर्म 7 और शपथ पत्र से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए कहा, "सवाल था कि आप कुछ लोगों से फॉर्म 7 और कुछ लोगों से शपथ पत्र क्यों मांग रहे हैं, इसका जवाब है कि लोक प्रतिनिधित्व कानून, जो सभी के लिए समान है, यह मेरे लिए भी है, आपके लिए भी और किसी भी सांसद या विधायक के लिए भी है। अगर आप उस निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक हैं, तो आपको समय पर शिकायत करने का पूरा अवसर मिलता है, आप फॉर्म 6, फॉर्म 7, फॉर्म 8 भर सकते हैं। बशर्ते आप उस विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक हों, लेकिन अगर आप वहां के निर्वाचक नहीं हैं और आप अपनी शिकायत को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो आपके पास कानून में केवल एक ही विकल्प है और वह है निर्वाचन नियमों का पंजीकरण, नियम संख्या (20 उपखंड 3 उपखंड बी) जो कहता है कि अगर आप उस विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचक नहीं हैं, तो आप एक गवाह के रूप में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।" उन्होंने कहा, "निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी को आपको शपथ देनी होगी और वह शपथ उस व्यक्ति के सामने एडमिनिस्टर करानी होगी जिसके खिलाफ आपने शिकायत की है। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू है।"(आईएएनएस)

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