देश की सबसे बड़ी अदालत में हंगामा, वकील ने CJI पर जूता फेंकने की कोशिश की, बोला- 'सनातन का अपमान...

मध्य प्रदेश में विष्णु मूर्ति पर CJI की एक टिप्पणी से नाराज था वकील, भरी अदालत में घटना को दिया अंजाम, सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल।
Lawyer tries to throw shoe at CJI
सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम-1 में 'तांडव'! जब CJI पर जूता लेकर झपटा वकील(The Mooknayak)
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नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट में आज एक चौंकाने वाली घटना घटी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अदालत में सुनवाई के दौरान एक वकील ने कथित तौर पर उन पर जूता फेंकने का प्रयास किया। इस घटना से कोर्ट परिसर में हर को सन्न रह गया। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी वकील को तुरंत हिरासत में ले लिया।

क्या है पूरा मामला?

यह घटना उस समय हुई जब CJI गवई अपनी बेंच पर बैठकर एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। तभी वहां मौजूद एक वकील ने अचानक चिल्लाना शुरू कर दिया और CJI की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला करने से पहले वकील ने जोर से कहा, "भारत सनातन धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा।"

इस अप्रत्याशित घटना के बाद कोर्टरूम में अफरातफरी मच गई। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हरकत में आते हुए आरोपी वकील को पकड़ लिया और उसे कोर्टरूम से बाहर ले गए। बाद में उसे हिरासत में ले लिया गया। बताया जा रहा है कि आरोपी वकील 2011 से बार एसोसिएशन का सदस्य है।

क्यों हुआ यह हमला?

इस घटना के तार CJI गवई की एक पुरानी टिप्पणी से जुड़े बताए जा रहे हैं। कुछ समय पहले मध्य प्रदेश में एक क्षतिग्रस्त विष्णु मूर्ति से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI ने टिप्पणी की थी, "जाकर देवता से ही पूछो।" उनकी इस टिप्पणी के बाद कुछ धार्मिक समूहों और कानूनी हलकों में नाराजगी देखी गई थी। माना जा रहा है कि वकील इसी टिप्पणी से आहत था।

CJI ने दिखाई शांति, कार्यवाही जारी रखी

इस हंगामे के बावजूद, मुख्य न्यायाधीश गवई शांत और संयमित बने रहे। उन्होंने बेंच को निर्देश दिया, "इन सब बातों से विचलित न हों। ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।" इसके बाद कोर्ट की कार्यवाही सामान्य रूप से जारी रही।

बाद में, मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणी को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया था और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।

कानूनी बिरादरी में निंदा और सुरक्षा पर सवाल

इस घटना की पूरे कानूनी समुदाय में कड़ी निंदा हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के वकील रोहित पांडे ने इस कृत्य की निंदा करते हुए इसे अदालत की गरिमा पर हमला बताया और अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की।

वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सोशल मीडिया पर इस घटना को CJI पर "जातिगत हमला" बताते हुए इसकी विस्तृत जांच की मांग की है।

यह घटना सुप्रीम कोर्ट जैसे उच्च-सुरक्षा वाले क्षेत्र में हुई है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। एक वकील, जिसके पास कोर्ट परिसर में आने का आधिकारिक पास हो, द्वारा इस तरह का कृत्य भविष्य की सुरक्षा प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करता है।

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