नई दिल्ली। हरियाणा कैडर के दलित IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई आत्महत्या का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। घटना के छह दिन बाद भी सरकार परिवार को पोस्टमॉर्टम के लिए राजी नहीं करा सकी है। कारण साफ है, परिवार और समाज के लोगों की एक ही मांग है कि जब तक DGP शत्रुजीत कपूर को पद से हटाकर गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक अंतिम संस्कार नहीं होगा।
इस बीच, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने परिवार को मनाने के लिए दिवंगत IPS की बड़ी बेटी को DSP पद का ऑफर दिया है। हालांकि, परिवार ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। परिजनों का कहना है कि हमारी लड़ाई पद की नहीं, न्याय की है। सरकार की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
दिवंगत अधिकारी की पत्नी IAS अमनीत पी. कुमार साफ कह चुकी हैं कि जब तक DGP शत्रुजीत कपूर को पद से हटाया नहीं जाता और गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वे अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेंगी। सरकार ने मामले में नामजद IPS नरेंद्र बिजारणिया को रोहतक SP पद से हटा तो दिया है, लेकिन परिवार उनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़ा हुआ है।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर SC वर्ग से जुड़े संगठनों और परिवार ने आज दोपहर 2 बजे चंडीगढ़ में महापंचायत बुलाई है। दूसरी ओर, कुछ खाप पंचायतें IPS नरेंद्र बिजारणिया के समर्थन में भी उतर आई हैं। वे उनके पक्ष में एक बड़ी पंचायत बुलाने की तैयारी में हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार दो तरफा दबाव में है- एक ओर न्याय की मांग कर रहा समुदाय और परिवार, दूसरी ओर सरकारी तंत्र में मौजूद ताकतवर अधिकारियों का समर्थन करती खापें।
वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को अपने घर में खुद को गोली मार ली थी। वे अनुसूचित जाति समुदाय से आते थे। मृत्यु से पहले उन्होंने 8 पन्नों का सुसाइड नोट और 1 पेज की वसीयत छोड़ी थी। सुसाइड नोट में उन्होंने अपने साथ हुए लगातार मानसिक उत्पीड़न और अपमान का उल्लेख किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने दुर्भावनापूर्ण शिकायतें कर उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई, जिससे वे मानसिक रूप से टूट गए। इसी सुसाइड नोट में कथित तौर पर DGP शत्रुजीत कपूर का भी नाम शामिल बताया जा रहा है। गुरुवार को सुसाइड नोट में उल्लिखित कुछ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
अब पूरा मामला राजनीतिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील रूप ले चुका है।
प्रदेश सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती परिवार को पोस्टमॉर्टम के लिए तैयार करना है, ताकि अंतिम संस्कार हो सके। इसके लिए सरकार के स्तर पर लगातार मीटिंगों का दौर चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, परिवार को मुआवजे और बेटी की नौकरी की पेशकश के अलावा अन्य प्रशासनिक मदद का भी भरोसा दिलाया गया, लेकिन परिवार न्याय की मांग पर अडिग है।
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