नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक 26 वर्षीय दलित व्यक्ति, देवा परधी की कथित हिरासत में हुई मौत के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को कड़ी फटकार लगाई है। जुलाई 2024 में मध्य प्रदेश के म्याना पुलिस स्टेशन में हुई इस घटना के बाद भी दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं करने पर कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर की।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और आर. महादेवन की पीठ ने सीबीआई के वकील से कहा, "यह सब अब नहीं चल सकता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आप कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। फिर इसका क्या फायदा? आप लाचारी जता रहे हैं कि वह फरार है, उद्घोषणा हो चुकी है, हम उसका पता नहीं लगा पा रहे हैं। कृपया लाचारी का नाटक न करें।"
कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि, "अगर एकमात्र गवाह को कुछ भी होता है या हिरासत में मौत की ऐसी कोई और घटना होती है, तो हम आपको बख्शेंगे नहीं।" कोर्ट मृतक देवा परधी के परिवार की आशंकाओं का जिक्र कर रहा था, जिसमें उनके चाचा गंगाराम परधी, जो इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी थे, को भी मध्य प्रदेश पुलिस से खतरा महसूस हो रहा है।
सीबीआई के वकील ने बताया कि तीन पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन दो अन्य अभी भी फरार हैं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ उद्घोषणा जारी की गई है, लेकिन एजेंसी उनका पता लगाने में असमर्थ है। जब पीठ ने पूछा कि कैसे फरार अधिकारियों में से एक ने राज्य उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दी, तो वकील ने स्पष्ट किया कि यह याचिका आरोपी के भाई ने दायर की थी।
इस पर कोर्ट ने सवाल किया, "आप कह रहे हैं कि वह फरार है, तो हम कुछ नहीं कर सकते। आप क्या कर रहे हैं?" सीबीआई के वकील ने जवाब दिया कि एजेंसी ने कई जगहों पर छापेमारी की है और फरार पुलिसकर्मियों का पता लगाने के लिए डिजिटल निगरानी भी कर रही है।
दरअसल, यह मामला परधी के परिवार द्वारा दायर उस याचिका से संबंधित है, जिसमें उन्होंने हिरासत में हुई मौत की सीबीआई जांच के लिए उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती दी थी। परिवार के अनुसार, 14 जुलाई 2024 को परधी अपनी शादी की तैयारियों में व्यस्त थे, तभी पुलिस उनके घर आई और उन्हें और गंगाराम को चोरी के मामलों में गिरफ्तार कर लिया। परिवार का आरोप है कि परधी की हिरासत में यातना के कारण मौत हो गई।
मंगलवार को परिवार के वकील ने पीठ को बताया कि गंगाराम पर लगातार दबाव डाला जा रहा है। वकील के अनुसार, जेल अधिकारियों ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर गंगाराम को बेरहमी से पीटा, जिससे उन पर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ दिया गया बयान वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।
पीठ ने इस पर दुख जताते हुए कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।" उन्होंने यह भी कहा कि 15 मई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए जाने के बाद भी उनमें से दो अभी भी फरार हैं। पीठ ने चेतावनी दी, "हम मुख्य सचिव के खिलाफ आरोप तय करेंगे।"
सीबीआई के अनुसार, पुलिसकर्मी संजीव सिंह मालवीय और उत्तम सिंह कुशवाहा अप्रैल से फरार हैं और एजेंसी ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट हासिल कर लिए हैं। उन्हें उद्घोषित अपराधी घोषित किया गया है और उनकी संपत्ति कुर्क करने के लिए भी आवेदन दायर किया गया है।
न्यायाधीशों ने तल्ख लहजे में कहा, "आप जानते हैं कि वे कहाँ हैं। आप उनकी रक्षा कर रहे हैं।" इस पर वकील ने स्पष्ट किया कि यह मामला सीबीआई के पास आने से पहले ही दोनों फरार हो गए थे।
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