दलित आईटी इंजीनियर की हत्या: फिल्म निर्माता पा. रंजीत बोले- तमिलनाडु सरकार इन जिलों को 'अत्याचार-संवेदनशील क्षेत्र' घोषित करे

तमिलनाडू में SC/ST से संबंधित शिकायत पर प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) तुरंत दर्ज करने और जांच को उप पुलिस अधीक्षक को सौंपने जैसे बुनियादी कानूनी प्रोटोकॉल का अक्सर पालन नहीं किया जाता जैसा कि हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने भी बताया।
काविन की मां ने आरोप लगाया कि सुरजीत ने बहाने से उनके बेटे को क्लिनिक से बाहर बुलाया और जातीय गालियां देते हुए सरेआम दरांती से उसकी हत्या कर दी।
काविन की मां ने आरोप लगाया कि सुरजीत ने बहाने से उनके बेटे को क्लिनिक से बाहर बुलाया और जातीय गालियां देते हुए सरेआम दरांती से उसकी हत्या कर दी।
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तिरुनेलवेली– प्रदेश में दलित और बहुजनों पर बढ़ते अत्याचार को लेकर नीलम सांस्कृतिक केंद्र के संस्थापक और फिल्म निर्माता पा. रंजीत ने तमिलनाडु सरकार और पुलिस की निष्क्रियता की कड़ी निंदा की है। एक ताजा मामला तिरुनेलवेली में 27 जुलाई को 27 वर्षीय दलित सॉफ्टवेयर इंजीनियर कविन सेल्वगणेश की क्रूर ऑनर किलिंग के रूप में सामने आया है। रंजीत ने इस प्रकरण में पारदर्शी जांच, तत्काल गिरफ्तारी और तिरुनेलवेली, शिवगंगाई, पुदुकोट्टाई और थूथुकुडी जैसे जिलों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत "अत्याचार-संवेदनशील क्षेत्र" घोषित करने की मांग की है।

कविन थूथुकुडी जिले के एरल तालुक के अरुमुगमंगलम के सरकारी स्कूल शिक्षक दंपति तमिलसेल्वी और चंद्रशेखर के बेटे थे। कविन की हत्या प्रेमिका सुभाषिनी के भाई ने उनके घर के पास दिनदहाड़े कर दी। सुभाषिनी तिरुनेलवेली के एक निजी अस्पताल में काम करती है। सुभाषिनी के माता-पिता, सरवनन और कृष्णवेणी, दोनों पुलिस कर्मी हैं और उन्हें इस रिश्ते पर एतराज था। विरोध के बावजूद जब दोनों ने यह रिश्ता जारी रखा तो परिणामस्वरूप सुभाषिनी के भाई सुरजीत ने कविन पर घातक हमला किया जिससे उसकी मौत हो गई।

काविन की मां ने आरोप लगाया कि सुरजीत ने बहाने से उनके बेटे को क्लिनिक से बाहर बुलाया और जातीय गालियां देते हुए सरेआम दरांती से उसकी हत्या कर दी।
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शुरुआत में केवल सुरजीत को ही आरोपी बनाया गया था। सुभाषिनी के माता-पिता की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए कविन के परिवार और रिश्तेदारों ने जोरदार विरोध और सड़क जाम किया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें भी आरोपी के रूप में शामिल किया। हालांकि सरवनन और कृष्णवेणी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, जिससे पुलिस में उनकी स्थिति को देखते हुए जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।

रंजीत ने सरकार पर अत्याचार निवारण अधिनियम का पालन न करने का आरोप लगाया, जिसमें यह अनिवार्य है कि इस तरह की घटनाओं के बाद जिला कलेक्टर तुरंत पीड़ितों से मिले। कलेक्टर ने अभी तक कविन के परिवार से मुलाकात नहीं की है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति समुदायों को न्यूनतम न्याय के लिए भी विरोध करना पड़ता है, जैसा कि कविन के माता-पिता की चल रही लड़ाई में देखा जा सकता है।

रंजीत ने वर्तमान डीएमके सरकार पर दलितों से संबंधित मामलों में पिछली सरकार की उदासीनता को जारी रखने का आरोप लगाया। रंजीत ने आरोपी के पुलिस कनेक्शन को देखते हुए मामले की जांच पर संदेह व्यक्त किया और सरकार से पारदर्शी जांच करने और सूरजित के माता-पिता को तुरंत गिरफ्तार करने का आग्रह किया।

रंजीत ने तमिलनाडु में बढ़ते जातिगत अपराधों पर जोर देते हुए मांग की कि जाति से संबंधित समस्याओं वाले जिलों को विशेष निगरानी में रखा जाए और उन्हें "अत्याचार-संवेदनशील क्षेत्र" घोषित किया जाए, जहां विशेष पुलिस स्टेशन स्थापित किए जाएं। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) तुरंत दर्ज करने और जांच को उप पुलिस अधीक्षक को सौंपने जैसे बुनियादी कानूनी प्रोटोकॉल का अक्सर पालन नहीं किया जाता जैसा कि हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने भी बताया।

नीलम सांस्कृतिक केंद्र ने ऐसी घटनाओं से ध्यान हटाने के लिए पुलिस द्वारा मीडिया में वैकल्पिक कथानक प्रसारित करने की प्रथा की निंदा की और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। रंजीत ने ऑनर किलिंग की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश, दलित कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के नेतृत्व में एक समिति गठन की मांग की, जो सामाजिक कारकों का विश्लेषण करे और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए। उन्होंने डीएमके सरकार और उसके सहयोगी दलों की ऑनर किलिंग के खिलाफ अलग कानून की मांग को नजरअंदाज करने की कड़ी निंदा की और इस मुद्दे को तुरंत कारवाई करने का आग्रह किया।

काविन की मां ने आरोप लगाया कि सुरजीत ने बहाने से उनके बेटे को क्लिनिक से बाहर बुलाया और जातीय गालियां देते हुए सरेआम दरांती से उसकी हत्या कर दी।
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