दलित उत्पीडन: भिंड पेशाब कांड में ग्वालियर हाईकोर्ट का सख्त रुख, आरोपी की जमानत याचिका ठुकराई

दलित युवक के साथ अमानवीय अत्याचार: लोक अभियोजक मोहन शिवहरे ने अपराध की गंभीरता बताते हुए जमानत का विरोध किया और कहा कि इससे समाज का सद्भाव भंग हो सकता है।
 20 अक्टूबर को सोनू,अलोक और छोटू नामक तीन आरोपी पीड़ित को अपने घर से जबरदस्ती अगुवा करके ले गये और मारपीट कर उसे अपना मूत्र पिलाया।
20 अक्टूबर को सोनू,अलोक और छोटू नामक तीन आरोपी पीड़ित को अपने घर से जबरदस्ती अगुवा करके ले गये और मारपीट कर उसे अपना मूत्र पिलाया। सोशल मीडिया
Published on

ग्वालियर – मध्य प्रदेश के भिंड जिले में हुए घिनौने पेशाब कांड में एक आरोपी अलोक शर्मा की जमानत याचिका को ग्वालियर हाईकोर्ट ने 6 नवंबर को खारिज कर दिया। जस्टिस अनिल वर्मा की एकलपीठ ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए यह आदेश सुनाया। यह निर्णय समाज में सद्भाव बनाए रखने और दलित समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

आदेश की प्रति को सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए बहुजन समुदाय के सदस्य इसे मनुवाद की हार और एससी/एसटी एक्ट का प्रभाव करार दे रहे हैं।

मध्य प्रदेश में भीम आर्मी के पूर्व अध्यक्ष सुनील अस्तेय ने x पर एक पोस्ट में लिखा: " न्याय की जीत – मनुवाद की हार! ग्वालियर हाईकोर्ट ने भिण्ड पेशाब कांड के आरोपियों की जमानत रद्द कर दी ,जातिवादी वकील अनिल मिश्रा जैसे लोगों की पैरवी के बावजूद सच्चाई ने जीत हासिल की है। ये वही मामला है, जहाँ इंसानियत को शर्मसार किया गया था — और आज अदालत ने साफ संदेश दिया है कि दलितों का अपमान करने वालों को न्याय से कोई राहत नहीं मिलेगी! न्यायपालिका को सलाम — जिन्होंने इंसानियत की आवाज को दबने नहीं दिया।"

 20 अक्टूबर को सोनू,अलोक और छोटू नामक तीन आरोपी पीड़ित को अपने घर से जबरदस्ती अगुवा करके ले गये और मारपीट कर उसे अपना मूत्र पिलाया।
MP के भिंड में दलित युवक से दरिंदगी: बंधक बनाकर मारपीट और पेशाब पिलाया, अस्पताल पहुंचे मंत्री- भीम आर्मी सड़कों पर

अपहरण, पेशाब पिलाया और जातिगत अपमान

यह घटना 20 अक्टूबर को भिंड जिले के सुरपुरा थाना क्षेत्र में घटी, जो अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवक के साथ हुई। पूर्व फोन विवाद के कारण नाराजगी में अलोक शर्मा और उसके दो साथी (सोनू उर्फ सोनू बरुआ और छोटू) दोपहर 2-3 बजे पीड़ित के घर पहुंचे। उन्होंने जातिगत गालियां देते हुए उसे घर से घसीटकर बाहर निकाला और बोलेरो वाहन में बंद करके अपहरण कर लिया।

रास्ते में सेमरपुरा रोड पर चलते वाहन के अंदर ही आरोपियों ने लोहे की रॉड से पीटाई की। फिर, सोनू, अलोक और छोटू ने बारी-बारी से पीड़ित को अपना मूत्र पिलाया, जो जातिगत बदला लेने का अमानवीय तरीका था। इसके बाद पीड़ित को सोनू बरुआ के खेत पर ले जाकर और भी क्रूरता से पीटा, जातिगत अपशब्दों से अपमानित किया और जान से मारने की धमकी दी। स्थानीय लोगों केदार और चरण सिंह ने हस्तक्षेप कर पीड़ित को बचाया।

घायल पीड़ित ने 21 अक्टूबर को (लगभग 6 घंटे की देरी से) एफआईआर दर्ज कराई। चिकित्सा रिपोर्ट में साधारण चोटें बताई गईं, लेकिन मनोवैज्ञानिक आघात गहरा है। पीड़ित और गवाह पिंकी जाटव के बयान (बीएनएसएस की धारा 183 के तहत) ने घटना की पुष्टि की। यह मामला मध्य प्रदेश में हाल के दिनों में दूसरे ऐसे पेशाब-पिलाने वाले अत्याचार का उदाहरण है, जिसने दलित संगठनों में आक्रोश पैदा कर दिया।

 20 अक्टूबर को सोनू,अलोक और छोटू नामक तीन आरोपी पीड़ित को अपने घर से जबरदस्ती अगुवा करके ले गये और मारपीट कर उसे अपना मूत्र पिलाया।
दिल्ली के स्कूल से डॉ. अंबेडकर का नाम हटाकर लिखा था 'CM Shri', गुस्साए AAP ने उखाड़ फेंका बोर्ड

मामले में तीनों आरोपी गिरफ्तार किये गये। अलोक शर्मा को 21 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया। उसने भिंड के स्पेशल जज (अत्याचार अधिनियम) से नियमित जमानत मांगी, जो 29 अक्टूबर को खारिज हो गई। इसके बाद एससी/एसटी अधिनियम की धारा 14-ए(2) के तहत हाईकोर्ट में अपील दायर की।

अभियोजन पक्ष के वकील अनिल कुमार मिश्रा ने दावा किया कि शर्मा निर्दोष है, उन्होंने कहा कि राजनीतिक दबाव से झूठा केस दर्ज हुआ, गवाह पक्षपाती हैं, एफआईआर में देरी हुई, जांच लगभग पूरी है, कोई एफएसएल रिपोर्ट नहीं है और शर्मा स्थानीय निवासी हैं।

वहीं राज्य के लिए लोक अभियोजक मोहन शिवहरे ने अपराध की गंभीरता बताते हुए जमानत का विरोध करते हुए कहा कि इससे समाज का सद्भाव भंग हो सकता है। पीड़ित पक्ष के वकील अनिल कुमार ने भी याचिका खारिज करने की मांग की।

केस डायरी, एफआईआर और बयानों की समीक्षा के बाद जस्टिस वर्मा ने कहा, "केस डायरी से जांच अभी लंबित है और अपीलकर्ता एफआईआर में नामजद है। एफआईआर की पुष्टि पीड़ित और पिंकी जाटव के बयानों से होती है, इसलिए इस स्तर पर याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।" अपील खारिज कर दी गई। यह फैसला दलित अधिकार संगठनों द्वारा "पीड़ितों के लिए जीत" के रूप में स्वागत किया गया है। भीम आर्मी जैसे समूहों ने तेज ट्रायल, पीड़ित को मुआवजा और पुनर्वास की मांग की।

पूरा आदेश यहाँ पढें:

Attachment
PDF
CRA_10626_2025_FinalOrder_06-11-2025_digi
Preview
 20 अक्टूबर को सोनू,अलोक और छोटू नामक तीन आरोपी पीड़ित को अपने घर से जबरदस्ती अगुवा करके ले गये और मारपीट कर उसे अपना मूत्र पिलाया।
बॉडी शेमिंग सवाल पर तमिल स्टार गौरी किशन ने दिया पत्रकार को धांसू जवाब:'ये पत्रकारिता नहीं, मेरे वज़न से आपको..."
 20 अक्टूबर को सोनू,अलोक और छोटू नामक तीन आरोपी पीड़ित को अपने घर से जबरदस्ती अगुवा करके ले गये और मारपीट कर उसे अपना मूत्र पिलाया।
"मेरा फेमिनिज्म खेत, खलिहान और बस्ती से शुरू..!" JNUSU में दलित बेटी कोमल देवी की जीत के साथ 11 साल बाद BAPSA की धमाकेदार वापसी; झूम उठा बहुजन समुदाय

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com